सर्वोदय त्याग और सृजन का इतिहास है – चंदन पाल

भुवनेश्वर, 17 नवंबर।  महात्मा गांधी के सर्वोदय विचार और स्वतंत्रता के बाद समानता व समृद्धि के साथ एक नए भारत के निर्माण की परंपरा को याद करते हुए, ओडिशा में सर्वोदय आंदोलन पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण पुस्तक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक ओडिशा के सर्वोदय आंदोलन और इसके अंतर्गत हुए उल्लेखनीय कार्यों का एक व्यापक दस्तावेज है, जिसमें समाज सुधारक और प्रेरक नेताओं के योगदान को विस्तार से रेखांकित किया गया है।

पुस्तक में ओडिशा के महान सर्वोदय नेताओं जैसे गोपबंधु चौधरी, रमा देवी, आचार्य हरिहर, कृपासिन्धु होता, मालती देवी, और नवकृष्ण चौधरी के योगदान को विशेष रूप से उकेरा गया है। इन नेताओं ने अपने संपूर्ण जीवन को त्याग और सृजन के कार्यों में समर्पित कर, हजारों रचनात्मक कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया। भूदान और ग्रामदान जैसे आंदोलनों से लेकर सांप्रदायिक सौहार्द और नवसाम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्षों तक, ये नेता हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहे।

यह पुस्तक उन हजारों कार्यकर्ताओं के योगदान को सम्मानित करती है, जिन्होंने त्याग और समर्पण के साथ समाज में रचनात्मक बदलाव की नींव रखी। इसमें भूदान, ग्रामदान, आपातकाल विरोधी आंदोलन, सांप्रदायिक सौहार्द, और नवसाम्राज्यवाद विरोधी संघर्षों जैसे आंदोलनों का समावेश है। लेखक डॉ. प्रधान ने इस पुस्तक को गहन शोध और समर्पण के साथ लिखा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने इस पुस्तक को त्याग और सृजन के कार्यों का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह पुस्तक 1948 से 2010 तक ओडिशा के सर्वोदय आंदोलन की प्रेरक यात्रा का दस्तावेज है। ये जीवंत दस्तावेज इतिहासकार डॉ. प्रशांत कुमार प्रधान की अभूतपूर्व शोध क्षमता और मेहनत का परिणाम है। उन्होंने कहा “सर्वोदय आंदोलन केवल एक विचार नहीं, बल्कि यह मानवता और समाज के प्रति त्याग और सेवा का प्रतीक है। यह पुस्तक केवल इतिहास नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, ग्रीन नोबेल पुरस्कार विजेता प्रफुल्ल सामंतरा ने कहा कि भूदान और ग्रामदान जैसे आंदोलनों ने लोगों में सामूहिक जागरूकता पैदा की, और आज हमें कॉर्पोरेट भूमि अधिग्रहण के खिलाफ इन्हीं आदर्शों के आधार पर आंदोलन को और सशक्त बनाने की जरूरत है। प्रमेय दैनिक के फीचर संपादक सुभाष चंद्र शेतपथी ने कहा कि सर्वोदय आंदोलन ने साम्राज्यवाद के विरुद्ध जिस तरह से लड़ाई लड़ी, वह आज के समय में और अधिक प्रासंगिक हो गई है।

ओडिशा के वरिष्ठ जाने-माने सर्वोदय सेवक एवं बाजी राउत छात्रावास के अध्यक्ष शैलज रवि ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए बताया कि यह भूदान, ग्रामदान आंदोलन, आपातकाल, सांप्रदायिक सौहार्द, और नवसाम्राज्यवाद विरोधी संघर्षों का एक समृद्ध दस्तावेज है। इसमें हजारों कार्यकर्ताओं और उनके आंदोलनकारी जीवन को संजोया गया है। डॉ. प्रशांत कुमार प्रधान द्वारा लिखित 600 पृष्ठों की यह पुस्तक 1948 से 2010 तक के सर्वोदय आंदोलन का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसके आवरण को तैयार करने वाले रमाकांत सामंतराय और डीटीपी कार्यकर्ता मानस पाढ़ी को भी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्कल गांधी स्मारक निधि की अध्यक्षा श्रीमती कृष्णा महांति ने की। मुख्य वक्ता के रूप में प्रमेय दैनिक के फीचर संपादक सुभाष चंद्र शेतपथी ने सर्वोदय आंदोलन के ऐतिहासिक और समकालीन महत्व पर प्रकाश डाला।

न्यायमूर्ति मनोरंजन मोहंती, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष ने सर्वोदय के मूल विचारों की सराहना करते हुए इसे आज के समय की आवश्यकता बताया। उत्कल प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष मिहिर प्रताप दास, विरुपाक्ष त्रिपाठी, साहित्यकार डॉ. झरणा पटनायक, और लोहिया अकादमी के संपादक देव प्रसाद रॉय जैसे प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. विश्वजीत ने किया। उन्‍होंने कहा कि यह विमोचन न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत में सर्वोदय आंदोलन के इतिहास को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन मानस पटनायक ने दिया। सर्वधर्म प्रार्थनाओं का आयोजन लिपिका महापात्र, सूर्य नारायण नाथ, और अनिमा राय द्वारा किया गया।

इस विमोचन समारोह में राज्य भर से आए सैकड़ों सर्वोदय कार्यकर्ता और उनके परिवारजन उपस्थित थे। सभी ने इस पुस्तक को सर्वोदय आंदोलन के ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व का अमूल्य दस्तावेज बताते हुए सराहा।