जन स्वास्थ्य अभियान की मांग
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम वर्मा ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर कोविड 19 की निजी लैब में जाँच के लिए 4500/- राशि की शुल्क सीमा हटाने के बारे में जानकारी दी है। आईसीएमआर ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्राइवेट लैब से बातचीत करके आपसी सहमति से जांच की कीमत तय कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कोविड-19 की जाँच के लिए स्थानीय स्तर पर कई नए प्रयास हुए हैं और विदेशी आयातित किट्स के नए विकल्प भी मिले हैं इसलिए ये निर्देश जारी किये गये हैं।
गौरतलब है कि कर्नाटक, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा सरकार ने निजी लेब्स से कोविड 19 की जाँच आईसीएमआर द्वारा प्रस्तावित दर से काफी कम शुल्क में टेस्ट करवा रहे हैं। कर्नाटक में कोविड-19 की जांचें 2250 रूपये में हो रही हैं ।
जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि, एस. आर. आजाद, डॉ. जी. डी. वर्मा, राकेश चंदोरे, राजकुमार सिन्हा ने सरकार से मांग की है कि इस संकट की घडी में कोविड-19 की जाँच सभी निजी लेब्स में मुफ्त में होना चाहिए और सभी लैब का यह नैतिक कर्तव्य भी है। उनका मानना है कि निजी लेब्स में कोविड -19 की जाँच के लिए आईसीएमआर ने पूर्व में जो राशि तय की गयी थी, वह भी एक आम व्यक्ति के लिए वहन करने लायक नहीं थी। वहीं इस समय आर्थिक संकट से जूझ रही जनता के यह और मुश्किल हैं।
उन्होंने यह कहा कि मध्य प्रदेश सरकार को जाँच क्षमता बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए और सभी सक्षम निजी व शासकीय लेब्स को इसके लिए शीघ्र अनुमति दी जाना चाहिए। वर्तमान में प्रदेश में मात्र 20 लेब्स में ही कोविड 19 की जांचें हो पा रही हैं जो कि अन्य पड़ोसी राज्यों की तुलना में बहुत कम हैं। इसे तुरंत बढाया जाना चाहिए, क्योंकि आज कोविड-19 का संक्रमण प्रदेश के 50 जिलों में फैल चुका है ।
उन्होंने कहा इस बात को भी रेखांकित किया कि पूर्व में मध्यप्रदेश सरकार जिस प्रकार बुलेटिन में टेस्टिंग किट के साथ अन्य जरुरी उपकरणों की उपलब्धता की जानकारी दे रही थी, उसे पारदर्शिता के साथ नियमित रूप से पुन: देना चाहिए, ताकि सही जानकारी से नागरिक अवगत हो सके।