कुमार सिद्धार्थ
प्रदेश के हर जिले में कोविड अस्पतालों को सुनिश्चित किये जाने की जरूरत
मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस का संक्रमण का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। ये अब तक मध्यप्रदेश के कुल 51 जिलों में अपने पांव पसार चुका है। प्रदेशभर में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या की बात करें तो शुक्रवार तक इन 51 जिलों में बढ़कर 7645 पहुंच गई है. जबकि 334 लोगों की मौत हो गई है जिनमें से 70 प्रतिशत मौतें (235) केवल इंदौर, उज्जैन और भोपाल जिलों में हुई है।
गौरतलब है कि प्रदेश में लाक डाउन 1 से लेकर लाकडाउन 4 में इस घातक विषाणु से संक्रमितों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। स्वास्थ्य बुलेटिनों का विश्लेषण बताता है कि संक्रमित मामले की औसत दैनिक दर लॉकडाउन 1.0 में 35 से बढकर लॉकडाउन 4.0 में 222 तक की पहुंच गई है, जो अधिक जांचों की वजह से संभव हो पाया है। लेकिन इससे पता चलता है कि 66 दिनों के लॉकडाउन के अंत तक मामलों के बढने की प्रवृत्ति बहुत अधिक गति से बढ़ रही है।
Number of positive cases found during lockdown period | Average Daily Rate of Positive case | Observation | |
Lockdown 1.0 | 25 March 2020 – 14 April 2020 (21 days) | 732 | 35 |
Lockdown 2.0 | 15 April 2020 – 3 May 2020 (19 days) | 2096 | 110 |
Lockdown 3.0 | 4 May 2020 – 17 May 2020 (14 days) | 2140 | 153 |
Lockdown 4.0 | 18 May 2020 – ongoing (11 days) scheduled to end on 31 May 2020 | 2668 | 222 |
वैसे लॉकडाउन 4.0 की मियाद 31 मई 2020 को समाप्त होने जा रही है। प्रदेश के जिलों में 1 जून से लॉकडाउन में ढील दी जाने से मामले और बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। लेकिन प्रदेश सरकार की इससे निपटने की कोई ठोस योजना नहीं दिखती है।
स्वास्थ्य मामलों के जानकार जन स्वास्थ्य अभियान के सह समन्वयक अमूल्य निधि बताते है कि प्रदेश के सभी स्वास्थ्य बुलेटिनों से पता चलता है कि जिलों में संक्रमितों के अधिकाधिक नमूने प्राप्त किए जा रहे हैं, लेकिन प्राप्त दैनिक नमूनों की तुलना में दैनिक जांचें कम ही हो पा रही है। मध्यप्रदेश में अभी केवल 20 ही टेस्टिंग लेब्स हैं जबकि महाराष्ट्र में 78, तमिलनाडु में 71 और गुजरात में 39 टेस्टिंग लेब्स उपलब्ध हैं।
जन स्वास्थ्य अभियान के एस आर आजाद बताते है कि मप्र में टेस्टिंग क्षमता बढ़ाना जरूरी है, अन्यथा आने वाले समय में स्थिति और गंभीर होगी। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी स्वास्थ्य बुलेटिनों में टेस्टिंग किट के आंकडे देना बंद कर दिये है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में अभी भी केवल 25 केाविड अस्पताल चिन्हित किये गए हैं। चूंकि लॉकडाउन 1.0 से लेकर लॉकडाउन 4.0 के दौरान कोरोना वायरस के संक्रमितों की औसत दर बढती नजर आ रही है, ऐसे में हर जिले में कोविड अस्पतालों, जिसमें मरीज के इलाज की पूरी सुविधा हो, का होना आवश्यक है। साथ ही पारदर्शिता की दृष्टि से सभी जिलों में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर और आईसीयू बेड की संख्या दैनिक स्वास्थ्य बुलेटिनों में अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए, जो सार्वजनिक हित के लिए महत्वपूर्ण है।
कोविड-19 का खतरा अब तक अछूते रहे क्षेत्रों में बढता जा रहा हैं। संक्रमण के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच चुकने के बाद प्रदेश सरकारें लॉकडाउन खोलने की योजनाओं पर बातें कर रही हैं, लेकिन आखिरकार ऐसे घटनाक्रम भी मौजूद हैं जो संकेत दे रहे हैं कि लॉकडाउन के बाद की अवधि में स्थितियां कितनी चुनौतीपूर्ण होंगी। यह महामारी जून में अपने दूसरा मारक चेहरा दिखाएगी, जिसके लिए राज्य सरकार को पूरी मुस्तैदी के साथ जुटे रह ना होगा।