एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार 543 लोकसभा सदस्यों में से 251 (46 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनमें से 27 को दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में चुने जाने वाले आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों...
दुनिया भर के जीवन पर मंडराते जलवायु परिवर्तन और परमाणु हथियारों के खतरों से कैसे निपटा जा सकता है? क्या इसके लिए ‘विश्व-सरकार’ का गठन कारगर हो सकता है? कैसी हो सकती है, ऐसी सरकार? इसी की पड़ताल करता...
संविधान ने पर्यावरण को खासी अहमियत दी है, लेकिन उसे अमल में नहीं लाया जाता या आधे-अधूरे मन से लाया जाता है। संविधान में पर्यावरण को लेकर किये गए प्रावधान इस विषय की ओर संवेदनशीलता दर्शाते हैं। संविधान के...
प्रजातंत्र में निष्पक्ष चिंतन राज्य, सरकार और समाज को सर्वजन-हिताय बनाए रखता है, लेकिन हमारे यहां के मौजूदा पार्टी-प्रधान ढांचे ने पक्षधरता की बेहद कमजोर छवि बनाई है। नतीजे में समूचा तंत्र शिथिल होता जा रहा है। क्या हैं,...
आज के समय में जलवायु परिवर्तन और बेरोजगारी के मुद्दे हमारे सामने मुंह बाए खड़े हैं, इनसे निपटने के लिए सुप्रीमकोर्ट के फैसले भी मौजूद हैं, लेकिन किन्हीं अनजानी गफलतों, हितों या भूल जाने की राष्ट्रीय बीमारी के चलते...
भारत की डेमोक्रेसी को कागज से जमीन पर उतारने की जरूरत इंदौर, 26 नवंबर। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा है कि भारत की डेमोक्रेसी को कागज से जमीन पर उतारने की जरूरत है । हमारे संविधान में देश को धर्मनिरपेक्ष...
अपनी शुरुआत में भले ही प्रजातंत्र ने गहरी असहमतियां झेली हों, लेकिन धीरे-धीरे वह एक ऐसी शासन-प्रणाली बन गया जिसके बिना दुनिया के अधिकांश देश अपने काम-काज नहीं चला पाते। जिन देशों में प्रजातंत्र नहीं है वहां उसे लाने...
लोक-कल्याणकारी राज्य में नागरिकों को दी जाने वाली सुख-सुविधाएं समाज के विभिन्न तबकों की आबादी, हैसियत और जरूरत के आधार पर तय की जाती हैं, लेकिन यदि सरकार और नीति-निर्धारकों के पास इन तबकों की आबादी का ठीक आंकडा...
पिछले महीने गठित देश की ताजा-तरीन 18वीं लोकसभा क्या सचमुच हमारे लोकतंत्र की संरक्षक हो पाएगी? उसके उद्घाटन-सत्र में ही जिस तरह के कारनामे हुए, क्या वे लोकतंत्र में भरोसा करने वाले नागरिकों की अपेक्षाओं पर खरे उतरते दिखते...
राज्य में हुकूमत भाजपा की ही है फिर भी मोदीजी की पार्टी डरी हुई है ? डर का कारण इतना भर है कि चार जून को मोदी जी के सामने मुँह कैसे दिखाना है ! ‘बम कांड’ के कारण...

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