पिछले कुछ सालों से लगातार सूखे की मार झेलते बुंदेलखंड में अब पानी देने वाले जंगलों पर खतरा मंडराने लगा है। यह खतरा समाज के बेहद छोटे, ऊपरी अमीर तबके की हीरे की हवस के रूप में आया है।...
कोविड-19 महामारी के इस दौर में जिस अदृश्य, अ-स्पर्शनीय, गंधहीन और केवल महसूस की जाने वाली प्राणवायु यानि ऑक्सीजन की शिद्दत से जरूरत महसूस की जा रही है, वह अपने आसपास की वनस्पतियों, पेडों में भरपूर मौजूद है। लेकिन...
भारतीय उप-महाद्वीप की ज्ञान-परंपराओं में किसी भी जीवधारी की जीवन-मृत्यु पूर्व निर्धारित मानी जाती हैं, लेकिन अब आधुनिक विज्ञान भी इसे मानने लगा है। ताजा शोधों ने उजागर किया है कि प्रकृति में बेजा मानवीय हस्तक्षेप के चलते यह...
विश्व जैव विविधता दिवस या विश्व जैव विविधता संरक्षण दिवस 22 मई को मनाया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रारंभ किया था। सन् 2010 को जैव विविधता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया था। "जैव विविधता एक...
चीन वैश्विक उत्सर्जन के एक चौथाई से ज़्यादा के लिए ज़िम्मेदार है। चीन ने 2060 तक नेट ज़ीरो को हासिल करने,2030 तक उच्चतम उत्सर्जन तक पहुंचने और 2025 के बाद कोयले के उपयोग को कम करने के लिए...
रोजमर्रा के जीवन में उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक से बनी मामूली नली यानि स्ट्रा हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती है? क्या कम वजन के कारण ‘री-साइकल’ नहीं हो पाने से स्ट्रा प्रदूषण में इजाफा भी करती...
मशहूर प्रकृतिवादी और प्रसारक सर डेविड एटनबरो आज 95 साल के हो गए
प्राकृतिक इतिहासकार डेविड एटनबरो अपने बीबीसी प्रकृति वृत्तचित्रों के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं। वह एक प्राकृतिक इतिहासकार और एक अंग्रेजी प्रसारक हैं। प्राकृतिक दुनिया के...
जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय भारत में उष्णकटिबंधीय चक्रवात बढ़ रहे हैं, अनियोजित विकास इन शहरों की भेद्यता में इजाफा करता है। उदाहरण के लिए, पिछले एक दशक में भारत में बाढ़ से 3 अरब डॉलर की आर्थिक...
मार्च का यह महीना पर्यावण के लिहाज से इसलिए भी अहम है क्योंकि पर्यावरण से गहरे जुडे कई मुद्दों की याद दिलाने वाले ‘दिवस’ इसी महीने में पडते हैं। सवाल है कि पूरे जोश-खरोश के साथ मनाए जाने वाले...
बाढ़ आना एक सामान्य प्राकृतिक आपदा है किन्तु प्रकृति के विरुद्ध किए जा रहे मानवीय क्रियाकलापों के कारण बाढ़ की तीव्रता, परिमाण और विध्वंसता अत्यधिक बढ़ गई है। यदि हम प्रकृति के साथ ताल मेल बैठाकर चले तो बाढ़...