हर साल की तरह इस साल भी वैज्ञानिकों ने ‘न भूतो, न भविष्यति’ की तर्ज पर तापक्रम बढने की चेतावनियां दी हैं, लेकिन लगता है, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पडता। यदि पडता, तो कम-से-कम हमारे शहर और...
‘विश्व पर्यावरण दिवस’ (5 जून) पर विशेष
हर साल पर्यावरण दिवस के बहाने हम लगातार बदहाल होते अपने परिवेश का लेखा-जोखा तो कर लेते हैं, लेकिन उसे लेकर गंभीरता से कोई पहल नहीं करते। क्या हमारा यह व्यवहार प्रकृति, पर्यावरण और...
हाल ही में जलवायु मॉडलों की मदद से किए गए कुछ अध्ययनों के निष्कर्ष प्रकाशित हुए हैं। एक अध्ययन का दावा है कि आर्कटिक वर्षा अपेक्षा से काफी पहले 2060 के दशक तक ही प्रभावी हो जाएगी जबकि एक...
देशभर में जलस्रोतों को जिस हिंसक क्रूरता के साथ ध्वस्त किया जा रहा है, उससे एक समाज की हैसियत से अपने आत्महंता होने की तस्दीक तो होती ही है। बेंगलुरु समेत मुम्बई, चेन्नई, पुणे, दिल्ली, कोलकता, इंदौर, भोपाल जैसे...
सब जानते हैं कि भारत, खासकर उत्तर भारत के प्राकृतिक वजूद के लिए हिमालय का होना कितना जरूरी है, लेकिन तिल-तिल मरते हिमालय को बचाने की पहल कोई नहीं करता। कभी, कोई वैज्ञानिक या स्थानीय समाज इसको लेकर आवाज...
बारामासी सडक से लगाकर बडे बांधों तक विकास के लगभग सभी आधुनिक कारनामों के अलावा उत्तराखंड के जंगलों में आग एक भीषण प्राकृतिक संकट है। इसकी चपेट में हर साल कई इलाकों के विशाल जंगल होम हो जाते हैं।...
अध्ययन का अनुमान है कि नए वायरस के संचरण की संभावना सबसे अधिक तब होगी जब बढ़ते तापमान के कारण जीवों का प्रवास ठंडे क्षेत्रों की ओर होगा और वे स्थानीय जीवों के संपर्क में आएंगे। यह संभावना...
हर साल की तरह अब फिर पानी पर परामर्श का मौसम शुरु हो गया है और हमेशा की तरह हम फिर पानी बचाने, संवारने, संरक्षित करने की तमाम-ओ-तमाम नेक सलाहों को ‘दूसरे कान’ से निकालने के लिए तैयार भी...
उत्तरी भारत के तमाम हिस्सों में फ़िलहाल लगभग हर कोई इस वक़्त एक जानलेवा ताप लहरों (हीटवेव) का अनुभव कर रहा है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि भारत समेत पाकिस्तान में भी जानलेवा हीटवेव तैयार हो रही है। ये वो इलाका है जहां दुनिया के हर पांच...
दुनिया भर में कोयला आधारित ऊर्जा के लिए उदासीनता बढ़ रही है। स्थापित किए जा रहे कोयला पावर प्लांट्स में भी गिरावट दर्ज की जा रही है।
यह तथ्य ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की वार्षिक 'बूम एंड बस्ट' रिपोर्ट से सामने आए...