किसान और किसानी की इस बदहाली में नीति-निर्माताओं और सत्‍ताधारियों की उन मान्‍यताओं ने और रंग चढाया जिनके मुताबिक किसानों की बदहाली कम उत्‍पादन, बाजारों से दूरी और कृषि-क्षेत्र पर अधिक दबाव के कारण हो रही है। नतीजे में...
किसान आंदोलन से निकलने वाले परिणामों को देश के चश्मे से यूँ देखे जाने की ज़रूरत है कि उनकी माँगों के साथ किसी भी तरह के समझौते का होना अथवा न होना देश में नागरिक-हितों को लेकर प्रजातांत्रिक शिकायतों...
सत्‍ता और सरकारों के कर्ज-माफी सरीखे टोटकों को किसानों की नजर से देखें तो लगातार बढती किसान आत्‍महत्‍याएं दिखाई देती हैं। जाहिर है, किसानों और राज्‍य व केन्‍द्र की सरकारों के बीच गहरी संवादहीनता है। ऐसी संवादहीनता जिसमें सरकार...
सौमित्र चटर्जी इसीलिए आदमकद कलाकार और बेहतरीन इंसान थे क्‍योंकि उनका अभिनय और जीवन, दोनों अपने समय, समाज और उसकी राजनीति से गहरे जुड़ा हुआ था। एक बड़े लेखक, संपादक, कवि, नाटककार और देश के तीसरे सर्वोच्‍च सम्‍मान ‘पद्मभूषण’...
बराक ओबामा ने वास्तव में अपनी किताब में ऐसा आशय लिए कुछ नहीं कहा है कि गांधी परिवार या कांग्रेस संगठन को शर्मिंदा होना चाहिए। भारत के लोग अपने दूसरे नेताओं के बारे में भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के...
नागरिकों की नाराज़गी शायद इस बात को लेकर ज़्यादा है कि उनके ‘तात्कालिक भय’ अब उन्हें एक ‘स्थायी भयावहता’ में तब्दील होते नज़र आ रहे हैं। बीतने वाले प्रत्येक क्षण के साथ नागरिकों को और ज़्यादा अकेला और निरीह...
पिछली सदी में जहां अनेक देशों ने लोकतंत्र को एक बेहतर शासन-प्रणाली की तरह अंगीकार किया गया था, अब उसी लोकतंत्र की चपेट में पड़े कराह रहे हैं। जगह-जगह लोकतंत्र के नाम पर तानाशाहों, एक-आयामी विचारधाराओं और फर्जी सत्‍ताओं...

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