हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अडानी के शेयरों का गिरना, एक कहीं गहरे संकट की निशानी है। और इसका असर शेयर बाजार में हुए नुकसान से कहीं ज्यादा गंभीर है। सारे ही देश को एक आत्म-विश्लेषण की जरूरत है, क्योंकि इस संकट के बीज 1991 के उदारीकरण के साथ बोये गए थे। इन्ही सवालों के संदर्भ में पेश है सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी टीम व्दारा तैयार ‘हमारा पैसा हमारा हिसाब‘ का नया एपिसोड।[block rendering halted]