World Autism Awareness Day ऑटिज़्म जागरूकता सप्ताह

डॉ. अलका श्रीवास्तव

बड़ी संख्या में Autism ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चे चिकित्सा के लिए लाये जाते हैं| उन्हें ठीक करने के तरीकों में ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी और बिहवियर चिकित्सा के सिद्धांत शामिल हैं। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों का बर्ताव अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है जो आम तौर पर लोगों को अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक लग सकता है। दो अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है,इसका उदेश्य लोगों को ऑटिज्म बीमारी के प्रति जागरूक करना है। दरअसल 2 अप्रैल से शुरू होने वाला पूरा हफ्ता ही ऑटिज़्म जागरूकता सप्ताह और पूरा अप्रैल महीना आटिज्म जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. अलका श्रीवास्तव / डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव

हम उन विभिन्न कारणों को समझने की कोशिश करेंगे कि Autism ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चे में अधिक गुस्सा क्यों होता है या वह ज्यादातर समय चिड़चिड़ा, गुस्सैल, उदास क्यों रहता है, क्योंकि इससे उसका दिन बहुत खराब साबित हो सकता है। और भी कई कारण हो सकते हैं जिन पर इस छोटे लेख में चर्चा नहीं सकती| पर ऑटिज़्म वाले बच्चों को बहुत संवेदनशील होकर समझने की जरूरत है| जब आप किसी समस्या के पीछे के कारणों का पता लगा सकते हैं, तभी आप उसे हल करने का उचित प्रयास कर सकते हैं। और यह शायद जीवन में हर चीज पर लागू होता है!

Autism ऑटिज्म एक स्पेक्ट्रम विकार है। स्पेक्ट्रम में न केवल ऑटिज़्म की अलग-अलग किस्म के गंभीर स्टेज वाले लोग शामिल हैं बल्कि विभिन्न लक्षण भी शामिल हैं। ये इतने अलग-अलग होते हैं कि यदि आप ऑटिज़्म वाले एक व्यक्ति को जानते हैं, तो इसका अर्थ है कि आप ऑटिज़्म वाले केवल एक ही व्यक्ति को जानते हैं! यह न मानें कि ऑटिज्म से पीड़ित सभी लोग एक जैसे होते हैं। जैसे हम अपनी क्षमताओं में भिन्न होते हैं, वैसे ही ऑटिज़्म वाले लोग अपनी क्षमताओं में भिन्न होते हैं। और जैसे हम अन्य लोगों के साथ समानता रखते हैं, वैसे ही ऑटिज़्म वाले लोग भी अन्य लोगों के साथ समानता रखते हैं। ऑटिज्म उनके व्यक्तित्व का सिर्फ एक पहलू हो सकता है। हमें उनके व्यक्तित्व के अन्य पहलुओं की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। इसलिए हमें उन्हें ऑटिस्टिक के रूप में नहीं बल्कि ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्ति के रूप में चिन्हित करना चाहिए।

ऑटिज्म ग्रसित बच्चे की देखभाल जरूरी

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे दूसरों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने के लिए बड़ी जद्दोजेहद करना पड़ता है| दूसरों को भी भावनात्मक रूप से उनसे जुड़ने में कठिनाई होती है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि ये बच्चे भावनाओं को बिल्कुल महसूस नहीं करते हैं। इनमें से बहुत सारे बच्चे हम में से अधिकांश की तरह खुश, उत्साहित, उदास, क्रोधित, भयभीत, हैरान महसूस करते हैं। हालाँकि वे अपनी भावनाओं को उन तरीकों से व्यक्त करने की कोशिश करते हैं जो हमारी समझ में नहीं आते हैं। भावनाओं की प्रभावी अभिव्यक्ति की अपेक्षा करने और उन्हें सिखाने के अलावा हमें उनकी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझना सीखना होगा। ऑटिज़्म वाले बच्चे के माता-पिता के लिए सबसे कठिन साबित होते हैं| उनके भावनात्मक विस्फोट आकस्मिक होते हैं, पर फिर भी अक्सर एक ट्रिगर होता है जिसे समझा जा सकता है। तो इस पृष्ठभूमि के साथ हम यह समझने की कोशिश करें कि ये ट्रिगर क्या हो सकते हैं। और इन ट्रिगर्स को समझने के लिए ऑटिज़्म की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं को समझने की आवश्यकता है।

Autism ऑटिज्म वाले बच्चों को कई तरह की दिक्कतें होती हैं। एक प्रमुख श्रेणी संप्रेषण या बातचीत संबंधी कठिनाइयों की है| कल्पना करें कि आपके लिए कोई मुश्किल भरा दिन है और आपके बॉस आपको डांट देते हैं। अगर बॉस एक तानाशाह की तरह है और आप उसके सामने एक शब्द भी नहीं बोल सकते, तो क्या होगा। क्या यह आपको निराश नहीं करेगा? और इस बात की काफी संभावना है कि आप अपने पति, पत्नी और बच्चों जैसे अन्य लोगों पर निराशा और क्रोध व्यक्त करेंगे, भले ही यह उनकी गलती न हो। अब अगर किसी विशेष स्थिति में संवाद न कर पाना आपको गुस्सा दिला सकता है, तो ऑटिज़्म वाले बच्चों की कल्पना करें जो दैनिक आधार पर अपनी ज़रूरतों, पसंद, नापसंद, अस्वीकृति आदि को कम्यूनिकेट करने के लिए भी संघर्ष करते हैं! कई बार ऐसा भी होता है जब ये बच्चे यह बताने में भी सक्षम नहीं होते हैं कि वे शारीरिक दर्द में हैं। ये विस्फोटक बर्ताव वास्तव में दूसरों को उन्हें नोटिस करने में मदद करता हैं। इसलिए यह उनके लिए एक कार्यात्मक, सामान्य व्यवहार बन जाता है।

ऑटिज्म ग्रसित बच्चे कई कलाओं में होते है निपुण

ऑटिज्म वाले बच्चों को दूसरों के साथ मेल जोल करने करके सामाजिक अर्थ में सही बर्ताव करना पड़े तो बहुत परेशानी महसूस होती है| एक ऐसे बच्चे के बारे में सोचें जिसे आप जानते हैं| जो शर्मीला है और लोगों के बीच बहुत परेशान रहता है। अगर वह ऐसे लोगों से घिरा हो जो उससे ‘सामान्य’ व्यवहार करने की उम्मीद करते हैं और ऐसा न करने पर उसे धमकाते हैं तो क्या आपको नहीं लगता कि वह शर्मिंदा, चिड़चिड़ा और गुस्सा होगा! अब सवाल उठता है कि कौन परिभाषित करता है कि इस बच्चे के लिए क्या ‘सामान्य’ है! अधिकांशतः, यह वे लोग होते हैं जो या तो उन्हें बिल्कुल नहीं जानते या वे जो सामाजिक स्थितियों में उनकी कठिनाइयों को नहीं समझते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे हर समय इसका अनुभव करते हैं। वे प्रतिक्रिया करते समय आँखों से संपर्क बनाने या दूसरे व्यक्ति के चेहरे को देखने के लिए भी मेहनत करते हैं। और वे हर समय साथियों, परिवार और यहां तक कि अपने स्वयं के माता-पिता द्वारा धमकाये जाते हैं जो सोचते हैं कि उनका बच्चा नाटक कर रहा है!

कल्पना कीजिए कि एक सुबह आपको बताया जाता है कि आपका तबादला हो गया है या आपकी नौकरी चली गई है। यह आपको बहुत बेचैन कर देगा। हम सभी को एक हद तक न बदलने वाली स्थितियां पसंद हैं। आकस्मिक बदलाव परेशान करता है| ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को समानता और पूर्वानुमेयता की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। उनकी अपनी दिनचर्या हो सकती है और उसे बदलना उनको असंभव लग सकता है। इसलिए कोई भी अनियोजित घटना या दिनचर्या में बदलाव एक गुस्से का आवेश पैदा कर सकता है। यहां तक कि एक अलग रूट से स्कूल जाने जैसी साधारण चीजें भी गुस्से का आवेश भड़काने के लिए पर्याप्त हो सकती हैं।

आप शायद इस लेख को अपने स्मार्ट फोन पर एक कमरे में बैठे पढ़ रहे हैं। कमरे में पर्याप्त रोशनी  है। घर में एसी, पंखे से शायद थोड़ा बहुत शोर होता है। आप अपनी त्वचा पर एयर कंडीशनर की हवा को महसूस कर सकते हैं या यदि यह अभी भी गर्मी है तो शायद आपने बिना ज्यादा परेशान हुए अपनी आस्तीन ऊपर कर ली है। कुछ परेशान करने वाली गंध भी कमरे में हो सकती है। आप जो चाय पी रहे हैं उसका स्वाद आपको पसंद नहीं है लेकिन फिर भी आप सुबह के कप के लिए आभारी हैं! अब कल्पना करें कि ठीक उसी स्थिति में कोई दूसरा व्यक्ति बहुत अधिक व्यथित हो जाता है। रोशनी बहुत तेज लगती है जैसे उसकी आँखों में एक मशाल चमक रही हो। एसी और पंखे का शोर ऐसा लगता है जैसे कोई बारात लाउडस्पीकर के साथ बगल से निकल रही हो। त्वचा पर हवा का स्पर्श परेशान करने लगती है। गर्म मौसम में त्वचा पर शर्ट का स्पर्श भी दर्द देता है; यह शायद सही कपड़ा नहीं है। बदबू ऐसी है जैसे आप किसी गंदे पब्लिक टॉयलेट के अंदर बैठे हों। और चाय बिलकुल बकवास! अजीब! लेकिन ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में ऐसी बहुत सी समस्याएं होती हैं जो ज्यादातर लोगों के लिए स्पष्ट नहीं होती हैं। हममें से कुछ लोगों के पास कभी-कभी और हलकी संवेदी या सेंसरी अतिसंवेदनशीलता हो सकती है लेकिन इसके बहुत ज्यादा डिग्री अधिक होने की कल्पना करें। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि क्यों ऑटिज़्म वाले ये बच्चे सार्वजनिक स्थानों पर बिना किसी स्पष्ट कारण के बहुत व्यथित दिखाई दे सकते हैं।

डॉ. अलका श्रीवास्तव बाल रोग विशेषज्ञ (डीसीएच, एम.आर.सी.पी.सी.एच, पीडियाट्रिक्स) हैं और डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव ख्यात मनोचिकित्सक (एम.डी., साइकियाट्री) हैं. उन्होंने भारत और ब्रिटेन के उत्कृष्ट संस्थानों से शिक्षा हासिल की है और वह ख़ास तौर पर बच्चों के मानसिक विकारों के इलाज में विशेषज्ञता रखते हैं. 

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