आवाज संस्‍था द्वारा शहर के पांच समाजसेवियों को ‘आवाज़ अवार्ड’ से नवाज़ा गया

इंदौर, 6 अप्रैल। मिलावट सिर्फ खाने-पीने की चीज़ों में नहीं, बल्कि हमारे विचारों और व्यवहार में भी हो गई है। जब इंसान के अंदर की ईमानदारी कमजोर होती है, तब वह आहार में भी मिलावट करने लगता है। ये विचार प्रसिद्ध कार्डियक सर्जन डॉ. मुहम्मद अली ने  आवाज़ ग्रुप द्वारा आयोजित ईद मिलन समारोह में व्‍यक्‍त किये।

‘इंसान का तौल माटी के मौल’ विषय पर केंद्रित यह आयोजन इंदौर प्रेस क्लब सभागार  में किया गया, जिसमें सामाजिक सौहार्द में रूचि रखने वाले सैं‍कड़ों व्‍यक्तियों ने हिस्‍सेदारी की। कार्यक्रम का उद्देश्य था – मिलावट के खिलाफ आवाज़ उठाना, चाहे वह खाने में हो, विचारों में हो या समाज के चरित्र में।

विशेष वक्‍ता डॉ. अली ने कुरान की आयतों के हवाला देते हुए कहा कि ईमानदारी से नाप-तौल करने वालों का दर्जा नबियों और शहीदों जैसा होता है। उन्होंने कहा, “बीमारियों की असली जड़ मिलावट है – चाहे वो खाद्य पदार्थों में हो या इंसानी सोच में।”

पंडित डी. जी. मिश्र (अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, गुना) ने सर्व भवन्तु सुखिन श्लोक सुनाते हुए कहा कि सबका शुद्ध भोजन पर हक है, और जब तक हम उपभोक्ता के रूप में सचेत नहीं होंगे, तब तक शोषण होता रहेगा। उन्‍होंने कहा कि सभी धर्मों की मूल भावना ईमानदारी और शुद्धता है। उन्होंने चेताया कि हम रोजमर्रा की चीजों में हो रही मिलावट को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे बच्चों तक को दिल की बीमारी हो रही है। उन्होंने बताया कि पूजा में इस्तेमाल होने वाला घी तक अब शुद्ध नहीं रहा और इसके लिए हमारा लालच भी जिम्मेदार है। उन्‍होंने कहा कि जो व्यापार में मिलावट करते हैं, वह स्वयं भी धोखा खाते हैं क्योंकि उनके जैसे मिलावटखोर और भी हैं, पाप लौट कर पुन: आता हैं।

वरिष्ठ पत्रकार हिदायतुल्लाह खान ने कहा, “आज राम नवमी और ईद एक साथ है, यही हिंदुस्तानियत है।” उन्‍होंने धर्म और समाज के बीच सेतु बनाने की अपील करते हुए कहा, जब मोहब्बत कम होती है, तभी समाज में नफरत दिखती है। हमें मोहब्बत की रौशनी बढ़ानी होगी, ताकि नफरत की परछाइयां मिट सकें। उन्होंने कहा, इंसान के दिल में एक तराजू है – ईमानदारी उसी से तौली जाती है।” उन्‍होंने कहा कि अगर समाज के अच्छे लोग दमदारी से मोहब्बत की बातें करेंगे तो नफरत करने वाले कमजोर हो जायेंगे और समाज अच्छा बन जाएगा।

सीपीआरडी के लोकेश शर्मा ने धाराप्रवाह संबोधन में विचारों की मिलावट, मीडिया की भूमिका, और मोबाइल एडिक्शन जैसे आधुनिक मुद्दों को छुआ। उन्होंने कहा, अब चरित्र में गिरावट आ रही है, और हम दीवारों पर बंटवारे के निशान देखते हैं, जबकि लोग एक ही कमरे में भी अलग-अलग रहते हैं। उन्होंने भगत सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि भगत सिंह ने लिखा हैं कि अगर पीपल के पेड़ की टहनी टूटने से हिंदुओं और ताजिए का कोना टूटने से मुसलमानों की भावनाएं आहत हो रही हैं तो ऐसा धर्म मुझे नहीं चाहिए। हमारे समाज में नफरत की मिलावट समाज को बर्बाद कर रही हैं।

कार्यक्रम में समाज सेवा के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट योगदान  देने वाले पांच समाज सेवियों रितेश बाफना  (वेकअप फाउंडेशन), मरहूम शकील शेख (मिशन शिफा-ए-रहमानी), अली असगर मुनाकिबवाला, राजेश विजयवर्गीय (बालाजी वेलफेयर सोसाइटी), स्मिता हेमंत किशनानी (दीदी) को ‘आवाज़ अवार्ड’ से नवाज़ा गया।

कार्यक्रम का संचालन शब्बीर हुसैन ने किया और उन्होंने कहा, “जब इंसान के विचार गिरते हैं, तो उसका आहार भी दूषित हो जाता है। रिजवान खान ने मेहमानों का परिचय कराया, आभार आदिल सईद ने व्यक्त किया। समारोह का समापन शीरखुरमा के साथ हुआ, जहां सभी ने एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी और आपसी मोहब्बत व एकता का संदेश साझा किया।

कार्यक्रम में अभ्‍यास मंडल के शिवाजी मोहिते, एनी पंवार, गांधी शांति प्रतिष्‍ठान केंद्र, सेवा सुरभि से कुमार सिद्धार्थ, वरिष्‍ठ कार्टूनिस्‍ट इस्‍माइल लहरी, आर के जैन, इसाक चौधरी, सिराजभाई जालीवाला, असगर फिदवी, शफी शेख, कमलेश सेन, अशोक दुबे, अर्जुन रिछारिया, उमा झंवर, शब्‍बर भाई रंगवाला, प्रो अजीज इरफान, गुलाम शिरानी, अरबा शकिर सहित शहर के गणमान्‍य नागरिक, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।