कोरोना वायरस से अस्थायी मुक्ति वैसे तो वैक्सीन और औषधियों से उपचार दिलायेगा, लेकिन स्थायी मुक्ति प्रकृति ही दिला सकेगी। प्रकृति को प्यार व सम्मान करने वाली जीवन पद्धति को अपनाने के लिए तरुण भारत संघ ने ‘‘आओ, कोविड-19 को हराओ‘‘ प्रशिक्षण, जीवन को सरल-सहज बनाकर स्थायी चिंता मुक्ति हेतु आरंभ किया जा रहा है। ये प्रशिक्षण तरुण आश्रम, भीकमपुरा (अलवर) में प्रकृति के साथ रहकर प्रकृति को समझने हेतु सक्षम बनने का प्रशिक्षण है।

तरूण भारत संघ के अध्यक्ष पर्यावरण विद एवं मेगसेस पुरस्कार से सम्मानित राजेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने वाले व्यक्ति, जो शहरों से उजड़कर अब अपने गांव वापस आये है, वे ही गांव में अपने लिए स्वरोजगार तैयार करके आत्मनिर्भर बन सकते है, लेकिन आत्मनिर्भर बनने की पहली शर्त है कि प्रतियोगिता और लालच मुक्ति जीवन जीने की उनकी तैयारी हो। इस प्रशिक्षण में वैसे ही व्यक्ति शामिल हो सकेगें जिनके मन में आधुनिक सुख-सुविधाओं की अधिक से अधिक प्राप्त करने की प्रतियोगिता मुक्ति हो एवं श्रम निष्ट बनकर अपनी जरुरत पूरी करने के लिए प्रकृति के साथ लेन-देन करने का बराबर सम्मान हो।

राजेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 जैसे किसी भी वायरस से स्थाई मुक्ति, प्राकृतिक अनुकूलन में है। जब मानव प्रकृतिमय बनकर जीता है, तो उस व्यक्ति पर ये कृत्रिम और प्राकृतिक निर्जीव वायरस कोशिकाओं को धोखा नहीं दे सकता। मानवीय प्रतिरोधक क्षमता प्रकृतिमय जीवन से ही बनती है। इसलिए हम प्रकृति के साथ प्यार व सम्मान करके, आरोग्य रक्षण प्राप्त कर सकते है? इस तरह की बिमारियों को मात देने के लिए भारतीय मूल ज्ञानतंत्र सक्षम और समृद्ध था, किन्तु आधुनिक विकास ने उसे नष्ट कर दिया।

भारत प्रकृति अनुकूलन में विश्‍वास रखता था। इसलिए उसकी जीवन पद्धति पूरी तरह से पर्यावरणीय रक्षा के साथ जुड़ी थी। अब हमारा लोभ, लालच हमें वैसा जीवन नहीं जीने देता। आज हम भी दूसरे देशों के रास्तों पर चल रहे है। इस कारण भारत के शहरों की आबादी बढ़ी है व गांव की आबादी घटी थी। अब कोविड ने गांवों की आबादी बढ़ा दी है, इसलिए गांव को आर्थिक, प्राकृतिक, सामाजिक सभी सुरक्षाओं के लिए प्राकृतिक अनुकूलन की खेती पर लौटना पडे़गा।

भारतीय मानवीय जरुरतों को पूरा करने के लिए लालच मुक्ति के साथ, प्रकृति के साथ अपने लेने-देने के रिश्‍तों को सबल व मजबूत बनाना होगा। तरुण भारत संघ के पिछले 45 वर्षों के इतिहास में आपदायों से निपटने के मूल रास्ते खोजकर, उन्हीं पर काम करने का चलन रहा है। इसलिए इस कोविड-19 महामारी से मुक्ति के स्थाई उपाय खोजे है। यह खोज नई नहीं है, प्राचीन भारत  की समय सिद्ध खोज है। वेदों, उपनिषदों में इसका गहराई से विवरण है, लेकिन अब हम भारतीयों को अपने शब्दों पर भी विश्‍वास नहीं रहा है। इसलिए हम हमेशा दूसरों की तरफ ही देखते रहते है।

तरूण भारत संघ ने अपने शास्त्रों में ही समाधान ढूंढे है और उनके आधार पर किये हुए कार्यों में अभी तक सम्पूर्ण सिद्ध मिली है। जलवायु परिवर्तन के वैश्विक आधुनिक संकट से पिछले 37 वर्षों में प्राकृतिक अनूकूलन के साथ-साथ काम करके, बाढ़-सुखाढ़ एवं जलवायु परिवर्तन के संकटों से मुक्ति की सिद्धी पाई है। कोविड-19 की महामारी जैसे महाविस्फोटों व आपदायों से स्थाई मुक्ति का भी यही उपाय है।

इस प्रकार के प्रशिक्षण के इच्छुक युवा, प्रौढ़, बच्चों शामिल हो सकते है। उम्र का कोई बंधन नहीं है। युवाओं को प्राथमिकता दी जायेगी। जो भी व्यक्ति इस तरह का प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते है वे ई-मेल jalpurushtbs@gmail.com पर अपनी योग्यता व अपनी रुचि लिखकर भेज सकते है।

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