महाराष्ट्र– कर्नाटक के ठेकेदार एवं फ़ैक्ट्ररी मालिकों द्वारा बंधुआ मजदूरी में धकेले जा रहे है प्रदेश के आदिवासी बड़वानी। गहराते कृषि संकट, बेरोजगारी और महंगाई के कारण अपना गुजारा करने के लिए मध्‍यप्रदेश के लगभग 250 मजदूर-आदिवासियों को जागृत आदिवासी...
वन पंचायत संघर्ष मोर्चा की मतदाताओं, प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों से अपील जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय समाज के हकों के सवाल ने उत्तराखंड राज्य को जन्म दिया था, परंतु इतने संघर्षों के पश्चात राज्य में यह हक निरंतर घटते...
वन अधिकार कानून को लेकर एकता परिषद का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू भोपाल, 7 दिसंबर । वन मान्यता अधिनियम के लागू होने के 15 वर्षों के बाद भी वंचित आदिवासी समुदाय अपने हक और अधिकार से महरूम है। इन...
जनजातीय गौरव दिवस’ (15 नवम्बर) मध्यप्रदेश सरकार को करीब ढाई दशक पहले संसद में पारित ‘पेसा कानून’ की अब जाकर सुध आई है। पांच महीने पहले ‘पेसा’ के नियम-कानूनों का दस्तावेज तैयार करके उस पर संबंधित विभागों की राय मांगी गई,...
बसनिया बांध को निरस्त करने हेतु विधायक मर्सकोले ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र नर्मदा नदी पर बनने वाले छोटे बडे बांधों की श्रृखंला में मंडला के बसनिया बांध को पूर्व में निरस्‍त कर दिया गया था। लेकिन हाल ही...
अपने आकार के करीब एक चौथाई इलाके में जंगल वाले मध्यप्रदेश में नए अभयारण्यों का प्रस्ताव आया है। ऐसे में उन लोगों को क्या होगा जो इन जंगलों को अपना माई-बाप मानकर उन पर निर्भर जीवन जीते और एन...
9 अगस्त : विश्व आदिवासी दिवस जल, जंगल और जमीन को परंपराओं में भगवान का दर्जा देने वाले आदिवासी बिना किसी आडंबर के जंगलों और स्वयं के अस्तित्व को बचाने के लिए आज भी निरंतर प्रयासरत है। यह समुदाय परंपराओं...
आधुनिक कथित वैज्ञानिक वानिकी की एक खासियत यह भी है कि वह पीढियों से चले आ रहे वनों के कारगर, परम्परागत प्रबंधन को अनदेखा करते हुए उन्हें लगभग मूर्खतापूर्ण ढंग से खारिज करती है। उत्तराखंड में भी करीब नौ...
हूल क्रांति दिवस : 30 जून हूल क्रांति दिवस 30 जून को मनाया जाता है। इसे संथाल विद्रोह भी कहा जाता है।‘संथाल हूल’ के नाम से झारखंड, ओडिशा, बंगाल, बिहार, असम के अलावा देश-विदेश में भी हूल दिवस मनाया जाता...
पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 की दूसरी लहर के हल्की पडने की खबरें आ रही हैं और तमाम सरकारी, गैर-सरकारी लवाजमा अब तीसरी लहर की तैयारी में जुट गया है, लेकिन क्या हमारे सुदूर गांव-देहातों और आदिवासी इलाकों में...

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