जब देश को ही सरकार से कुछ जानने की ज़रूरत नहीं पड़ी है तो फिर राहुल गांधी अकेले को चीनी हस्तक्षेप और पीएम कैयर्स फंड आदि की जानकारी को लेकर अपना करियर और कांग्रेस का भविष्य दांव पर क्यों...
देश एक ऐसी व्यवस्था की तरफ़ बढ़ रहा है जिसमें सब कुछ ऑटो मोड पर होगा। धीरे-धीरे चुनी हुई सरकारों की ज़रूरत ही ख़त्म हो जाएगी।।जनता की जान की क़ीमत घटती जाएगी और ग़ुलामों की तरह बिकने को तैयार...
दुनियाभर की सत्‍ताएं खुद को और-और मजबूत करने में लगी हैं और ऐसा करते हुए उन्‍हें इंसानी बिरादरी के गर्त में जाने का भी कोई भान नहीं है। सत्‍ता-लोलुपता की इस भीषण जद्दो-जेहद में लोकतंत्र सर्वाधिक प्रभावित हो रहा...
भाजपा की गंगा में एक तरफ़ तो कांग्रेसी विचारधारा की नहरों का पानी मिल रहा है और दूसरी तरफ़ मंत्रालयों का काम राज नेताओं की जगह सेवा-निवृत नौकरशाहों के हवाले हो रहा है। यानि पार्टी का पारम्परिक नेतृत्व अपनी...
विश्व बिरादरी में तिब्बत को न्याय कब मिलेगा इस प्रश्न का समाधान नहीं निकल पा रहा है। महामहिम दलाईलामा तिब्बत के लिए प्रभुसत्ता के बजाय केवल स्वायत्तता पर ही समझौता करने पर सहमत हैं। इस सूरत में चीन...
क्या जनता से भी पूछ लिया गया है कि वह पाकिस्तान के साथ केवल युद्ध और चीन के साथ सभी विकल्पों के लिए अपने आप को तैयार रखे ? युद्ध या बातचीत के बारे में क्या वे ही लोग...
देश की जनता को तो अभी भी सबकुछ साफ़-साफ़ बताया जाना शेष है। ऐसा होने वाला है कि जनता का ध्यान लद्दाख घाटी से हटाकर किसी नए संकट के लॉक डाउन में क़ैद कर दिया जाएगा ? प्रधानमंत्री के...
भारत-चीन सीमा विवाद और गलवन घाटी हिंसा राजेन्द्र सिंह चीन उन सभी मौका पर आगे आता है, जहां उसे दिखावटी नाम व प्रसिद्धि मिल सके और व्यवसाय में पैसा मिल सके। पैसा और प्रसिद्धि का भूखा चीन लेकिन अब दोनों ही...
चीन और पाकिस्तान के साथ अब तक हुई लड़ाइयों के अनुभव यही रहे हैं कि एक स्थिति के बाद नागरिक सरकार-आधारित स्रोतों को पूरी तरह से अविश्वसनीय मानने लगते हैं और सही सूचनाओं के लिए बाहरी स्रोतों पर ज़्यादा...
लल्जाशंकर हरदेनिया दुनिया के सर्वाधिक सम्‍पन्‍न और लोकतांत्रिक कहे जाने वाले देश अमरीका में वहां के अश्‍वेत नागरिकों के साथ जैसा व्‍यवहार हो रहा है, उसकी एक बानगी अभी डेढ हफ्ते पहले अमरीकी शहर मिनियोपोलिस में देखने को मिली। वहां...

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