आज पांचवें दिन किम में पहुंची सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा 22 अक्‍टूबर। गांधीजनों ने साबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव की कोशिश के विरोध में वर्धा (महाराष्ट्र) के सेवाग्राम आश्रम से गुजरात के साबरमती आश्रम तक चल रही ‘सेवाग्राम साबरमती...
सम्‍मेलन का घोषवाक्य  होगा ‘शांति और न्याय के लिए युवा’ जौरा, मुरैना (म.प्र.)। 48 वें अखिल भारतीय सर्वोदय समाज सम्मेलन का आयोजन 14, 15,16 अप्रैल 2022 को जौरा (मुरैना) में होने जा रहा है। दारूण कोरोना काल की भीषण त्रासदी के दो...
गांधी के विचार आज के दौर में कितने कारगर हैं? उनका पालन करके क्या हम वापस पुराने समय में तो नहीं चले जाएंगे? गांधी की सीख को लेकर उठने वाले ये सवाल मौजूदा समय में सर्वाधिक प्रासंगिक और जरूरी...
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे विनोबा जयंती : 11 सितंबर भूदान आंदोलन के प्रणेता संत विनोबा का जन्म 11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के गागोदा ग्राम में हुआ। उन्होंने दस वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया और सन् 1916 में गृहत्याग...
सर्व सेवा संघ परिसर, राजघाट से पुनर्निर्माण का संकल्प, सत्याग्रह आगे भी जारी रहेगा वाराणसी, 19 दिसंबर। न्याय के दीप जलाएं-सौ दिनी सत्याग्रह के आज समापन दिवस पर सत्याग्रहियों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी के प्रपौत्र एवं...
बॉम्बे सर्वोदय मंडल और गांधी रिसर्च फॉउन्डेशन अभी 12 मार्च को गुजरी 92 वीं सालगिरह के बाद, आज भी ‘नमक सत्याग्रह’ हमारे इतिहास के उस मोड की याद दिलाता है जिसने आजादी के अहिंसक आंदोलन को एक नई जीवनी प्रदान...
27 नवंबर । जाने माने गांधी विचारक एवं विसर्जन आश्रम, इंदौर के ट्रस्‍टी, योगाचार्य श्री किशोर गुप्ता का आज सुबह हृदयगति रूकने से निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। आज सुबह उन्‍हें बैचेनी महसूस होने पर नजदीक...
राममनोहर लोहिया ने जिन्हें ‘सरकारी’ और ‘मठी’ गांधीवादी कहा था उनमें से अधिकांश ने अपने निजी और सार्वजनिक व्यवहार से गांधी को एक बेहद नीरस, कला विरोधी और मालवी में कहें तो लगभग ‘सूमडा’ की तरह स्थापित किया है।...
ऐसा कहा और माना जाता है कि मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी में तब्दील होने का अधिकांश श्रेय उनकी पत्नी कस्तूरबा को जाता है। कैसा था, गांधी के संग-साथ का उनका जीवन? कैसे वे खुद कस्तूर बाई से...
गांधी के विचारों की प्रासंगिकता हमारे समय में लगातार, रोज-ब-रोज बढती जा रही है। उनके विचार जो उनके ही मुताबिक उनके व्यवहार में से निकले थे, अब बहुत जरूरी होते जा रहे हैं। क्या इन्हें आज की दुनिया अंगीकार...

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