धमतरी के गट्टा सिल्ली में जंगल सत्याग्रह प्रारंभ
गट्टा सिल्ली, धमतरी, 2 मार्च। जंगल सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एकता परिषद द्वारा पूरे प्रदेश के हजारों आदिवासी प्रतिनिधियों के साथ सत्याग्रह स्तंभ पर पुष्पांजलि देने के बाद पदयात्रा प्रारंभ हुई।
एकता परिषद के द्वारा आयोजित इस सत्याग्रह में उड़ीसा से आए पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री भक्तचरण दास ने कहा की यू पी ए सरकार के द्वारा लाए गए वन अधिकार कानून की मंशा आदिवासियों को उनके वन अधिकार देना रहा। जंगल को बचाने के लिए जंगल का अधिकार आदिवासियों को देना होगा।
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम ने कहा कि सरकार को अभियान चलाकर आदिवासियों को वन का अधिकार सौंप देना चाहिए। जंगल सत्याग्रह इतिहास के लेखक श्री आशीष ठाकुर ने कहा कि पहले जंगल काटकर सत्याग्रह सौ साल पहले शुरू हुआ था, अब जंगल बचाकर सत्याग्रह करना होगा। सरगुजा के सामाजिक कार्यकर्ता श्री गंगाराम पैंकरा ने कहा कि बहुत सारे जगहों पर आदिवासियों को वन अधिकार मिला है, उसे और भी सक्रियता के साथ बाकी बचे हुए दावेदारों को देने की जरूरत है।
कवर्धा के बैगा आदिवासी नेता श्री शिकारी बैगा ने कहा कि सरकार हमारी जमीन की समस्या हल करें। श्री बृज पटनायक ने कहा कि आज भी देश में कई जगह है जहां पर सरकार अपने काम के लिए समुदाय से जमीन लेती है। जंगल क्षेत्र की जमीनों का अधिकार उसके वास्तविक अधिकारी आदिवासियों को सौंपना चाहिए।
प्रशांत कुमार पी.व्ही एवं मुरली दास संत, राज्य समन्वयक ने बताया कि इस सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साथ – साथ राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठनों से जुडे लोग भी भाग ले रहे हैं। सत्याग्रह के पूर्व एकता परिषद के संस्थापक एवं वरिष्ठ गांधी विचारक राजगोपाल पी व्ही ने आज कई गांवों का भ्रमण कर आदिवासियों की वन भूमि समस्याओं को जाना और पीड़ितों अपना आंदोलन जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
सत्याग्रह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविंद नेताम, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री भक्तचरण दास, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार, किसान आंदोलन के सुदेश पैंकरा, आसाम के आदिवासी सांसद नब्बासरण्या, सरगुजा के आदिवासी नेता गंगाराम पैंकरा, राष्ट्रीय संयोजक अनिष कुमार, वरिष्ठ कार्यकर्त्ता अनिल भाई, हरियाणा के राकेश तंवर सहित देश भर के गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और जंगल सत्याग्रह के सत्याग्रही परिवार के वंशज भी भाग ले रहे हैं ।
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