चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा अब नहीं रहे। वृक्षमित्र बहुगुणा का कोरोना वायरस के चलते निधन हो गया।

चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा अब नहीं रहे। आज उन्‍होंने एम्‍स में दोपहर 12.30 बजे अंतिम सांस ली। 95 वर्षीय श्री बहुगुणाजी पिछले 13 दिन से ऋषिकेश के एम्स में भर्ती थे, जहां उनका स्‍वास्‍थ्‍य गंभीर बना हुआ था। वह कुछ दिनों पहले कोरोना वायरस से संक्रमित थे। जिसके बाद हालत बिगड़ने पर उनको ऋषिकेश एम्स में भर्ती करवाया गया था।

सुविख्यात सर्वोदयी विचारक, पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा पिछले कई सालों से हिमालय में वनों के संरक्षण के लिए लड़ रहे थे। वह पहले 1970 के दशक में चिपको आंदोलन के प्रमुख थे। सुंदर लाल बहुगुणा के प्रयासों का ही नतीजा रहा कि आंदोलन के बाद 15 सालों तक के लिए उत्तराखंड में सरकार ने पेड़ काटने पर रोक लगा दिया। बाद में उन्होंने 1965 से 1970 तक पहाड़ी क्षेत्रों में शराब बंदी पर रोक लगाने के लिए महिलाओं को एकत्रित किया और आंदोलन चलाया। सुंदरलाल बहुगुणा ने 1981 से 1983 के बीच पर्यावरण जन जागृति को लेकर कश्‍मीर से कोहिमा में करीब 5000 किलोमीटर की पत्रयात्रा की। इस यात्रा ने न केवल उन्हें सुर्खियों में ले आई बल्कि आंदोलन देश में खास तौर पर चर्चित हुआ।

अपनी पत्नी श्रीमती विमला बहुगुणा के सहयोग से सिलयारा (टिहरी गढ़वाल) में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ की स्थापना भी की। उन्‍होंने उत्तराखंड में बड़े बांधों के विरोध में आंदोलन की अगुवाई भी की थी। इसके अलावा टिहरी बांध के विरोध के चलते उनके लंबे संघर्ष के फलस्वरूप केंद्र सरकार ने पुनर्वास नीति में तमाम सुधार किए।

भूदान आंदोलन से लेकर दलित उत्थान, शराब विरोधी आंदोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में “वृक्षमित्र” के नाम से प्रसिद्ध हो गए। श्री बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में उन्हें पुरस्कृत भी किया। पर्यावरण बचाने की अलख जगाने वाले इस महान नेता को साल 2009 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण से भी नवाजा। उन्‍हें अनेक पुरस्‍कार और सम्‍मान प्राप्‍त हुए इनमें 9 दिसंबर 1987 को राइट लाइवीहुड पुरस्‍कार प्रमुख है।  

देशभर से उनके निधन पर अनेक सर्वोदयी संस्‍थाओं, रचनात्‍मक संस्‍थाओं और पर्यावरण से सरोकार रखने वाले लोगों ने अपनी भावभानी भावांजलि अर्पित की है। गांधी शांति प्रतिष्‍ठान, केंद्रीय गांधी स्‍मारक निधि, कस्‍तूरबा गांधी राष्‍ट्रीय स्‍मारक ट्रस्‍ट, गांधी भवन न्‍यास, विसर्जन आश्रम सहित अनेक संस्‍थाओं ने दुख जताया है। सप्रेस के कुमार सिध्‍दार्थ ने श्रध्‍दा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि देश ने एक महान वृक्ष मित्र को खो दिया है। दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति लोक चेतना जागृत करने में श्री बहुगुणाजी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्‍होंने कहा कि श्री बहुगुणा का सर्वोदय प्रेस सर्विस को लगभग 5 दशक से अधिक समय तक सान्निध्‍य और स्‍नेह मिलता रहा था। 

पर्यावरण डाइजेस्‍ट के संपादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने कहा कि देश में पर्यावरण संरक्षण की लोक चेतना के पर्याय थे। उन्‍होंने समाज के युवा वर्ग को पर्यावरण संरक्षण के कार्यों से जोडने का महत्‍वपूर्ण कार्य किया है। उनका अवसान पर्यावरण प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति है। श्री बहुगुणा का मध्‍यप्रदेश से काफी लगाव रहा  और प्रदेश में अनेक बार उनका प्रवास हुआ।  

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