15 मई 2023। आज अपराह्न 3.45 बजे वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर राजघाट स्थित गांधी विद्या संस्थान के पुस्तकालय का प्रभार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को कमिश्नर ने मजिस्ट्रेट और काफी संख्या में पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में सौंप दिया। गौरतलब है कि गांधी विद्या संस्थान का मामला उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में लंबित है। Sarva Seva Sangh सर्व सेवा संघ, वाराणसी से जुडे गांधी विचारक रामधीरज सिंह ने कहा कि कमिश्नर द्वारा अचानक गांधी विद्या संस्थान को कब्जा कर एक सरकारी संस्थान को देना अनुचित, अन्यायपूर्ण और अवैधानिक है।
उल्लेखनीय है कि संस्थान के नियम-कायदों के अनुसार सभी चल-अचल संपत्तियां सर्व सेवा संघ को पुन: वापस होनी हैं। इस संबंध में सर्व सेवा संघ ने उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में वाद दायर किया हुआ है, जो विचाराधीन है।
ज्ञातव्य है कि गांधी विद्या संस्थान को लेकर 2007 में अपर जिला जज दशम, वाराणसी के निर्देश के अनुसार वाराणसी के कमिश्नर की अध्यक्षता में एक संचालन कमेटी बनायी गयी थी। इस कमेटी को संस्थान का संचालन करना था, लेकिन कमेटी द्वारा आज तक न तो कोई बैठक बुलाई गयी और न ही इस संदर्भ में सर्व सेवा संघ को कोई सूचना दी गयी। सोमवार को अचानक ही आयुक्त ने इंदिरा गांधी कला केन्द्र को पुस्तकालय सौंपने के लिए आदेश निर्गत कर दिये, जो अन्यायपूर्ण एवं विधि विरुद्ध है। यह भी गौरतलब है कि यह भूमि, भवन व पुस्तकें सर्व सेवा संघ की संपति हैं।
राजघाट में Gandhi Vidya Sansthan गांधी विद्या संस्थान की स्थापना मूल रूप से जयप्रकाश नारायण के प्रयास से हुआ था। वर्ष 1961-62 से संस्थान में डा. संपूर्णानंद, शंकर राव देव, जयप्रकाश नारायण, के. अरुणाचलम्, ईवि आर्यानायकम, नबोकिरण चौधरी समेत सात प्रमुख सामाजिक-राजनीतिक नेताओं और विचारकों द्वारा अध्ययन शुरू हुआ। इस संस्थान का उद्देश्य गांधी विचार के आधार पर चल रहे कार्यक्रमों का अध्ययन करना और उन्हें समाज विज्ञान से जोड़ना था। बाद के दिनों में इस संस्थान पर कुछ लोगों के कब्जे के भी आरोप लगे थे। इसे देखते हुए संस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था जिला प्रशासन के हवाले कर दी गई। इसके बाद जिला प्रशासन ने पिछले दिनों कुछ लोगों को संस्थान परिसर से बेदखल भी किया था।