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वन्‍य जीव एवं जैव विविधता

गोरैया को बचाना केवल पर्यावरण की नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं और संस्कृति की भी जरूरत है। यह चिडिय़ा हमारे बचपन की साथी रही है, हमारे आंगन की रौनक रही है। इसे वापस लाना है तो इसके लिए हमें अपने...
यह कदम सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के स्पष्ट आदेशों का उल्लंघन बडवानी, 13 जनवरी । मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। विभाग ने हाल ही में नर्मदा नदी पर मेघनाथ...
यह जानने के लिए किसी रॉकेट-साइंस की जरूरत नहीं है कि इंसानी वजूद के लिए वन और उनके साथ पर्यावरण का संरक्षण कितना जरूरी है, लेकिन सरकार से लेकर समाज तक का कोई भी तबका इसे अपेक्षित अहमियत देता...
पिछले 2 महीनों से 3 लाख आबादी वाले लद्दाख की 10 प्रतिशत आबादी यानि 30 हज़ार से भी ज़्यादा लोग, अपने जल-जंगल-जमीन, पर्यावरण, अपने रोजगार और समाज और अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं! लद्दाख की 90% आबादी...
पक्षियों और आसपास के जीव-जन्तुओं को जानना-समझना इंसानी वजूद के लिए बेहद उपयोगी होता है, लेकिन आजकल की आपाधापी में हम इसे भूलते जा रहे हैं। पक्षियों से कैसे दोस्ती बनाए रखी जा सकती है? पक्षी-प्रेमी डॉ. लोकेश तमगीरे...
करीब सवा चार दशक पहले, जब पर्यावरण दुनिया के सामने एक आसन्न संकट की तरह उभर रहा था, भारत में ‘वन (संरक्षण) अधिनियम-1980’ बनाया गया था। अब विकास की बगटूट भागती अंधी दौड़ के सामने पर्यावरण ओझल होता...
वन्यप्राणियों, पेड-पौधों और अपने आसपास की पारिस्थितिकी को जानते-बूझते, अकारण नुकसान पहुंचाना एक तरह की असभ्य हिंसा है और हम मानव इस कारनामे में अव्वल माने जा सकते हैं। क्या होगा, यदि ऐसा ही चलता रहा तो? जल, वायु और...
सत्तर के दशक की शुरुआत में हिमालय के चमोली, गोपेश्वर जिलों से उभरा विश्व-प्रसिद्ध ‘चिपको आंदोलन’ अब पचास साल का होने आया है। इस आंदोलन में वृक्षों को बचाने के लिए स्थानीय लोग, खासकर महिलाएं पेडों से चिपककर पहली...
13 May ‘World Migratory Bird Day 2023’ प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण की आवश्यकता को विश्व भर के लोगों को समझाने और उन्हें जागरुक करने के लिए साल में दो बार मई और अक्टूबर के दूसरे शनिवार...
पढे-लिखे आधुनिक समाज में जंगल को बर्बरता, असभ्यता और पिछडेपन का ऐसा प्रतीक माना जाता है जिसमें ‘सर्वाइवल ऑफ दि फिटेस्ट’ यानि ‘सक्षम की सत्ता’ ही एकमात्र जीवन-मंत्र है, लेकिन क्या सचमुच ऐसा ही है? जंगल को जानने-समझने वाले...

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