पूर्व आईएएस और मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और कार्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय के छापे को लेकर कई एक्टिविस्टों, बुद्धिजीवियों समेत अनेक नेताओं ने आलोचना की है। देश के 29 एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों के समूह ने साझा बयान जारी कर छापेमारी की कड़ी निंदा की। एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों ने संयुक्त बयान में कहा गया है कि ईडी के छापे अपने आलोचकों को चुप कराने के लिए “राज्य संस्थानों के दुरुपयोग की निरंतर श्रृंखला” का एक हिस्सा है।
एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों के समूह ने कहा कि हम एक प्रमुख मानवाधिकार और शांति कार्यकर्ता को परेशान करने और डराने के लिए इन छापों की निंदा करते हैं, जिन्होंने ईमानदारी और ईमानदारी के उच्चतम नैतिक मानकों को कायम रखते हुए शांति और सद्भाव के लिए काम करने के अलावा कुछ नहीं किया है। पिछले एक साल में, हर्ष मंदर और सीईएस को कई राज्य एजेंसियों द्वारा निरंतर उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है।
बयान पर हस्ताक्षर करने वाले 29 प्रमुख व्यक्तियों में मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुणा रॉय, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा हमीद, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद, महिला कार्यकर्ता कविता कृष्णन, गौहर रजा, फिल्म निर्माता, मिहिर देसाई, वरिष्ठ अधिवक्ता और पीयूसीएल, तीस्ता सीतलवाड़, सीजेपी, , फराह नकवी, लेखिका, अविनाश, मानवाधिकार कार्यकर्ता, निखिल डे, एमकेएसएस, एनी राजा आदि शामिल हैं।
उन्होंने इस संयुक्त बयान में आगे कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा लगाए गए गलत और झूठे आरोपों का इस संस्था के दिल्ली कमिश्नर द्वारा पूरी मजबूती के साथ खंडन किया गया और इस सिलसिले में उन्होंने हाईकोर्ट में एक मजबूत हलफनामा दायर किया था जिसके बाद मामले का अंत हो गया था।
बयान में कहा गया है कि सीईएस आर्थिक अपराध शाखा और आईटी के भी निशाने पर रहा। इन सभी परेशान करने वाले साझे प्रयासों के बावजूद, यह बात दिखाती है कि न ही किसी तरह के पैसे का कोई डायवर्जन हुआ और न ही किसी तरह से कानून का उल्लंघन किया गया। मौजूदा ईडी और आईटी के रेड को इस संदर्भ में उसी श्रृंखला के हिस्से के तौर पर देखा जाना चाहिए। जिसमें राज्य की संस्थाओं का बेजा इस्तेमाल करके मौजूदा सरकार के आलोचकों को धमकी देना, प्रताड़ित करना और चुप कराने की कोशिश करना शामिल है।
गौरतलब है कि आज सुबह ही ईडी और आईटी की टीम ने हर्ष मंदर के वसंत कुंज स्थित घर और मेहरौली स्थित बच्चों के शेल्टर होम और उससे जुड़ी संस्थाओं में छापे डाले। हर्ष मंदर इस समय भारत में नहीं हैं वह प्रतिष्ठित राबर्ट बोस एकैडमी के निमंत्रण पर जर्मनी की यात्रा पर हैं। 16 सितंबर को ये छापे हर्ष मंदर और उनकी पत्नी के 9 महीने की फेलोशिप के लिए जर्मनी रवाना होने के कुछ घंटों बाद ही डाले गए। बता दे कि यह वही हर्ष मंदर हैं, जो मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर अपने पूरे जीवन में देश के सबसे गरीब और वंचित समुदाय के पक्ष में खड़े रहे और साम्प्रदायिक नफरत और हिंसा के खिलाफ देश की सिविल सोसाइटी की सबसे मजबूत आवाजों में से एक माने जाते हैं।
वरिष्ठ वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने छापे को दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक करार देते हुए अपने ट्वीट में कहा कि, “दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक! हम जनहित कार्यकर्ताओं और संगठनों को टारगेट और अक्षम करने के लिए ईडी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का एक व्यवस्थित प्रयास देख रहे हैं।”
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने सरकार पर ईडी के छापे से डराने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया कि, “इस शासन के खिलाफ खड़े हो जाओ और आपको ईडी के छापे का सामना करना होगा। कमाल है सरकार सोचती है कि यह हर्ष मंदर जैसे लोगों को इन छापेमारी से डरा सकती है। हर्ष भाई, आपको और आपके काम को और ताकत मिले।”