09.12.20 । जागृत आदिवासी दलित संगठन, बडवानी द्वारा नए कृषि कानूनों और विद्युत संशोधन अधिनियम 2020 के खिलाफ देशभर में हो रहे किसानों के आंदोलन में जुड़ते हुए, बड़वानी जिले के किसान-मज़दूरों के मुद्दों को लेकर पाटी नाका से रैली निकाली गई और पुराने कलेक्टर ऑफ़िस पर सभा आयोजित किया गया। “खेती करो पेट के लिए, मत करो सेठ के लिए” के नारे के साथ देश में चल रहे किसान आन्दोलन का साथ देते हुए आदिवासी, किसान, मजदूरों ने नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि जहाँ सरकार को सभी किसानों को किसान आयोग के सिफारिश अनुसार फसल की लागत का डेढ़ गुना भाव सुनिश्चित करना था, वहां कर्जे में डूबे किसान को कंपनी और व्यापारियों के मूंह में धकेल पूरी तरह किसानों को एक बार फिर कंपनी राज की ओर ले जा रही है |

जागृत आदिवासी दलित संगठन के हरसिंह जमरे, वालसिंह सस्ते, नासरी बाई निंगवाल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि नए कृषि कानून मंडी व्यवस्था को दरकिनार कर सरकारी खरीदी और राशन व्यवस्था को बंद करने के संकेत देते है और इसके साथ नया विद्युत संशोधन विधेयक सरकारी बिजली वितरण कंपनियों को निजी हाथों मे बेच उनको आम जनता से मनचाहे दामों पर पैसा वसूलने की पूरी छूट दे रही है।

प्रधानमंत्री, केंद्र और राज्य कृषि मंत्री और राज्यपाल के नाम पर लिखे ज्ञापन में  आदिवासी,  किसान,  मजदूरों  ने सरकार  द्वारा  ठप्प  कर  दी  गई  शिक्षा व्यवस्था का विरोध करते हुए कहा कि सरकार द्वारा स्कूलों को बंद कर हमारे बच्चों का भी भविष्य भी अन्धकार में डाल दिया है। आंदोलनकारियों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को बंद कर स्कूलों को वापस चालू करने की मांग सामने रखी। मध्य प्रदेश सरकार के 37000 घन किलोमीटर के वनों के प्रस्तावित निजीकरण को लेकर भी आदिवासियों द्वारा ख़ासा विरोध कर कहा कि हम अपनी जल, जंगल, जमीन को निजी हाथों में नहीं जाने देंगे |

आने वाले दिनों में निमाड़ के अन्य आदिवासी जिलों में भी देशभर में छेड़े जा रहे कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में जुड़ने की संभावना है।

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