प्रजातंत्र में निष्पक्ष चिंतन राज्य, सरकार और समाज को सर्वजन-हिताय बनाए रखता है, लेकिन हमारे यहां के मौजूदा पार्टी-प्रधान ढांचे ने पक्षधरता की बेहद कमजोर छवि बनाई है। नतीजे में समूचा तंत्र शिथिल होता जा रहा है। क्या हैं,...
साढ़े सात दशकों के हमारे संविधान को लेकर इन दिनों भारी उथल-पुथल मची है। एक पक्ष मानता है कि भारत सरीखे बहुलतावादी देश में संविधान ही है जिसने सभी को समानता की बुनियाद पर जोड़कर रखा है। एक और...
इस समय विश्व में लगभग 13000 परमाणु हथियार है जो मनुष्यों समेत धरती के अधिकांश जीवों को अनेक बार नष्ट करने के लिए पर्याप्त हैं। सबसे बड़े दुख और आश्चर्य की बात है कि ऐसी खतरनाक स्थितियों की जानकारी...
मौजूदा विकास की विडंबना है कि इसमें भीषण भुखमरी और असीमित सम्पन्नता एक साथ फलती-फूलती हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में पांचवें पायदान पर खड़े हमारे देश में करीब अस्सी फीसदी आबादी सरकारी दया की मार्फत मिलने वाले पांच किलो...
पतित-पावनी, जीवन-दायिनी कही जाने वाली गंगा सरकार और ठेकेदारी में लगे सेठों की अकूत कमाई का साधन भी बन गईं हैं। पिछले कुछ दशकों से गंगा की सफाई के नाम पर लाखों करोड रूपए पानी की तरह बहाए जा...
चारों तरफ़ भय और आतंक का माहौल है। नई-नई सत्ताएँ आए दिन प्रकट हो रही हैं जो नागरिकों को डरा रही हैं। सत्ता प्रतिष्ठान या तो नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने में निकम्मा साबित हो रहा है या फिर...
10 दिसम्बर : मानवाधिकार दिवस समाज में मानवाधिकारों के होने वाले उल्लंघन के प्रति अगर मानव ही जागरूक नहीं है तो फिर इनका औचित्य क्या है? देखे तो पता चलेगा की कितने मानवाधिकारों का हनन मानव के द्वारा ही...
पूंजी के फलने-फूलने के तौर-तरीकों में एक है, इंसानों को इंसानियत से बेदखल करके उन्हें मशीनों में तब्दील कर देना। मानवीय गुणों से वंचित मशीन-रूपी इंसान पूंजी के उत्पादन और मुनाफा कूटने के लिए बेहद मुफीद होता है। क्या...
इन दिनों दुनियाभर को हलाकान करने वाले दो भीषण युद्धों में से एक,इजरायल और मध्य-पूर्व के देशों का है। इजरायल, जिसने हिटलर के हाथों अभी पिछली सदी में ही मानव इतिहास की भीषणतम त्रासदी झेली है,एक मदमस्त गुण्डे की...
प्रकृति प्रदत्त ज्ञानेंद्रियों और मनुष्य की सृजनात्मक एवं विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों की निरन्तर जुगलबंदी ने आज की दुनिया को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है कि जहां तक पहुंच कर हम समूची सभ्यता की सृजनात्मक शक्ति बढ़ा और नष्ट-भ्रष्ट...

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