भरपूर उत्पादन और तीखी भुखमरी के बीच की उलटबासी के मैदानी अनुभवों की एक बडी वजह हर साल होती अनाज की बर्बादी और उसके लिए जरूरी भंडारण का अभाव है। अनाज की बर्बादी हमारे यहां सालाना होने वाली एक...
कोरोना संकट के एन बीचम-बीच सरकार ने जून 2020 में किसानों से जुडे तीन अध्यादेश जारी किए हैं। इनमें मंडी, ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य,’ ‘संविदा खेती’ जैसे किसानी मुद्दों का जिक्र करते हुए मौजूदा कृषि-व्यवस्था को कॉर्पोरेट खेती ...
जहां देशी बीज और परम्परागत खेती जिन्दा है, वहां परम्परागत खेती और किसान भी जिन्दा है। स्थानीय मिटटी, पानी के अनुकूल देशी बीजों की परम्परागत विविधता की संस्कृति को सामने लाये जाने और ऐसी परंपरागत खेती की पद्धतियों प्रचलित...
श्रम आधारित गांव की, खेती की संस्कृति की वापसी हो रही है। गांव की पारंपरिक खान-पान संस्कृति बच रही है। इस तरह की मुहिम को आंगनबाड़ी जैसी योजनाओँ से भी जोड़ा जा सकता है। बाड़ियों में सब्जियों की खेती...
कोरोना की चपेट में आए लाखों-लाख श्रमिकों की बदहवास गांव-वापसी इशारा कर रही है कि खेती में आज भी काफी संभावनाएं है। क्या यह बात हमारे नीति-नियंता, सत्ताधारी और नौकरशाह समझ पाएंगे? क्या ‘कोरोना-बाद’ का भारत वापस कृषि-प्रधान हो...
बारहनाजा शब्द आपको किसी शब्दकोश में ढूंढ़ने से नहीं मिलेगा। यह शब्द कृषि विज्ञानियों के मानस में भी नहीं है, किंतु पारंपरिक कृषि विज्ञान के पारखी उत्तराखंड के किसान इसे पीढ़ियों से जानते हैं और समझते हैं। बारहनाजा का...
कोरोना के प्रकोप ने हमारे सामने, भले ही परोक्ष रूप से, विकास की वैश्विक अवधारणा का एक बेहद जरूरी सवाल खडा कर दिया है। यानि विकास के नाम पर आज तक हम जो और जैसा करते रहे थे, वह...
बाजार और उसके लिए विपुल उत्पादन के हल्ले में हमारी खेती धीरे-धीरे अपनी उत्पादकता और गुणवत्ता खोती जा रही है। अब ना तो रासायनिक खाद, दवाओं, कीटनाशकों के दुष्प्रभावों से मुक्त फसलें बची हैं और ना ही उसे पैदा...
जाडा आते-आते देश की राजधानी और उससे सटे इलाके पराली जलाए जाने से पैदा होते धुंए की तकलीफों से दो-चार होने लगते हैं। जमीन को सांस तक नहीं लेने देती आधुनिक ताबड-तोड़ खेती रबी फसलों की कटाई के तुरंत...
गांधी विचार को लेकर बरसों-बरस होशंगाबाद के निटाया गांव में सक्रिय रहे स्व. श्री बनवारीलाल चैधरी के अनेक अनूठे प्रयासों में से एक था-अपने युवा कार्यकर्ताओं की ‘पीठ ठौंकने’ के दर्जे का सम्मान करना। हर साल सामाजिक...