दुनियाभर में कमोबेश माना जाने लगा है कि या तो कोविड-19 लगभग समाप्त हो गया है या फिर हम उसके साथ जीने के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन हाल के कुछ शोध बता रहे हैं कि कोविड ने...
महामारी के टीके द्वारा हमारा लक्ष्य है कि कम से कम 80 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हो जाए ताकि समाज में एक ‘कवच’ बन जाए और महामारी को फैलने का रास्ता ना मिले। यह एक सार्वजनिक ज़रूरत है। इसे...
पिछले दिनों ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने दुनियाभर में कोविड-19 से हुई मौतों के आंकडे जारी किए हैं। इनमें भारत के आंकडे भी शामिल हैं, लेकिन केन्द्र सरकार ने उन्हें ‘बढा-चढाकर दिए गए आंकडे’ कहकर खारिज कर दिया है। क्या...
दी लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट
एक ताज़ा विश्लेषण के अनुसार विश्व भर में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है। दी लैंसेट में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई)...
हाल ही में किए गए एक व्यापक अध्ययन में पता चला है कि वायरस के ऐसे प्रभाव काफी लंबे समय तक बने रह सकते हैं। अमेरिका के 1.1 करोड़ वृद्ध लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड के विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने...
कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी ने पूंजी को भी खुलकर खेलने की छूट दे दी है। ऐसे में विज्ञान सम्मत, समझदारी की सलाहें दबाई जा रही हैं और मुनाफे की खातिर गैर-जरूरी दवाएं, इलाज और ताने-बाने को तरजीह दी जा...
कहा जाता है कि संकट में समस्याओं से निपटने की असली परीक्षा होती है। इस लिहाज से देखें तो कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बुरी तरह भद्द पिटी है। इलाज के लिए दवाओं, उपकरणों और आक्सीजन...
पिछले डेढ-दो सालों से दुनियाभर को बदहवास रखने वाली कोविड-19 महामारी ने बच्चों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। उनके स्कूलों, खेल के मैदानों, घरों तक में एक ऐसा अनजाना डर पैठ गया है जिसने उनके सहज जीवन को मटियामेट...
सूखे और अकाल के चलते बडी संख्या में पलायन बुंदेलखंड की नियति बन गई है। कोरोना महामारी ने इसे और भी बढा दिया है। क्या हैं, वहां के हालात? अपने लेख के लिए शिवाशीष ने ‘सेंटर फॉर फाईनेन्शियल एकॉउन्टेबिलिटी’...
कोविड-19 के संकट ने एक बात तो उजागर कर ही दी है कि हमारी सरकारें महामारी तक में जरूरी आंकड़े संभाल नहीं पातीं। सरकारी और श्मशान-कब्रिस्तान से जुटाए गए मौत के आंकडों में जमीन-आसमान का अंतर इसकी एक बानगी...