जिन लहरों से हम अब मुख़ातिब होने वाले हैं उनका 'पीक' कभी भी शायद इसलिए नहीं आएगा कि वह नागरिक को नागरिक के ख़िलाफ़ खड़ा करने वाली साबित हो सकती है। जो नागरिक अभी व्यवस्था के ख़िलाफ़ खड़ा है...
सौमित्र चटर्जी इसीलिए आदमकद कलाकार और बेहतरीन इंसान थे क्योंकि उनका अभिनय और जीवन, दोनों अपने समय, समाज और उसकी राजनीति से गहरे जुड़ा हुआ था। एक बड़े लेखक, संपादक, कवि, नाटककार और देश के तीसरे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्मभूषण’...
नागरिकों की नाराज़गी शायद इस बात को लेकर ज़्यादा है कि उनके ‘तात्कालिक भय’ अब उन्हें एक ‘स्थायी भयावहता’ में तब्दील होते नज़र आ रहे हैं। बीतने वाले प्रत्येक क्षण के साथ नागरिकों को और ज़्यादा अकेला और निरीह...
किसान आंदोलन पर भी शिद्दत और नासमझी से सवाल उठाया गया है कि लाखों लोगों के भोजन (लंगर) और दूसरी व्यवस्थाओं का इंतजाम आखिर कैसे और कौन कर रहा है? कुछ अधिक ‘कल्पनाशील’ शहरी इसमें कनाडा, इंग्लेंड, अमरीका और...
किसान और किसानी की इस बदहाली में नीति-निर्माताओं और सत्ताधारियों की उन मान्यताओं ने और रंग चढाया जिनके मुताबिक किसानों की बदहाली कम उत्पादन, बाजारों से दूरी और कृषि-क्षेत्र पर अधिक दबाव के कारण हो रही है। नतीजे में...
पैंसठ सालों के बाद आज भी ‘मोहन’ पानी की तलाश में इधर से उधर भटक रहा है । फ़र्क़ बस यह हुआ है कि बदली हुई परिस्थितियों में स्क्रिप्ट की माँग के चलते ‘मोहन’ अब ‘आसिफ’ हो गया...
वैसे देखा जाए तो बकासुर की यह कथा विज्ञान और तकनीक पर न्यौछावर विद्वानों से लेकर अहर्निश भक्तिभाव में डूबे धर्म-प्राणों तक सभी में कमोबेश मौजूद रहती है। सभी को लगता है कि संकट या समस्या का एकमात्र इलाज...
दुनिया भर की नज़रें यह देखने के लिए अब भारत पर और ज़्यादा टिक जाएँगी कि अपने जीवन में किसी भी तरह की पराजय स्वीकार नहीं करने वाले नरेंद्र मोदी बंगाल के सदमे को किस अन्दाज़ में प्रदर्शित करते...
देश की राजधानी की सीमाओं पर बैठे किसानों में यह विभाजन दिखाई नहीं पड़ता, लेकिन आखिर यह एक ‘आपातकाल’ भर है। बिना किसी बहस-मुबाहिसे के पहले अध्यादेश जारी करके और फिर संसद के दोनों सदनों में पारित करवाकर लाए...
पिछले बडे आंदोलनों को देखें तो दिल्ली का मौजूदा आंदोलन कई मायनों में भिन्न दिखाई देगा। तरह-तरह से उकसावे के बावजूद अपने अहिंसक स्वरूप, जाति-धर्म-वर्ग के हमारे अंतर्निहित विभाजन से परे, सामूहिक नेतृत्व और युवाओं-बुजुर्गों, महिलाओं-पुरुषों आदि को यथायोग्य...