बुनियादी मुद्दों पर सत्ता की यह अनदेखी समाज से उसकी बढ़ती हुई दूरी को ही उजागर करती है। आजादी के बाद से लगाकर आज तक का हमारा राजनैतिक इतिहास सत्ता और समाज के बीच की इस बढ़ती दूरी का...
सरकारें जब असरकारी काम नहीं कर पाती तो लोगों को चुप्पी तोड़ बोलना होता है। लोगों की आवाज व्यवस्था तंत्र को असरकारी बनाने में मदद करती है। अभिव्यक्ति की आजादी मानसिक गुलामी को खत्म कर लोक चेतना का विस्तार...
73वें ‘स्वतंत्रता दिवस’ (15 अगस्त) पर विशेष
व्यक्ति के ब्याह और जन्म आदि की वर्षगांठ की तरह किसी देश की आजादी की वर्षगांठ में अव्वल तो खुशी और समारोह होना ही चाहिए, लेकिन फिर इन अवसरों पर आत्म–समीक्षा भी की जानी चाहिए...
आजादी बहुत अधिक सजगता की मांग भी करती है। अक्सर तो हमें इसका अहसास भी नहीं होता कि वह वास्तव में हम आजाद नहीं या फिर जिसे आजादी समझ रहे हैं वह गुलामी का ही एक परिष्कृत रूप है।...
73वें ‘स्वतंत्रता दिवस’ (15 अगस्त) पर विशेष
स्वाधीनता, स्वावलंबन और भय-मुक्ति मानव सभ्यता की बुनियाद हैं। इन्हें साधना, एक सम्पन्न समाज और सभ्यता के निर्माण के लिए बेहद जरूरी है। प्रस्तुत है, इसी विषय पर प्रकाश डालता अनिल त्रिवेदी का यह लेख।
आज़ादी, स्वाधीनता, फ्रीडम, स्वतंत्रता...
दुनियाभर की सत्ताएं खुद को और-और मजबूत करने में लगी हैं और ऐसा करते हुए उन्हें इंसानी बिरादरी के गर्त में जाने का भी कोई भान नहीं है। सत्ता-लोलुपता की इस भीषण जद्दो-जेहद में लोकतंत्र सर्वाधिक प्रभावित हो रहा...
घुमावदार लोकतंत्र के रेत में से तेल निकालने वाले बिन पेंदी के महारथी विधायक जब इस्तीफा देकर मंत्री बन कर दोबारा चुनाव में आते हैं तो अपनी विचारधारा में परिवर्तन के ऐसे-ऐसे कुतर्क जनता के सामने रखते हैं, की...
जिस लोकतंत्र की कसमें खाकर हम अपने तमाम अच्छे-बुरे, निजी-सार्वजनिक काम निकालते रहते हैं और किसी दूसरी राजनीतिक जमात के सत्ता पर सवारी गांठने से जिस लोकतंत्र की हत्या होना मान लिया जाता है, ठीक उसी लोकतंत्र की एन...
बुखार और आपातकाल दोनों ही सूचना देकर नहीं आते। लक्षणों से ही समझना पड़ता है। वैसे भी अब किसी आपातकाल की औपचारिक घोषणा नहीं होने वाली है। सरकार भी अच्छे से जान गई है कि दुनिया के इस सबसे...
अनिल त्रिवेदी
बहत्तर साल के लोकतंत्र में भारत के नागरिकों में लोकतांत्रिक नागरिक संस्कार और नागरिक दायित्वों की समझ और प्रतिबध्दता का स्वरूप कैसा हैं? इस सवाल का उत्तर ही तय करेगा भारत के नागरिक अपने जीवनकाल में नागरिक दायित्व...