राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन को एकता परिषद ने दिया समर्थन
एकता परिषद के संस्थापक एवं सर्वोदय समाज के समन्वयक पी. वी. राजागोपाल किसान आंदोलन के समर्थन में 14 दिसंबर की सुबह प्रयोग आश्रम तिलदा, रायपुर से मुरैना की ओर शुरू होने जा रही पदयात्रा में शामिल होने के लिए सड़क मार्ग से प्रांरभ हुए है। वे कवर्धा, मंडला, डिंडोरी, उमरिया होते हुए 14 दिसंबर की रात्रि विश्राम कटनी में करेंगे।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली बॉर्डर पर चले रहे किसान आंदोलन को एक पखवाड़े से ज्यादा वक्त हो गया है। देश भर के लाखों किसान इस मांग पर अड़े हुए हैं कि कुछ महीने पहले लागू किए गए किसान विरोधी कृषि क़ानून वापस लिए जाएं, लेकिन केन्द्र सरकार किसानों की बात मानने के बजाय उन कानूनों को सही ठहराने में लगी हुई है। खेती-किसानी के इस संकटपूर्ण समय में एकता परिषद ने राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन को समर्थन देने का निर्णय लिया है।
एकता परिषद के संस्थापक एवं गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. की अगुवाई में 13 दिसंबर से 16 दिसंबर तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कवर्धा तहसील से मध्यप्रदेश के मंडला, डिंडोरी, उमरिया, कटनी, दमोह, सागर, ललितपुर, झांसी, दतिया, ग्वालियर होते हुए मुरैना तक की जागरूकता यात्रा निकाली जा रही है। इसके बाद 17 दिसंबर से केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना से दिल्ली की ओर पद यात्रा निकाली जाएगी।
पिछले चार महीने से अलग-अलग राज्यों में हो रहे किसानों के प्रदर्शन और किसान संगठनों की मांगों को सरकार ने नहीं सुना, तो किसानों ने एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली जाकर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। इन कानूनों का प्रभाव सिर्फ किसानों पर नहीं पड़ेगा, बल्कि पूरे समाज पर पड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि किसानों के इस आंदोलन को देष के हर जन संगठन, समुदाय और वर्ग को साथ देना चाहिए।
एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार का कहना है कि ये कृषि सुधार कानून बड़े कॉरपोरेटों और विशाल कृषि व्यापार कम्पनियों सहित बड़े थोक व्यापारियों के पक्ष में बने हैं। किसान कल्याण की बज़ाय कॉरपोरेट कल्याण के कानून हैं। आज के किसान, कल के मजदूर बन जाएंगे। देश की एक बड़ी आबादी सुरक्षित आजीविका से बाहर हो जाएगी। शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण का परिणाम हम देख रहे हैं। आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत ही महंगी हो गई हैं। यही स्थिति सरकार खाद्यान के क्षेत्र में करने जा रही है, जिसका असर न केवल किसानों पर बल्कि हम सब पर पड़ने वाला है।
एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीष कुमार का कहना है कि जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर काम करते हुए एकता परिषद ने हमेशा किसानों के हित की बात की है, खासतौर से छोटे और सीमांत किसानों को। ऐसे में जब उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किसानों के नाम पर पर जो कानून बनाए गए हैं, उसका विरोध करते हुए एकता परिषद ने उनका साथ देने का निर्णय लिया है।