भोपाल, 5 सितंबर। वर्ष 2024 का प्रतिष्ठित अमलप्रभा सर्वोदय पुरस्कार मध्यप्रदेश की सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती दमयंती पाणी, गांधी आश्रम, छतरपुर को प्रदान किया जाएगा। असम के सर्वोदय ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में पुरस्कार प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया। आगामी 12 नवंबर 2024 को शरणिया आश्रम, गुवाहाटी में अमलप्रभा दास की 113वीं जन्म जयंती के अवसर पर उन्हें पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। इस पुरस्कार में सम्मान पत्र, सरई (असमिया लोक संस्कृति की प्रतीक), इंडी चादर (असम की पारंपरिक रेशम वस्त्र), फुलम खादी गमछा (असम का स्वागत सम्मान वस्त्र) एवं रू 50,000 की नगद राशि सम्मिलित हैं।
दमयंती पाणी छतरपुर जिले में पिछले दो दशक से गांधीवादी रचनात्मक कार्यों में संलग्न रहते हुए जैविक कृषि, स्वावलंबन, कृषि प्रशिक्षण, देशी बीजों का संरक्षण-संवर्धन, गौशाला संचालन तथा देशी नस्ली का संवर्धन, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, महिला उत्थान एवं प्राकृतिक चिकित्सा, युवाओं के विकास तथा बच्चों के सांस्कृतिक विकास के लिए प्रभावी कार्य कर रही हैं। उनके अथक परिश्रम और लगन से गांधी आश्रम जीवंत और सक्रिय होकर कार्य कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि दमयंती पाणी नवोदय विद्यालय की नौकरी छोड़ कर नर्मदा बचाओ आन्दोलन के साथ जुडी। बरगी विस्थापित क्षेत्र में महिला और किशोरी स्वास्थ्य के लिए कार्य के साथ ही गुजरात में बच्चों की नई तालीम शिक्षा प्रयोग से जुड़ी रहीं। दो वर्ष सेवाग्राम आश्रम में रचनात्मक कार्य की शिक्षा ग्रहण की। आज कल दमयंती मध्यप्रदेश गांधी स्मारक निधि की सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही है। वे प्रदेश की कई रचनात्मक व गांधी विचारक संस्थाओं से भी जुडी है।
सर्वोदय ट्रस्ट, गुवाहाटी के सचिव नयन भंडारी शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि गुवाहाटी में सर्वोदय ट्रस्ट की स्थापना 1959 में स्वतंत्रता सेनानी, सिविल सर्जन डॉ. हरिकृष्ण दास की दोनों सुपुत्रियों अमलप्रभा दास, तिलोत्तमा राय चौधुरी ने की थी। गांधीजी और विनोबा के बतायें रास्ते पर चलते हुए ट्रस्ट के माध्यम से विद्यालय, स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक केन्द्र, प्रशिक्षण केन्द्र, ग्राम सेवा केन्द्र की स्थापना की गई तथा उनके द्वारा विविध रचनात्मक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। संस्था द्वारा प्रतिवर्ष डॉ. हरिकृष्ण दास मेमोरियल अवार्ड, डॉ. तिलोत्तमा राय चौधुरी मेमोरियल अवार्ड, अमलप्रभा दास सर्वोदय अवार्ड प्रदान किये जाते हैं।
ज्ञातव्य है कि अमलप्रभा दास एक गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता, विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाली प्रथम असमिया महिला थी। अमलप्रभा बाईदेव की माता हेमप्रभा दास ने 1939 में शरणिया आश्रम की स्थापना की, अमलप्रभा दास ने कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की असम शाखा की स्थापना शरणिया आश्रम में की, जिसका 9 जनवरी 1946 को महात्मा गांधीजी ने उद्घाटन किया। 1934 में स्वतंत्रता आन्दोलन के गांधीजी दौरान उनके घर में रुके, मुलाकात हुई, गांधीजी ने उनके बारे में कहा ‘‘यह लड़की चतुर है, काम कर सकती है।’’ और तभी से उन्होंने अपना जीवन सेवा में समर्पित कर दिया।
उन्होंने अपने पिता की समस्त सम्पत्ति गांधीवादी कार्य के लिए दान में दे दी। उन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार, तथा भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। असम तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित रही।
इस प्रतिष्ठित और सम्मानित पुरस्कार को इसके पहले प्रीति कना दास 2014, लक्ष्मी फुकन 2015, द्वारिका वरूवा 2016, चम्पा बड़ा 2017, उमेश चन्द्र मेघी 2018, 2019 में खिरोदा कुमारी बरुवा, 2020 में लेनटिना ठक्कर-नागालेंड, 2021 में नीलिमा काकोति, 2022 में निशिनाथ चुंगकाकोति, 2023 में बुधेश्वरी सईकिया को उनके सामाजिक कार्यों के लिए प्रदान किया गया।