वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता कॉमरेड वसंत शिंत्रे का इंदौर में निधन
इंदौर, 2 फरवरी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता कॉमरेड वसंत शिंत्रे का 86 वर्ष की आयु में 2 फरवरी 2023 को इंदौर में सुबह 10.30 बजे देहांत हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उन्होंने जिस उद्देश्य में विश्वास किया, उसके प्रति समर्पित एक सैद्धांतिक जीवन भी जिया।
वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंदौर के जिला सचिव और भाकपा की राज्य परिषद के सदस्य रहने के साथ ही आल इंडिया इन्सुरेंस एम्प्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे थे। उन्होंने नागरिक समिति की ओर से 1999 में महापौर का चुनाव भी लड़ा था। अभ्यास मंडल में काम करते उन्होंने कई बडे सामाजिक बदलाव वाले कार्य किये। सांप्रदायिक सदभाव उनके एजेन्डे में सबसे आगे रहता था।
प्रगतिशील लेखक संघ के श्री विनीत तिवारी ने कहा कि शहरी और ग्रामीण विस्थापितों,आदिवासियों और वंचितों के अधिकारों के संघर्ष में वे अग्रिम पंक्ति में शरीक होते रहे। नर्मदा बचाओ आंदोलन,आदिवासी मुक्ति संगठन आदि में हमेशा एक सशक्त समर्थक स्तंभ की तरह उपस्थित होते थे। प्रगतिशील और जनवादी सांस्कृतिक गतिविधियों को भी उनका हमेशा प्रोत्साहन और मार्गदर्शन मिलता था। उनके निधन से शहर और प्रदेश की जनपक्षीय राजनीति और श्रम आंदोलन में एक बड़ी रिक्तता आयी है।
कम्युनिस्ट पार्टी से जुडे भाई शैलेंद्र शैली ने कहा कि कॉमरेड शिंत्रे के निधन से कम्युनिस्ट आंदोलन, श्रमिक आंदोलन और सांस्कृतिक, साहित्यिक परिदृश्य की बहुत बड़ी क्षति है। बहुत सारी यादों और गहरी संवेदना के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हॅू।
कामरेड एवं शिक्षाविद् विजय दलाल ने कहा कि मार्क्सवादी विचारधारा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के साथ एक बहुत ही उम्दा व्यक्तित्व, एक समर्पित कम्युनिस्ट और अपने आप में एक ट्रेड यूनियनिस्ट के निधन से हमने एक बहुमुखी और जीवंत व्यक्तित्व खो दिया है। उनके साथ लंबे समय तक जुड़े रहने और यूनियनों में विभिन्न जिम्मेदारियों के अपने दिनों में काम करने के बारे में जागरूक होने के कारण, उन्होंने हमेशा अपनी संगठनात्मक क्षमताओं, साथियों और सहयोगियों के प्रति दया के बारे में सराहना अर्जित की।
नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी सुश्री चित्तरूपा पालित ने उनके निधन पर कहा कि विश्वास ही नहीं हो पा रहा है कि कॉमरेड वसंत शिंत्रे हम सबको छोडकर चले गए। उनके क्रांतिकारी विचार हम सबके बीच में सदैव रहे। नर्मदा बचाओ आंदोलन के हर संघर्ष में शिंत्रेजी का साथ रहा। खासकर महेश्वर के आंदोलन में हर पड़ाव, हर कार्यक्रम, हर संघर्ष में उनका साथ मिला। हमने उनसे संघर्ष के बारे में बहुत कुछ सीखा। उनसे उम्र में बहुत कम होने के बावजूद उन्होंने हम सब कार्यकर्ताओं के साथ बराबरी का रवैय्या अपनाया।
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं नर्मदा बचाओ आंदोलन से संबंद्ध आलोक अग्रवाल ने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन के संघर्ष में हमेश विस्थापितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कर खड़े रहे। वे और सदैव हर परिस्थिति में हम सबको उत्साह देते रहे। ईश्वर उनकी आगे की यात्रा आनंदपूर्ण बनाये।
प्रंशात मोहन ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि बसंत शिंत्रे का यूं हम सब को छोड़ कर जाना बेहद दुखदायी है। ता उम्र एक वामपंथी पुरोधा रहे बसंतजी के जाने से जो खाली जगह बनी है शायद ही कभी उसकी भरपाई हो सके। उनके ना रहने से जहां वामपंथी विचारधारा को अपूरणीय क्षति पहुंची है वहीं व्यक्तिगत तौर पर अत्यंत आत्मीयता रखने वाले बुजुर्ग का साया हम पर से यूं अचानक उठ जाने से खुद को संभाल पाना मुश्किल सा लग रहा है।
मध्यप्रदेश वित्त निगम कर्मचारी संघ के श्री सुनील ने कहा कि मध्यप्रदेश वित्त निगम कर्मचारी संघ की स्थापना से लेकर 40 वर्षों तक पितातुल्य स्नेह, प्रकाशस्तंभ की तरह मार्गदर्शन तथा हठयोगी की तरह जुझारूपन की सीख देने वाले कॉमरेड बसंत शिंत्रे एक गहरा निर्वात छोड़ कर प्रस्थान कर गए। ट्रेड यूनियन आंदोलन को शिद्दत से लेकिन पूरी तहजीब से जीने वाले एक स्वर्णिम अध्याय का आज पटाक्षेप हुआ है। उनकी ट्रेड यूनियनों के प्रति गहरी व संकल्पित निष्ठा व अनुशासित शैली ने ट्रेड यूनियन आंदोलनों को सभ्य व सौम्य लोगों की लड़ाई का जामा पहनाया। मध्य प्रदेश बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन जिला इकाई इंदौर की ओर से एम के शुक्ला ने कहा कि यह न केवल श्रमिक आंदोलन की क्षति है अपितु आज के बाद सभी जनांदोलनों में भी एक कमी महसूस होगी।