भोपाल में दीपेंद्र बघेल स्मृति व्याख्यान
भोपाल,23 मार्च। चिंतक व लेखक दीपेंद्र बघेल की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में प्रख्यात कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी ने कहा कि हिंदी समाज कला व साहित्य से विमुख समाज में बदलता जा रहा है। आज साहित्य व कलाएं समाज का वास्तविक प्रतिपक्ष हैं। आज कला-साहित्य समाज-पोषित नहीं, बल्कि समाज-उपेक्षित है। कला-साहित्य समय को दर्ज करते हैं, वहीं समय का प्रश्नांकन भी करते हैं।

अशोक वाजपेयी ने ‘कला, समय और समाज’ विषय पर अपने उद्बोधन में कहा कि आज संप्रेषण बढ़ गया है, मगर संवाद कम हो गया है। आज लोकतंत्र में रोजाना कटौती हो रही है। हम विस्मृति और दुर्व्याख्या के समय में रह रहे हैं। आज झूठ बोलने वालों की संख्या तो बढ़ रही है, मगर उससे ज्यादा झूठ पर यकीन करने वालों की संख्या बढ़ गई है। झूठ का प्रपंच इतना बढ़ गया है कि हम झूठ के राज में रहते हैं और जहाँ सच अल्पसंख्यक है। उन्होंने कहा कि आज समाज में जो घृणा बजबजा रही है, वह कहाँ छिपी थी। उन्होंने कहा कि आज हम एक-से-पन की तानाशाही के समय में रह रहे हैं। हम एक से झूठ को साझा करते हैं, एक सा संगीत सुनते हैं, हमारे घर एक से हो गए हैं और हम मतभेदों व विभेदों को बर्दाश्त नहीं करते।
अशोक वाजपेयी ने कहा कि विक्टोरियन मूल्यों के साथ भारत आई आधुनिकता ने शास्त्रीयता व आधुनिकता के बीच फांक पैदा कर दी। संगीत व नृत्य शास्त्रीय हो गए और साहित्य, रंगमंच आदि आधुनिक हो गए। आधुनिकता ने कलाओं को एक-दूसरे से अलग कर दिया। कलाएं अपने सर्वोच्च क्षणों में देश व काल का अतिक्रमण करती हैं, और उसी से उसका उत्कर्ष होता है। कलाएं अपने समय में धंस कर ही अपना एक नया समय रचती हैं। कलाकार के पास अपने समय से पलायन करने का विकल्प नहीं है।
कार्यक्रम का अध्यक्षीय संबोधन देते हए प्रख्यात कवि और कथाकार राजेश जोशी ने कहा कि कला व साहित्य की समाज की वर्चस्वी धाराओं के साथ रस्साकशी आज भी चलती है। साहित्यकार व कलाकार को समाज की संवेदनाओं को ग्रहण भी करना है और साथ ही उन पर सवाल भी उठाना है।
कार्यक्रम इकतारा के हॉल में कल शाम को दीपेंद्र मित्र समूह के तत्वावधान में आयोजित किया था। कार्यक्रम में भोपाल के गणमान्य कलाकार, साहित्यकार, पत्रकार, संस्कृति कर्मी, विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित छात्र व युवा बड़ी संख्या में शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन समाज विज्ञानी यमुना सन्नी ने किया। कार्यक्रम को दीपेंद्र बघेल की माँ ने भी संबोधित किया। अंत में राजेश पाठक ने सभी मित्रों की ओर से उपस्थित अतिथियों व श्रोताओं के प्रति आभार प्रदर्शित किया।
