शासन को तीन हफ़्तों में वस्तुस्थिति स्पष्ट करने हेतु आदेश
रतलाम, 23 अगस्त । उच्च न्यायालय, खंडपीठ इंदौर में दायर एक जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय ने शासन को यह आदेश दिया कि वह मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए गठित, जैन आयोग की रिपोर्ट अभी तक पटल पर क्यों नहीं रखी गई, इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करें ।
याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने याचिका में माननीय उच्च न्यायालय से प्रार्थना की कि शासन को मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने हेतु आदेश करें।
शासन द्वारा किसान आंदोलन के दौरान दिनांक 06.06.2017 को मंदसौर में हुए गोलीकांड, जिसमें 5 किसानों की मृत्यु हुई थी, की जाँच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.के. जैन की अध्यक्षता में “जैन आयोग” का गठन किया था। आयोग द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट शासन को 13 जून 2018 में प्रस्तुत कर दी गई थी | जाँच आयोग अधिनियम, 1952 की धारा 3 के अनुसार, शासन का यह दायित्व है कि वह जाँच आयोग की रिपोर्ट तथा रिपोर्ट की अनुशंसा अनुसार की गई कार्यवाही 6 माह के भीतर विधानसभा में प्रस्तुत करें | परन्तु आज दिनांक तक शासन द्वारा न ही रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही की गई और न ही अधिनियम के अनुसार रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की गई | सचिवालय विधानसभा द्वारा बार-बार इस हेतु पत्र भी सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा गया था।
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया तथा न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए शासन से 3 हफ़्तों में वास्तविक स्थिति से न्यायालय को अवगत करवाने हेतु आदेशित किया है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता प्रत्यूष मिश्र द्वारा की गई|
गौरतलब है कि 6 जून 2017 को मंदसौर में सड़क पर प्रदर्शन कर रहे किसान और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसमें पुलिस की गोली से छह किसानों की मौत हो गई थी। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद जांच के लिए एक सदस्यीय जैन आयोग गठित किया गया था। इस जांच आयोग ने सभी पक्षों के बयान दर्ज करने के बाद 2018 में जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।