चीन के माओ-त्से-तुंग कुछ-कुछ अंतराल से अपनी विशाल आबादी को व्यस्त रखने की खातिर कोई-न-कोई मुहीम छेडते रहते थे और जनता उसमें पूरे मनोयोग से लग जाती थी। उनकी यह कारगर शासन-पद्धति थी। हमारे यहां भी कुछ ऐसा ही...
सेना में चार साल की भर्ती के लिए प्रस्तावित 'अग्निपथ’ योजना को लेकर खासतौर पर युवाओं में बवाल मचा है। क्या यह हिंसक प्रतिरोध पिछले सालों के सरकार के व्यवहार का प्रतिफल नहीं है? सरकार इसी योजना को सबसे...
लगभग पांच दशक पहले इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल सत्ता के लिए निजी हुलफुलाहट के अलावा राज्य के सर्वशक्तिमान बनते जाने को भी उजागर करता है। क्या होता है, जब राज्य सारे जहां की वैध-अवैध शक्तियां अपने तईं...
भारतीय संसदीय लोकतंत्र भी और राष्ट्र के रूप में भारत भी एक बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहा है. आज 75 साल पुराने संसदीय लोकतंत्र को पटरी पर बनाए रखने तथा उसके विकास की संभावनाओं को पुख्ता करने...
दुनिया के अधिकांश देशों में राज-काज चलाने के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय और सफल प्रणाली लोकतंत्र मानी जाती है, लेकिन क्या वह अपने घोषित उद्देश्यों के मुताबिक अमल में लाई जा रही है? क्या हमारे देश में लोकतांत्रिक प्रणाली कारगर...
सरकारों, मीडिया और नागरिकों से की महात्मा गांधी की पौत्री तारा भट्टाचार्य ने अपील
नईदिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पोती 89 वर्षीय तारा गांधी भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा है कि आज देश में जो कुछ हो रहा है, वह विकट...
दुनियाभर के मीडिया पर नजर रखने वाले वैश्विक एनजीओ ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ की हाल में आई बीसवीं रिपोर्ट ने भारत में मीडिया के कामकाज को लेकर कई कठिन सवाल खडे कर दिए हैं। सरकार हमेशा की तरह इस रिपोर्ट...
पांच राज्यों की विधानसभाओं के आसन्न चुनावों में हमेशा की तरह वे सभी धतकरम किए जा रहे हैं जिन्हें हमारे मौजूदा तर्ज के लोकतंत्र ने आत्मसात कर लिया है, लेकिन क्या इस धमा-चौकडी में हमारे जीवन के लिए जरूरी...
हमारे समय का मीडिया शायद सर्वाधिक सवालों का सामना करने वाला मीडिया है। इक्का-दुक्का उदाहरणों को छोड दें तो चहुंदिस उसे लेकर एक नकारात्मक छवि ही दिखाई पडती है। ऐसे में मीडिया की सबसे महत्वपूर्ण कडी की बदहाली में...
73वें गणतंत्र दिवस पर विशेष
साल, हर साल नया होता है, लेकिन, जैसा मुक्तिबोध कहते हैं, ‘जो है, उससे बेहतर’ नहीं हो पाता। क्यों? क्या हमारे सोच और उसके अमल में ही कोई खोट है? या कि इसे कर पाने...