कोविड-19 महामारी के इस दौर में जिस अदृश्य, अ-स्पर्शनीय, गंधहीन और केवल महसूस की जाने वाली प्राणवायु यानि ऑक्सीजन की शिद्दत से जरूरत महसूस की जा रही है, वह अपने आसपास की वनस्पतियों, पेडों में भरपूर मौजूद है। लेकिन क्या हम उसकी कीमत जानते-पहचानते हैं?
प्रकृति की सबसे अनमोल देन वृक्ष हैं। वे अपना भोजन बनाने की प्रक्रिया के दौरान वातावरण से कार्बन डाइ-ऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे अनेक जीवों का जीवन संभव हो पाता है। यही वजह है कि भारत में वृक्षों को प्राचीन काल से ही पूजा जाता रहा है, किन्तु विडंबना है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित परम्पराओं को भूल चुके हैं और आधुनिक विकास की अंधी दौड़ में पेड़ों का सफाया करते जा रहे हैं। परिणामस्वरूप आज वैश्विक महामारी कोरोना से हमें ऑक्सीजन की कीमत समझ आयी है जिसे वृक्ष हमें जीवन भर मुफ्त में ही देते रहते हैं।
‘साइंस फोकस’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हर इंसान को सालभर की सांसों के लिए सात से आठ वृक्षों की जरूरत होती है। शोधकर्ताओं के अनुसार एक इंसान सालभर में औसतन 9.5 टन हवा अपने अंदर लेता है, परन्तु इस हवा का केवल 23% ही ऑक्सीजन होता है। ‘नासा’ की एक रिसर्च के अनुसार इंडोर प्लांट्स कार्बन डाइ-ऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलने के साथ-साथ हवा में मौजूद बेंजीन और फॉर्मेल्डिहाइड जैसे कैंसर-कारक रसायनों को भी शुद्ध करते हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक एक व्यक्ति को प्रति घंटे 50 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। एक पत्ती से 5 मिलीलीटर ऑक्सीजन प्रति घंटा वातावरण में मुक्त होती है। जरूरी ऑक्सीजन लेवल की पूर्ति के लिए एक कमरे में 10 हजार पत्तियां मौजूद होनी चाहिए। करीब 300-500 पौधों से आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन मिलने की संभावना होती है।
सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पेड़-पौधे-
1. समुद्री पौधे (मरीन प्लांट्स) – पृथ्वी का लगभग 70% भाग समुद्री होने की वजह से समुद्री पौधे पृथ्वी को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार वातावरण में मौजूद 70 से 80 फीसदी ऑक्सीजन इन पौधों द्वारा ही उपलब्ध करायी जाती है। ये पौधे जमीनी पौधों से ज्यादा ऑक्सीजन बनाते हैं। समुद्री घास ऑक्सीजन का इतना अच्छा स्रोत है कि इसे समुद्र का फेफड़ा कहा जाता है। एक वर्ग मीटर समुद्री घास के मैदान से रोजाना 10 लीटर ऑक्सीजन का निर्माण होता है। दुनियाभर में उत्सर्जित होने वाले 12 प्रतिशत कार्बन के दुष्प्रभाव को समुद्री घास संतुलित करती है, जबकि यह समुद्र तल के 0.1 प्रतिशत हिस्से में ही फैली है।
2. पीपल के पेड़ का विस्तार, फैलाव और ऊंचाई अधिक होती है। पीपल का पेड़ अन्य पेड़ों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन देता है। यह दिन में 22 घंटे से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन देता है। शायद यही वजह है कि प्राचीन समय से ही पीपल के पेड़ के साथ कई धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी होती है एवं इसे पूजा जाता है।
3. बांस सबसे तेज बढ़ने वाला पेड़ या एक घास है। यह पृथ्वी पर सबसे तेज बढ़ने वाला काष्ठीय पौधा है। यह हवा को ताज़ा करने का काम करता है। बांस का पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा 30 प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन छोड़ता और कार्बन डाई-ऑक्साइड खींचता है। साथ ही यह पीपल के पेड़ की तरह दिन में कार्बन डाई-ऑक्साइड खींचता है और रात में आक्सीजन छोड़ता है।
4. नीम, बरगद, तुलसी, पीपल के पेड़ अधिक मात्रा में ऑक्सीजन देते हैं। ये पेड़ एक दिन में 20 घंटों से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। नीम एक जीवनदायी वृक्ष है। इसके अतिरिक्त नीम के पेड़ से आयुर्वेदिक औषधि भी बनायी जाती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाती है। बरगद का पेड़ बहुत लंबा हो सकता है और यह पेड़ कितनी ऑक्सीजन उत्पादित करेगा, यह उसके फैलाव पर निर्भर करता है। इसे भी बहुत पवित्र माना जाता है। तुलसी का पौधा आसपास के वातावरण के प्रदूषण के स्तर को 30 फीसदी तक कम कर देता है, इस वजह से इसके आसपास की वायु स्वच्छ और निर्मल हो जाती है।
5. लंबी, पतली, हरी पत्तियों वाला पीस लिली का पौधा वातावरण को स्वच्छ करने और वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए घर में लगाया जाता है। यह हानिकारक गैसों को खत्म करने के साथ ही धूल को भी समाप्त करता है।
वर्तमान समय में कोविड-19 के कारण मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने की ख़बरें आ रही है। इससे सबक लेकर अब लोगों में प्राकृतिक ऑक्सीजन के लिए जागरूकता आयी है और लोग वृक्षों को कटने से बचाने और नए वृक्ष लगाने के लिए तैयार हो रहे है।
‘हारकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (HBTI) – कानपुर’ में प्रोफेसर डॉक्टर पीडी दीक्षित ने कहा भी है कि यदि वर्तमान में ज्यादा से ज्यादा पेड़ होते तो शायद ऑक्सीजन की इतनी कमी नहीं होती। जब तक आपके पर्यावरण में ऑक्सीजन नहीं होगी, आप किसी भी प्लांट में जरूरत के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं कर सकते। इसलिए बहुत जरूरी है कि हम पेड़ों को लगाने पर जोर दें।
पेड़-पौधे आक्सीजन देकर कई जीवों को जीवित रखते है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में वृक्षों का अत्यधिक महत्व है। यह हमारे व पर्यावरण के लिए कई तरह से उपयोगी हैं। पारिस्थितिक तंत्र में पेड़-पौधों की मुख्य भूमिका होती है। पेड़-पौधों की जितनी अधिक संख्या होगी उतनी ही ज्यादा हमें ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकेगी। इसके साथ ही प्रदूषण और महामारी जैसी कई समस्याएं भी नियंत्रित होने कि संभावना होगी। (सप्रेस)
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