करीब साढ़े पांच दशक पहले महाविद्यालयीन युवाओं में समाज के प्रति सरोकार बढ़ाने की खातिर, 1948 में गठित ‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’ (एनसीसी) के समकक्ष ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ (एनएसएस) का गठन किया गया था। प्रस्तुत है, ‘एनएसएस’ की 55 वीं वर्षगांठ पर राहुल सिंह परिहार का लेख।
आज की दुनिया में युवाओं के सामने चुनौती है कि शिक्षा के साथ-साथ वे ऐसा क्या करें जो उनके व्यक्तित्व को न केवल प्रभावशाली बनाए, बल्कि राष्ट्र निर्माण की ओर भी प्रेरित करे? इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में, जहाँ हर कोई अपने लिए कुछ अलग और विशिष्ट हासिल करना चाहता है, यह भी ज़रूरी है कि हम अपनी संस्कृति से जुड़े रहें और अपने कर्तव्यों का बोध रखकर समाज और राष्ट्र की उन्नति में भागीदारी करें।
इसी संदर्भ में, भारत सरकार की एक योजना ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ (एनएसएस) 1969 में महात्मा गांधी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में प्रारंभ की गई थी। ‘एनएसएस’ का मुख्य उद्देश्य युवाओं में नेतृत्व कौशल और समाज-सेवा के माध्यम से सर्वांगीण विकास करना है। इस योजना का आरंभ उन आदर्शों पर हुआ था जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और समाज-सेवा के प्रति उनके गहरे समर्पण पर आधारित थे।
‘एनएसएस’ की स्थापना का विचार कई महत्वपूर्ण आयोगों और बैठकों के परिणामस्वरूप सामने आया। 1950 के ‘शिक्षा आयोग’ की सिफारिशों और पंडित जवाहरलाल नेहरू के सुझावों के बाद, 24 सितंबर 1969 में ‘एनएसएस’ की नींव रखी गई। यह योजना 37 विश्वविद्यालयों के 40,000 छात्रों के साथ शुरू हुई थी। इन 55 वर्षों में यह योजना 40 लाख से अधिक युवाओं के जीवन का हिस्सा बन चुकी है।
‘एनएसएस’ में भाग लेने वाले विद्यार्थी “शिक्षा द्वारा समाज-सेवा, समाज-सेवा द्वारा शिक्षा” के लक्ष्य के साथ न केवल समाज, समुदाय और उनकी समस्याओं को समझते हैं, बल्कि अपने व्यक्तित्व को निखारकर एक कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरते हैं। श्रम की महत्ता, समाज में व्याप्त कुरीतियों के उन्मूलन के लिए जागरूकता और विभिन्न सामुदायिक सेवाएं छात्रों को जीवन की व्यावहारिक चुनौतियों से जूझने के लिए तैयार करती हैं।
‘एनएसएस’ के माध्यम से छात्र कई कौशल विकसित करते हैं, जैसे – समय-प्रबंधन, आत्मनिर्भरता और प्रतिकूल परिस्थितियों में कार्य करना। वे समाज-सेवा के माध्यम से सद्चरित्र, साहस, निर्णय लेने की क्षमता और प्रजातांत्रिक मूल्यों को आत्मसात करते हैं। ‘एनएसएस’ विद्यार्थियों को सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का अनुभव कराती है, जिससे उनके विचारों में परिपक्वता और उनके चरित्र में सकारात्मकता का संचार होता है। इसके साथ ही छात्र श्रम की गरिमा को समझते हुए नए भारत के निर्माण में भागीदार बनते हैं।
‘एनएसएस’ छात्र-छात्राओं को न केवल स्थानीय, बल्कि राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। हर साल विभिन्न राज्य-स्तरीय ‘नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर,’ ‘राष्ट्रीय एकता शिविर,’ ‘युवा उत्सव,’ ‘साहसिक गतिविधि शिविर’ और गणतंत्र दिवस परेड जैसे आयोजनों में भाग लेकर ‘एनएसएस’ के स्वयंसेवक देश का गौरव बढ़ाते हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय युवा विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से ‘एनएसएस’ के युवा वैश्विक मंच पर अपने अनुभव और विचारों को साझा कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश सरकार ने ‘एनएसएस’ को मान्यता देते हुए इसे ‘नई शिक्षा नीति’ में पाठ्यक्रम के एक विषय के रूप में शामिल किया है। इस पहल से छात्र-छात्राएं ‘एनएसएस’ के सिद्धांतों का अध्ययन कर, सामाजिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो रहे हैं और समाज-सेवा के प्रति रुचि बढा रहे हैं। ‘एनएसएस’ यह सिद्ध करती है कि समाज-सेवा मानव का कर्तव्य है और इसका अंतिम उद्देश्य राष्ट्र निर्माण है।
पिछले वर्षों में ‘एनएसएस’ ने अनगिनत सफलताओं की कहानियाँ लिखी हैं। संगठन व स्वयंसेवकों के अथक प्रयासों ने सेवा कार्यों में बदलाव और उपलब्धियों के नए दौर का आगाज़ किया है जो निश्चित रूप से इस प्रकल्प की समय-सिद्ध दक्षता की ओर इंगित करता है। ‘कोरोना’ काल में स्वयंसेवकों का योगदान हो या अन्य अभियानों को नेतृत्व प्रदान करने की बात, सभी इस योजना की कार्य क्षमता का लोहा मानते हैं।
चाहे निरक्षरों को साक्षर करना हो या देश को खुले में शौच से मुक्त करने का अभियान, रक्तदान से जीवन बचाने का संकल्प हो या पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण हेतु ‘वृक्ष गंगा रैली’ या स्वच्छता अभियान, ‘एनएसएस’ ने हर स्तर पर समाज-सेवा की अलख जगाई है। लैंगिक समानता, बाल अधिकार संरक्षण, मानव अधिकार, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता जैसे तमाम सामाजिक मुद्दों पर भी ‘एनएसएस’ ने जनजागरूकता पैदा की है। इन अभियानों ने समाज में ‘एनएसएस’ के महत्व को और अधिक सशक्त किया है।
भारत सरकार ने ‘MYभारत’ पोर्टल के माध्यम से ‘एनएसएस’ के स्वयंसेवकों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। इस पोर्टल के जरिए युवा स्वयंसेवक अपनी गतिविधियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत कर सकते हैं, इंटर्नशिप और अन्य कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं। इस पोर्टल पर प्रदर्शित प्रोफाइल व कार्य-दक्षता देखकर विभिन्न संगठन/संस्थाएं कुशल युवाओं का चयन कर सकेंगे जो युवाओं के कौशल उन्नयन की दिशा में एक सार्थक प्रयास होगा।
इस लंबे सफर के बाद ‘एनएसएस’ अब केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बन चुकी है। 44 लाख से अधिक युवाओं के जीवन में सामाजिक जिम्मेदारी का भाव जगाने वाली यह योजना अपने उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर रही है। यह आवश्यक है कि शासन और नीति निर्माता इस योजना की निरंतरता सुनिश्चित करें और इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के सार्थक प्रयास करें। ‘एनएसएस’ का प्रत्येक स्वयंसेवक अपने कार्यों से समाज में बदलाव लाने का माध्यम बन सकता है। स्वच्छता के राष्ट्रव्यापी अभियान को सामाजिक नेतृत्व प्रदान करने का कार्य यदि ‘एनएसएस’ को दिया जाए, तो हर स्थान पर इसकी सफलता की कहानियां दिखाई देंगी।
‘एनएसएस’ की इस अनवरत यात्रा की 55वीं वर्षगांठ पर हम सभी युवाओं से आह्वान करते हैं कि वे ‘एनएसएस’ से जुड़ें और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। स्वैच्छिक रूप से शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा के कार्यों से अपने व्यक्तित्व को गढें। आज आवश्यकता है कि हम राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें, समाज-सेवा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और मिलकर एक नए, सशक्त भारत का निर्माण करें। (सप्रेस)
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