पुण्य स्मरण : नौ अप्रैल
पत्रकारिता जब वैचारिक रूप से अपनी विपन्नता के सबसे खराब दौर से गुज़र रही हो ,संवाद-वाहकों ने खबरों के सरकारी स्टॉक एक्सचेंजों के लायसेन्सी दलालों के तौर पर मैदान सम्भाल लिए हों, मीडिया पर सेंसरशिप...
पृथ्वी पर चौबीस घंटे उल्का पिंड गिरते रहते हैं लेकिन उनका आकार बड़ा नहीं होता। पिछले सप्ताह मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ में हुए मेटोर शॉवर समूह में था, जो आकाश में दिखाई दिया। उल्कापिंड पुच्छल तारे के रूप में होते...
डर अब ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ देखने को लेकर नहीं बल्कि इस बात पर सोचने से ज़्यादा लग रहा है कि अब अगर विभाजन की ‘वास्तविकता’ पर फ़िल्में बनाईं गईं तो वे कैसी होंगी? क्या विभाजन की त्रासदी पर (...
हर इतिहास के काले व सफेद पन्ने होते हैं, कुछ भूरे व मटमैले भी. वे सब हमारे ही होते हैं. कितनी फाइलें खोलेंगे आप ? दलितों-आदिवासियों पर किए गए बर्बर हमलों की फाइलें खोलेंगे ? आप थक जाएंगे इतनी...
भले ही गरम पानी के समुद्री रास्ते की रूस की जरूरत, यूक्रेन के ‘नाटो’ में जाने, ना जाने देने की जिद और अमरीका-रूस की पारंपरिक दुश्मनी रूस-यूक्रेन के मौजूदा युद्ध की वजहें हों, लेकिन ध्यान से देखें तो इसके...
सवाल अब बुर्के या हिजाब के पहनने या नहीं पहनने का ही नहीं बल्कि यह भी बन गया है कि क्या एक विचारधारा विशेष के प्रति प्रतिबद्ध उत्तेजक भीड़ ही यह तय करने वाली है कि किसे क्या पहनना...
क्या किसी को याद है कि राजधानी में ही एक ज्योति और भी जल रही है? बापू की समाधि राजघाट पर जलती ज्योति क्या यह कह बुझाई जाएगी कि स्वतंत्रता के शहीदों का एक नया स्मारक हम बना रहे...
सकारात्मक पत्रकारिता की तरह इन दिनों निष्पक्ष पत्रकारिता का चलन बढा है और जिस तरह सकारात्मक पत्रकारिता के नाम पर, अक्सर सत्ता-प्रतिष्ठानों की चापलूसी फल-फूल रही है, ठीक उसी तरह खुलेआम एक खास विचारधारा और सरकार की पक्षधरता के...
पिछले कुछ समय से एक नया विमर्श और सामने आया है कि जनता को मुफ्तखोर नहीं बनाया जाना चाहिए। इस विमर्श के पैरोकार, जहां भी उन्हें मौका मिलता है, पिछली सरकारों द्वारा हम सब में पनपाई गई इस तथाकथित...
विश्वभर के विभिन्न देशों, समाजों में नववर्ष मनाने की अपनी-अपनी भिन्न-भिन्न परम्पराएं हैं। साल के समाप्त होने और नए साल के शुरु होने के उत्सव कैसे मनाए जाते हैं? प्रस्तुत है विभिन्न देशों में नववर्ष मनाने की झलकियां।
विश्व...