जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बने राज्य स्तरीय सलाहकार समिति
सप्रेसमीडिया.इन।
इंदौर, 5 मई 2021 । कोविड -19 की दूसरी लहर के प्रभाव के मद्देनजर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हाल ही में दूसरी एडवाइजरी जारी की है, ओर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसको लागू कर चार सप्ताह में एक्शन टेकन रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोविड – 19 महामारी का मानवाधिकारों पर प्रभाव और भविष्य के परिणामों का आंकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई थी, जिसमें सामाजिक संस्थाओं, नागरिक संस्थाओं, स्वतंत्र विशेषज्ञ और संबंधित मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे। उक्त समिति के आंकलन और सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोविड–19 के सन्दर्भ में स्वास्थ्य अधिकार के बारे में पहली विस्तृत एडवाइजरी जारी की थी । अब इसी क्रम में दूसरी एडवाइजरी जारी की है जिसके प्रमुख बिंदु हैं:
ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं और उपकरणों की व्यवस्था
केंद्र और राज्य सरकारों / संघ शासित प्रदेशों को देश के सभी स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों में ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं और उपकरणों की निरंतर, तत्काल और निर्बाध आपूर्ति करने के लिए समन्वय करना चाहिए। ऑक्सीजन कीआपूर्ति के लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए ।
देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी
कोई भी कोविड -19 रोगी, जो किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा पर पहुंचता है, तो उसे मुफ्त में उपचार मिलना चाहिए। यदि मरीज के स्वास्थ्य की गंभीरता के अनुसार जरूरी देखभाल सेवाएँ उपलब्ध नहीं है, तो स्वास्थ्य विभाग का यह दायित्व होगा कि वह दूसरे सर्वसुविधायुक्त अस्पताल में मरीज को स्वयं पहुंचाए। यदि कोविड -19 रोगी किसी निजी अस्पताल में पहुंचता हैं जहां भर्ती के लिए कोई खाली बिस्तर नहीं है, तब अस्पताल को आवश्यक सहायता/ सहायता प्रदान करने के लिए सरकारी नोडल अधिकारी से संपर्क कर, जब तक उचित व्यवस्था नहीं हो जाती है, तब तक निजी अस्पताल को नोडल अधिकारी द्वारा रोगी को उपलब्ध आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया जाए।
सभी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सेवाओं ओर बिस्तरों की जानकारी
स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सेवाओं ओर बिस्तरों की जानकारी स्थानीय भाषा ओर अँग्रेजी में प्रदर्शित करना अनिवार्य है और साथ ही यह भी बताना है कि उक्त सेवाएँ निशुल्क है या सशुल्क है। सशुल्क हैं तो शुल्क का विवरण भी दर्शाना आवश्यक है।
अस्पतालों में कार्यात्मक और प्रभावी हेल्प-डेस्क की स्थापना
सभी सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में कार्यात्मक और प्रभावी हेल्प-डेस्क की स्थापना की जाए, ताकि आने वाले सभी रोगियों की प्रारंभिक जांच करके उनकी जरूरत का आकलन किया जा सके। यदि उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है और बिस्तर उपलब्ध नहीं है, तो रोगी को एक उचित स्वास्थ्य संस्थान, जहां आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं तक पहुंचाने के वह संस्थान जिम्मेदार होगा । किसी भी स्थिति में रोगी और उसके परिवार के सदस्यों को यह जिम्मेदारी नही दी जा सकती हैं या उन्हें अपने दम पर व्यवस्था करने के लिए नहीं कहा जा सकता हैं।
कीमतों पर नियंत्रण
कोविड -19 मरीज ओर पीड़ितों के शोषण को रोकने के लिए कोविड – 19 के उपचार संसाधनों जैसे आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर, एम्बुलेंस सेवाओं आदि की कीमतों पर नियंत्रण होना चाहिए ओर इसकी निगरानी और ऑडिट किया जाना चाहिए। इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों/ केंद्र शासित राज्यों द्वारा एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
टीकाकरण
देश में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में कोविड वैक्सीन का सार्वभौमिक कवरेज और गैर-भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण होना चाहिए, और यदि संभव हो तो, निजी या सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थापना के बावजूद सभी के लिए टीकाकरण मुफ्त किया जाना चाहिए।
शमशान / कब्रिस्तानों के प्रबंधन में सुधार किया जाना चाहिए ताकि प्रतीक्षा समय को कम किया जा सके। वर्तमान परिस्थितियों मे विद्युत शवदाह गृह के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
कोविड प्रोटोकॉल पर सार्वजनिक जानकारी
सभी कोविड-19 संबंधित प्रोटोकॉल, जैसे शारीरिक दूरी, हर समय ठीक से मास्क पहनना, स्वच्छता, IEC गतिविधियों, सामूहिक सभा पर प्रतिबंध लगाना, आदि का व्यापक और उचित रूप से प्रसार होना चाहिए।
कोविड 19 की टेस्टिंग की पर्याप्त एवं समुचित एवं निशुल्क व्यवस्था सभी स्वास्थ्य संस्थानों में होना चाहिए।
सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए राज्य उप-जिला स्तर पर उपयुक्त प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को बड़े पैमाने जोड़ने का प्रयास हो। सिविल सोसाइटी संगठनों को भी इस उद्देश्य के लिए शामिल किया जाना चाहिए ।
मानक उपचार दिशानिर्देश
कोविड–19 के उपचार से संबंधित दवाओं (रेमडेसिविर, टोसीलिज़ुमाब, आदि), के अनावश्यक उपयोग से बचने और घबराहट को कम करने के लिए, मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए और AIIMS-ICMR टास्क फोर्स द्वारा जारी किए गए निर्देशों को सभी निजी और सार्वजनिक अस्पतालों द्वारा सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। पात्र और उपलब्ध प्लाज्मा दाताओं की एक उचित और सामान्य सूची को बनाई जाना चाहिए और इसे नियमित रूप से अपडेट किया जाना चाहिए।
शिकायत निवारण तंत्र
स्वास्थ्य के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों से निपटने के लिए संघ / राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को विभिन्न स्तरों पर एक प्रभावी और सुलभ स्वास्थ्य शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना चाहिए जैसा कि स्वास्थ्य अधिकार पर 28 सितंबर, 2020 को जारी एनएचआरसी दिशा निर्देशों में वर्णित है। इसे टोल-फ्री हेल्पलाइन के साथ जोड़ा जाना चाहिए और स्थानीय भाषा में संचालित किया जाना चाहिए। नागरिक समाज संगठन भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
बिलों की ऑडिटिंग
सरकार को निजी अस्पतालों के उच्च राशि के बिल या 1.5 लाख से अधिक बिल के ऑडिट कराने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करना चाहिए ताकि कोविड रोगियों के लिए दरों का नियमन सुनिश्चित हो सके।
जन स्वास्थ्य अभियान के एस. आर. आजाद, राकेश चांदौरे, डॉ जी डी वर्मा, अमूल्य निधि ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा कोविड–19 के सन्दर्भ में जारी किये गए स्वास्थ्य अधिकार एडवाइजरी का स्वागत किया हैं । जन स्वास्थ्य अभियान ने मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिखकर मांग है कि मरीजों के हित में मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी की गई इस एडवाइजरी को तुरंत क्रियान्वित करे और इसके अनुरूप सभी व्यवस्थाएं शीघ्र करे ताकि मरीजों को बिना भेदभाव के स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मिल सकें। जन स्वास्थ्य अभियान ने यह मांग भी की है कि प्रदेश में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संस्थाओं ओर स्वास्थ्य विशेषज्ञों को मिलाकर एक राज्य स्तरीय एडवाइजरी समिति बनाना चाहिए, जो कोविड–19 के समय मे अपना योगदान प्रदेश की जनता के हित में दे सकें।
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