भारत में घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और गैर-अधिसूचित जनजातियों के संरक्षण और भविष्य की योजनाओँ पर विचार विमर्श की प्रक्रिया चल रही है। गैर-अधिसूचित जनजातियों, घुमंतू जनजातियों और अर्ध-घुमंतू जनजातियों को भी गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। ऐसे समुदायों...
आजादी के पचहत्तार साल में वन अधिकार पर अब जाकर कुछ बातें हो रही हैं और परंपरागत वनवासियों को कहीं-कहीं पट्टे दिए भी जा रहे हैं, लेकिन कुछ आदिवासी इलाके ऐसे हैं जहां जंगल को बचाने का विवेक...
नियामगिरी सुरक्षा समिति के आदिवासी नेताओं और समर्थकों के खिलाफ़ यू.ए.पी.ए - एफ.आई.आर और बेबुनियाद आरोप खारिज करने की मांग   मुंबई, 22 अगस्‍त। देशभर के 20 राष्ट्रीय नेटवर्क / संगठनों, 40 जन संगठनों और 350 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ताओं,...
करीब सवा चार दशक पहले, जब पर्यावरण दुनिया के सामने एक आसन्न संकट की तरह उभर रहा था, भारत में ‘वन (संरक्षण) अधिनियम-1980’ बनाया गया था। अब विकास की बगटूट भागती अंधी दौड़ के सामने पर्यावरण ओझल होता...
जवाबदेही सुनिश्चित करने और हिंसाग्रस्त राज्य में शांति और न्याय की बहाली सुनिश्चित करने का अनुरोध 23 जुलाई, 2023। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) समेत देश भर के सैकड़ों आंदोलनों और संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हुए करीब 3,200 से...
सर्व सेवा संघ ने की मणिपुर की जनता से शांति एवं सहिष्णुता की अपील सेवाग्राम, 21 जुलाई । सर्व सेवा संघ (अखिल भारत सर्वोदय मंडल) के प्रबंधक ट्रस्टी महादेव विद्रोही ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि Manipur मणिपुर पिछले कई...
माधुरी कृष्णस्वामी पर जिला बदल की कार्रवाई अन्यायपूर्ण : नर्मदा बचाओ आंदोलन बडवानी, 20 जुलाई। बुधवार को बड़वानी में आदिवासियों के बीच कार्यरत जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में हजारों आदिवासी महिला एवं पुरुषों ने संगठन सहयोगी सामाजिक कार्यकर्ता...
वन कटाई और अत्याचार के खिलाफ आदिवासियों के हित में लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बहन को किया जिला बदर BURHANPUR, 8 जुलाई। शु्क्रवार को जिला कलेक्टर, बुरहानपुर द्वारा जागृत आदिवासी दलित संगठन की प्रमुख एवं ख्‍याननाम सामाजिक कार्यकर्त्‍ता माधुरी...
अपने तरह-तरह के जैविक, सामाजिक और प्राकृतिक उपयोगों के आलावा आजकल जंगल व्यापार-धंधे में भी भारी मुनाफा कूटने के काम आ रहे हैं। इसमें सेठों, सरकारों की बढ़-चढ़कर भागीदारी हो रही है। कैसे किया जाता है, यह कारनामा? और...
झारखंड के मधुपुर इलाके में बरसों से गैर-दलीय राजनीतिक-सामाजिक कार्य में लगे घनश्याम ने हाल में अपने करीब आधी सदी के अनुभवों पर एक किताब लिखी है। जाहिर है, इसमें तरह-तरह के खट्टे-मीठे अनुभवों, विपरीत परिस्थितियों के साथ-साथ कठिन...

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