भारत सहित लंदन, मैक्सिको, सेनेगल, फिलीपींस एवं 25 अन्‍य देशों में चल रही है न्याय और शान्ति पदयात्रा

28 सितम्बर, 2021 दिल्ली। एक तरफ जहां हम भारत की 75वीं आजादी वर्षगाँठ का जश्न मना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आज भी जल, जंगल, जमीन का मुद्दा पहले जैसा ही है। आज भी लाखों लोगों के पास रहने के लिए आवासीय जमीन नहीं है। जिनके पास जमीन है उन्हें उनके जमीन से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है। खासकर जंगल से लोगों को बेदखल करने की साजिश वैश्विक स्तर पर चल रही है। आदिवासियों की समस्या हम सबके सामने वैश्विक समस्या बन के उभरी है।

उक्त बातें गांधीवादी विचारक राजगोपाल पी. व्ही. ने 12 दिवसीय वैश्विक पदयात्रा के दौरान कही। उल्लेखनीय है कि समाज में न्याय और शांति स्थापित करने के उद्देश्य से एकता परिषद और सर्वोदय समाज द्वारा 12 दिवसीय न्याय और शान्ति पदयात्रा, 21 सितम्बर को अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस के मौके पर शुरू की गई है।

इस कड़ी में बिहार और उड़ीसा में पदयात्रा कर चुके प्रसिद्ध गांधी विचारक पी व्‍ही राजगोपाल वहां की मुख्य समस्याओं के बारे में बताते हुए कहते हैं, “बिहार में जल, जंगल, जमीन के मामले में सवाल अधूरे हैं। भूदान में जिन लोगों को जमीन मिली थी वह अभी तक उनके नाम पर नहीं हो पाई है, ऐसे लोगों की जमीन खतरे में है। नदी, नाले और रेलवे पटरियों के किनारे रहने वाले लाखों लोगों के पास आवासीय जमीन का पट्टा तक नहीं है। पलायन से वापस लौटे लोगों की स्थिति और भी दुखदायी है। बिहार के संदर्भ में कहें तो पदयात्रा के दौरान लगा कि न्याय का जो सवाल है वह बहुत ही दूर है। बिहार में जमीन के सवालों को हल करने के लिए संगठित होकर प्रयास करने की आवश्यकता है।”

उड़ीसा की पदयात्रा के अनुभव के बारे में बताते हुए राजगोपाल कहते हैं, “यहां अन्य राज्यों के मुकाबले न्याय के मुद्दे पर बात करने के लिए राजनीतिक जगह ज्यादा है। पिछले कई आंदोलनों के कारण जमीन की समस्या को हल करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। लेकिन औद्योगीकीकरण यहां ज्यादा है, कई कंपनियां खनन के कारण यहां आ रही हैं। जिस कारण लोगों के हाथों से जमीन जा रही है और इसका फायदा भी लोगों को नहीं पहुंच रहा है।”

राजगोपाल आगे कहते हैं, “पदयात्रा के दौरान बिहार और उड़ीसा में यह जरूर महसूस हुआ कि एक तरफ गरीब और वंचित लोगों के हाथों से जल, जंगल जमीन सरकार छीन रही है वहीं दूसरी तरफ सरकारों ने इनके लिए एक रुपया चावल, खाते में हजार रुपए जैसी अन्य योजनाओं को शुरू किया है। इससे हो यह रहा है कि सरकार इन्हें मरने तो नहीं दे रही है, लेकिन आराम से जीने भी नहीं दे रही है।”

इस पदयात्रा के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में पी. व्ही. राजगोपाल कहते हैं, “हमारी जो अन्य देशों में पदयात्रा चल रही है वह मुख्य रूप से जलवायु प्रदूषण के मुद्दे पर है। क्योंकि विश्व के लोगों को यह महसूस होने लगा है कि अगर हम अपनी जीवनशैली नहीं बदलेंगे तो कुछ सालों के भीतर दुनिया समाप्त हो सकती है। तो ऐसे में लोगों को अब लगने लगा है कि विश्व की सरकारों को जलवायु को लेकर अपनी नीति बदलनी चाहिए।”

जलवायु परिवर्तन को ही मुख्य मुद्दा बनाकर विश्व के कोने-कोने में यह यात्रा शुरू हो चुकी है। न्याय और शान्ति पदयात्रा लंदन, मैक्सिको, सेनेगल, फिलीपींस, सहित 25 देशों में चल रही है। वहीं प्रतिदिन शाम को वेबिनार के माध्यम से सभी देशों के पदयात्री इकट्ठा होकर जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करते हैं।

उल्लेखनीय है कि न्याय और शान्ति पदयात्रा – 2021 देश के 105 जिलों के साथ-साथ विश्व के 25 देशों में आयोजित की जा रही है। यात्रा के दौरान लगभग पांच हजार पदयात्री पैदल चल रहे हैं और लगभग दस हजार किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। इस ऐतिहासिक पदयात्रा का समापन 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर की जाएगी। 2 अक्टूबर को दुनिया में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

[block rendering halted]

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें