दुनियाभर के लिए मोटापा कितना गंभीर रोग बनता जा रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया में हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे का शिकार है। स्वास्थ्य को लेकर जारी कई रिपोर्ट...
नई दिल्ली/इंदौर, 21 मार्च। सर्वोच्च न्यायालय ने देशभर में अनैतिक क्लिनिकल परीक्षणों से जुड़े मामलों की गंभीरता को स्वीकार करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल किया जाए। यह निर्देश स्वास्थ्य...
आधुनिक विकास के नाम पर जिन ‘भस्मासुरों’ को बनाया, बढ़ाया जा रहा है, प्लास्टिक उनमें से एक है। कुल-जमा सौ-सवा सौ साल पहले ईजाद किया गया यह कारनामा आज प्रकृति-पर्यावरण और इंसानों के अस्तित्व के लिए संकट बन गया...
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ (8 मार्च)
वैसे तो बेहतर स्वास्थ्य समूचे समाज की बुनियादी जरूरत है, लेकिन महिलाओं के लिए इसकी खासी अहमियत है। अव्वल तो वे अपने भीतर जीवन रचती हैं, नतीजे में उनकी शारीरिक बनावट बेहद पेचीदी रहती है। दूसरे, हमारे...
जन स्वास्थ्य सम्मान 2024 से डॉ. घनश्याम दास वर्मा और कैलाश मीणा सम्मानित
भोपाल, 6 मार्च। ग्यारहवीं डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर (डॉ.) रमा वी. बारु ने स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा में हो...
इलाज और दवाओं के लिए लिखी जाने वाली डॉक्टरों की पर्ची अक्सर न तो इलाज के बारे में मरीज या उसकी तीमारदारी में लगे लोगों को कुछ स्पष्ट बता पाती है और न ही दवा-विक्रेताओं को। ऐसे में हाल...
27 फरवरी 2025, भोपाल/इंदौर। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संदीप यादव ने भोपाल में सम्पन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में मेडिकल कॉलेज, प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सिविल अस्पतालों को निजी और जन भागीदारी (PPP) के तहत संचालित...
गंगा मुक्ति आंदोलन की 43वीं वर्षगांठ
भागलपुर के कहलगांव क्षेत्र के लोग,जीव–जन्तु और वनस्पति जगत एनटीपीसी से उत्सर्जित राख के प्रदूषण का कहर झेलने को अभिशप्त हैं। बॉटम ऐश के साथ फ्लाई ऐश मिश्रित होकर कहलगांव, पीरपैंती से सबौर तक...
श्री काशिनाथ त्रिवेदी स्मृति व्याख्यान : सक्षम भारत में बाल शिक्षा का महत्व
इंदौर 16 फरवरी। किसी भी देश की समृद्धि और प्रगति का आधार वहां की शिक्षा प्रणाली होती है और भारत जैसे विशाल युवा जनसंख्या वाले देश के...
भांति-भांति की सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक समस्याओं के अलावा खुद के मुकाबले मरीजों की बढ़ती संख्या डॉक्टरों को गहरे तनाव का शिकार बना रही है। नतीजे में जीवन देने वाले डॉक्टर खुद अपनी जान लेने को उतारू हो रहे हैं। आखिर क्यों...