भोपाल, 3 फरवरी। मध्यम वर्ग के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास आज के समय में बडी चुनौती है और जनता को इस केंद्रीय आम बजट से बड़ी उम्मीदें थी परंतु हर बार की तरह ही इस बार भी स्वास्थ्य के बजट प्रावधान निराशाजनक ही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतरमन ने बजट भाषण में इस बजट को आम जनता के लिए उच्च गुणवत्ता वाली, सस्ती और व्यापक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच वाला बताया था परंतु इसके लिए बजट प्रावधानों में किसी प्रकार का कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है।

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया  के राष्ट्रीय संयोजक समूह  के अमितावा गुह, अमूल्य निधि, एस. आर. आजाद, गौरंगा मोहपात्रा, राही रियाज़, संजीव सिन्हा, चंद्रकांत यादव ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में स्वास्थ्य के लिए वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 1 फीसदी तक बजट आवंटन बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था परंतु वर्ष 2025 के इस बजट में यह मात्र तय लक्ष्य का लगभग 30 फीसदी ही है। इस बार स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (99859) आयुष विभाग (3892) और फार्मा के लिए 5294 करोड़ का बजट आवंटन किया गया है, जो कि पिछले वर्ष के बजट से आंशिक वृद्धि ही दिख रही है और वह भी बढ़ती महंगाई के हिसाब से यह वृद्धि भी नगण्य है।

केंद्रीय बजट 2025 में कैंसर, असाधारण रोगों और अन्य गंभीर जीर्ण रोगों के उपचार के लिए 36 जीवनरक्षक औषधियों को बुनियादी सीमा-शुल्क से छूट देना स्वागत योग्य  है परंतु पहले दवाओं के मूल्य नियंत्रण को खत्म कर हजारों करोड़ रुपए फार्मा कंपनियों को दे दिए गए थे। जनता की मांग दवाओं से जीएसटी हटाने की जा रही थी, परंतु कुछ चुनिंदा दवाओं से मात्र सीमा शुल्क कम किया गया है।

आम जनता के स्वास्थ्य खर्च को कम करने और स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण को रोकने या नियंत्रित करने के लिए किसी तरह का प्रावधान नहीं किया गया है और वहीं जबकि मेडिकल टूरिज़म बढ़ाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी बात कही गई है।

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया  के राष्ट्रीय संयोजक समूह  ने कहा कि देश के अधिकांश प्रदेशों में कुपोषण एक गंभीर चुनौती बना हुआ है परंतु इससे निपटने के लिए बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है और पोषण 2.0 कार्यक्रम मे बजट आवंटन लगभग स्थिर ही है। वहीं रक्षा बजट में हर साल बढ़ोतरी की जाती है, जिसमें इस साल करीब 7 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जबकि स्वास्थ्य बजट 1 लाख करोड़ से भी कम है।

प्रधानमंत्री जी द्वारा इस बजट को जनता के बचत का बजट बताया है, परंतु सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के संबंध कोई प्रावधान नहीं किया गया और न ही किसी प्रकार के नए स्वास्थ्य केंद्र खोलने की घोषणा इस बजट में की गई है, मात्र मेडिकल कॉलेज में  सीटे बढ़ाने से जनता का स्वास्थ्य सुनिश्चित नहीं हो सकता है। महंगी होती स्वास्थ्य सेवाओं पर नियंत्रण के अभाव में आम जनता की मेहनत से की गई कमाई की लगातार लूट हो रही है।

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया ने केंद्र सरकार से अपील की है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किया जाए और निजी स्वास्थ्य सेवाओं को नियंत्रित करने के लिये भी बजट में प्रावधान किए जाएँ।