
सामंती समाज की लाख बुराइयों के बावजूद कतिपय राजे-महाराजे पढ़ने-लिखने के भारी शौकीन हुआ करते थे। कई रजवाडों की लाइब्रेरियां असंख्य बेशकीमती,अनूठी किताबों से भरी रहती थीं। आज की जोधपुर की ‘सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी’ इन्हीं में से एक है।
अशोक चौधरी
मानव सभ्यता का इतिहास पुस्तकालयों एवं ग्रंथालयों से भरा पडा है। ‘नालंदा,’ ‘तक्षशिला’ एवं प्राचीन भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के समृद्ध पुस्तकालयों के बारे में हम आज भी पढ़ते हैं एवं उनसे संदर्भ प्राप्त करके नई दिशा खोजने का काम करते हैं। राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर, जिसकी स्थापना सन 1459 में राव जोधा द्वारा की गई और जिसे ‘सूर्य नगरी’ या ‘ब्लू सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है, में सन् 1915 में जोधपुर के महाराजा सुमेर सिंह ने ‘सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी’ की स्थापना की थी।
1915 से 1927 तक यह लाइब्रेरी ‘सूरसागर’ के महल में और फिर ‘स्टेट प्रेस बिल्डिंग’ में 1934 तक रही। 18 मार्च 1935 में लार्ड विलिंगटन ने ‘उम्मेद उद्यान’ एवं वहां स्थित लाइब्रेरी के भवन का उद्घाटन किया। तत्पश्चात यह पुस्तकालय ‘उम्मेद उद्यान’ में 2017 तक संचालित होता रहा। विश्वविख्यात इतिहासकार पं. विश्वेश्वर नाथ रेऊ ‘सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी’ के पहले मुखिया रहे।
रेऊ जी और उनके बाद इस पुस्तकालय का स्वर्णिम काल रहा, जब जोधपुर के बुद्धिजीवी नागरिकों और विद्यार्थियों को इस पुस्तकालय के माध्यम से अच्छे-से-अच्छा साहित्य पढ़ने को उपलब्ध होता रहा। इस पुस्तकालय में आने वाले राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र, पत्रिकाएं, किताबें जोधपुर के लोगों का ज्ञान-वर्धन करते रहे। पुस्तकालय की 80,000 से अधिक किताबों के भंडार को पढने-पढाने के लिए सैकड़ों लोग सदस्य बने। वाचनालय में सैकड़ों पाठक प्रतिदिन आते थे।
सन् 2017 में म्यूजियम विस्तार के लिए इस पुस्तकालय को मूल भवन से खाली करवा दिया गया और यह पुस्तकालय अस्थाई रूप से ‘सोजती गेट’ के अंदर, नगर निगम के पुराने भवन के प्रथम तल पर संचालित होने लगा। उस समय इस पुस्तकालय के पाठकों ने जनहित याचिका भी दायर की जिसके आधार पर माननीय उच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि इस पुस्तकालय का नया भवन बनाया जाए। जब पुस्तकालय नगर निगम के पुराने भवन में स्थानांतरित हुआ तो पाठकों और कर्मचारियों के सामने असंख्य समस्याएं खड़ी हुईं।
इस पुस्तकालय का इतिहास रहा है कि यहां प्रतिदिन दृष्टि-बाधित, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं और अन्य लोग अध्ययन के लिए आते थे। स्थानांतरण से उनका पुस्तकालय से नाता टूट गया। प्रथम तल की ऊंचाई के कारण इनका आना बंद हो गया। पुस्तकालय की हजारों किताबें स्थानाभाव के कारण बंडल में बंधी ही रह गईं। कुछ समय तक सभा भवन का बड़ा हॉल पाठकों को वाचनालय के रूप में मिला, लेकिन बाद में वह भी बंद हो गया तो वाचनालय में सिर्फ 10-15 लोगों की क्षमता भर रह गई।

पुस्तकालय में, जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग पढ़ने आते थे, में अब दर्जन भर स्थान ही शेष रहे। इसके अतिरिक्त पाठकों के वाहन-पार्किंग की समस्या सहित कई मुश्किलें रहीं। कुछ दिनों बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के सभी जिलों में ‘सावित्री बाई फुले वाचनालय योजना’ प्रारंभ की। इसके तहत प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए वाई-फाई समेत तीन कंप्यूटर, प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ा साहित्य, पत्र-पत्रिकाएं जैसी सुविधाएं देना प्रारंभ किया। नतीजे में पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं की आवाजाही बढ़ी।
वर्ष 2022-23 के बजट में अशोक गहलोत ने ‘सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी’ के नए भवन के लिए धन आवंटन किया और ‘उम्मेद उद्यान’ में इसका पुनर्निर्माण प्रारंभ हुआ। जोधपुर के लोगों को उम्मीद बंधी कि अब जल्द ही हमें वापस पुस्तकालय की सुविधाओं का लाभ मिलेगा। आज हम यदि अपने आसपास देखें तो पाएंगे कि लगभग हर गली, गांव में निजी लाइब्रेरी और रीडिंग रूम खुल रहे हैं जिनमें पढ़ने के साथ वाई-फाई प्रदान किया जाता है।
ऐसी स्थिति में ‘सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी’ एक सशक्त उदाहरण है, जहां मामूली वार्षिक शुल्क में पढ़ने की सुविधा प्रदान की जाती है जिसमें कंप्यूटर, वाई-फाई, पत्र-पत्रिकाएं, प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ा साहित्य इत्यादि मिलते हैं। जोधपुर के इस पुस्तकालय से पढ़कर निकले कई लोगों ने दुनियाभर में नाम कमाया है। पुस्तकालय में उत्सव एवं जयंतियों का एक कैलेंडर है जिसके अंतर्गत वर्ष में 20-25 कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिनमें ‘विवेकानंद जयंती,’ ‘पुस्तक दिवस,’ ‘कविता दिवस,’ ‘महाराणा प्रताप जयंती’ सहित अन्य प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इनसे युवाओं को अभिव्यक्ति एवं संप्रेषण कौशल सीखने मिलता है।
सार्वजनिक पुस्तकालय ऐसे स्थान हैं जिससे बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिलाएं सहित सभी धर्म, जाति, वर्ग के लोगों का सक्रिय जुड़ाव होता है। शहर के पुस्तकालय जितने समृद्ध होंगे उसे शहर की सभ्यता एवं मानवता भी उतनी ही समृद्ध होगी। आज ऐतिहासिक ‘उम्मेद उद्यान’ में ‘सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी’ के नए भवन का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, लेकिन यह पुस्तकालय अपने नए भवन में कब स्थानांतरित होगा, जोधपुर के लाखों नागरिकों को इसका बेसब्री से इंतजार है। (सप्रेस)
श्री अशोक चौधरी ‘सुमेर पब्लिक लाइब्रेरी’ के 2013 से सदस्य एवं ‘पाठक मंच’ के सचिव हैं।