जेपी एक ऊर्जा थे ,रोमांच थे, आत्मीयता से भरी हुई एक प्रतीक्षा थे।आज़ादी के इतिहास को नए सिरे से लिखने की क्रूरता जब किसी दिन थक कर पस्त हो जाएगी, आइंस्टीन जैसा ही कोई संवेदनशील वैज्ञानिक विनोबा और जेपी...
आज़ाद भारत की इन 75 वर्षों की यात्रा बहुत रोमांचक, उत्तेजक, आह्लादक और प्रेरक रही है। लम्बी पराधीनता के बाद स्वाधीन हुए देश के सामने अनगिनत चुनौतियां थीं। यह देश का सौभाग्य है कि इसे अपने स्वाधीन होने के...
अगस्त 1942 से अगस्त 1947 के बीच का करीब पांच साल का दौर हमारे इतिहास का बेहद अहम हिस्सा रहा है। नौ अगस्त 1942 को ‘भारत छोडो’ आंदोलन से लेकर 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने तक भारत समेत...
लोकतंत्र की बदहाली किसी से छिपी नहीं है,लेकिन उसे वापस पटरी पर कैसे लाया जाए?
आजादी के 75 वें वर्ष में कुछ माह के अंतराल से दो अति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय घटनायें हुईं जिनका संबंध देश की सौ प्रतिशत जनता से...
चीन के माओ-त्से-तुंग कुछ-कुछ अंतराल से अपनी विशाल आबादी को व्यस्त रखने की खातिर कोई-न-कोई मुहीम छेडते रहते थे और जनता उसमें पूरे मनोयोग से लग जाती थी। उनकी यह कारगर शासन-पद्धति थी। हमारे यहां भी कुछ ऐसा ही...
सेना में चार साल की भर्ती के लिए प्रस्तावित 'अग्निपथ’ योजना को लेकर खासतौर पर युवाओं में बवाल मचा है। क्या यह हिंसक प्रतिरोध पिछले सालों के सरकार के व्यवहार का प्रतिफल नहीं है? सरकार इसी योजना को सबसे...
लगभग पांच दशक पहले इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल सत्ता के लिए निजी हुलफुलाहट के अलावा राज्य के सर्वशक्तिमान बनते जाने को भी उजागर करता है। क्या होता है, जब राज्य सारे जहां की वैध-अवैध शक्तियां अपने तईं...
भारतीय संसदीय लोकतंत्र भी और राष्ट्र के रूप में भारत भी एक बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहा है. आज 75 साल पुराने संसदीय लोकतंत्र को पटरी पर बनाए रखने तथा उसके विकास की संभावनाओं को पुख्ता करने...
दुनिया के अधिकांश देशों में राज-काज चलाने के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय और सफल प्रणाली लोकतंत्र मानी जाती है, लेकिन क्या वह अपने घोषित उद्देश्यों के मुताबिक अमल में लाई जा रही है? क्या हमारे देश में लोकतांत्रिक प्रणाली कारगर...
सरकारों, मीडिया और नागरिकों से की महात्मा गांधी की पौत्री तारा भट्टाचार्य ने अपील
नईदिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पोती 89 वर्षीय तारा गांधी भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा है कि आज देश में जो कुछ हो रहा है, वह विकट...