साधना, सेवा और सादगी की प्रतिमूर्ति थी कालिंदी बहन

पवनार, 8 अप्रैल। सर्वोदय विचारक, आचार्य विनोबा भावे की प्रिय शिष्या और ब्रह्मविद्या मंदिर, पवनार की प्रमुख साधिका सुश्री कालिंदी ताई का मंगलवार सुबह 5 बजे 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले दो माह से मृत्यु की तैयारी में थीं—भोजन त्यागकर केवल जल पर आश्रित रहीं।

कालिंदी ताई का जीवन एक जीवंत साधना था। वे विनोबा भावे के साथ देशभर में भूदान यात्रा की सहभागी रहीं और लगभग 40 वर्षों तक ब्रह्मविद्या मंदिर से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका मैत्री’ का संपादन किया। कुरान शरीफ के गंभीर अध्ययन के बाद उन्होंने इस्लाम का पैगाम’ नामक पुस्तक भी लिखी, जो उनके व्यापक दृष्टिकोण का प्रमाण है।

अभी हाल ही में उनकी नई पुस्तक भूदान यात्रा पर आधारित संस्मरणों के रूप में प्रकाशित हुई, जिसका विमोचन श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर में हुआ था। लेखन उनका सतत कार्य रहा। वे गहराई से सोचतीं, कम बोलतीं, लेकिन जब भी बोलतीं, तो उनके शब्द अनुभव, विनम्रता और शांति से भरे होते थे।

साधना और श्रम का समर्पित जीवन

ब्रह्मविद्या मंदिर में यह परंपरा है कि हर आश्रमवासी को श्रम करना होता है। कालिंदी ताई ने इस नियम का जीवनपर्यंत पालन किया और अपनी उम्र के अनुरूप कोई न कोई श्रम कार्य करती रहीं। उनके जीवन में खादी, स्वच्छता, स्त्री-गरिमा, सत्याग्रह जैसे गांधीवादी मूल्य पूर्ण रूप से समाहित थे। कालिंदी बहन इस संपूर्ण जीवन पद्धति की आदर्श प्रतिनिधि थीं। उन्होंने श्रम को पूजा, और आत्म-नियंत्रण को मुक्ति का मार्ग माना।

कालिंदी ताई का जीवन उस समय एक निर्णायक मोड़ पर आया, जब उनका संपर्क आचार्य विनोबा भावे से हुआ। उन्होंने आत्मज्ञान के पथ पर स्त्रियों की भूमिका को लेकर जो प्रश्न उठाए थे, उन्हें विनोबा जी की शिक्षाओं में उत्तर मिला। वे ब्रह्मविद्या मंदिर में दीक्षा लेकर जीवनभर उसकी आदर्श प्रतिनिधि बनी रहीं।

इंदौर मूल की कालिंदी ताई स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य तात्या साहब सरवटे की पुत्री थीं। उनकी बहन शालिनी ताई मोघे, बालनिकेतन संघ की संस्थापक और पद्मश्री से सम्मानित थीं। तात्या साहब ने ही अपनी पुत्री को विनोबा जी को समर्पित किया था। इंदौर से जुड़े विनोबा अनुयायी—नरेंद्र भाई, देवेंद्र भाई, और महेंद्र भाई—भी उनके जीवन में विशेष स्थान रखते थे।

कालिंदी बहन के निधन पर देशभर की गांधी विचार से जुडी रचनात्‍मक संस्‍थाओं कस्‍तूरबा गांधी राष्‍ट्रीय स्‍मारक ट्रस्‍ट, गांधी शांति प्रतिष्‍ठान केंद्र, विसर्जन आश्रम, सर्वोदय मिशन, हरिजन सेवक संघ, बाल निकेतन संघ, सर्वोदय शिक्षण समिति, गांधी भवन, भोपाल, गांधी स्‍मारक निधि सहित अनेक संस्‍थाओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।  

विनोबा विचारधारा से जुड़े डॉ. पुष्पेंद्र दुबे ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “मरण का स्मरण व्यक्ति के जीवन को शुद्ध करता है। वे अब व्यक्त से अव्यक्त हो गई हैं। पहले वे शरीर में सीमित थीं, अब व्यापक प्रेरणा बन चुकी हैं। हाल ही में जब 6 मार्च को उनसे मिलने गया, तब सुश्री कालिंदी ताई को इंदौर में केरल यात्रा के बारे में बताया। पूरा वृत्तांत सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुई और अपनी जगह से बैठे-बैठे आश्रमवासियों तक जानकारी भेज दी। उनकी स्मृति सतेज थी और इंदौर के साथ पूरे देश की गतिविधियों की जानकारी ली।  

सर्वोदय प्रेस सर्विस के कुमार सिद्धार्थ , डा सम्‍यक जैन ने उन्हें याद करते हुए कहा, उन्होंने समाज में एक मौन क्रांति चलाई—चरित्र निर्माण और नारी जागरण की। आज की स्त्रियों के लिए उनका जीवन एक आदर्श पथदर्शिका है। वे वर्षों तक सप्रेस की लेखिका रही और स्‍त्री शक्ति जागरण पर उनके अनेक लेखों का प्रसारण किया गया।