नई दिल्ली। बंधुआ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, आर्य समाज नेता, समााजिक कार्यकर्त्ता प्रखर वक्ता स्वामी अग्निवेश का शुक्रवार 11 सितंबर को यहां निधन हो गया। स्वामी अग्निवेश लीवर खराब होने के कारण उन्हें दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल दिल्ली में भर्ती कराया गया था। स्वामी अग्निवेश को शाम 6 बजे दिल का दौरा पड़ा । उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका, जहां शाम 6.45 बजे उन्होंने अंतिम सांसें ली। स्वामी जी 81 वर्ष के थे।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने बताया कि स्वामी अग्निवेश का पार्थिव शरीर 12 सितम्बर को सुबह 11 से दोपहर दो बजे तक अंतिम दर्शन के लिए 07, जंतर-मंतर मार्ग स्थित कार्यालय में रखा जाएगा। उनका अंतिम संस्कार इसी दिन शाम चार बजे गुरुग्राम जिले में अग्निलोक आश्रम, बहलपा में किया जायेगा।
स्वामी अग्निवेश हमेशा चर्चा में रहने वाले और समाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने वालों में से थे। अग्निवेश ने 1970 में आर्य सभा नाम की एक राजनीति पार्टी बनाई थी। 1977 में वह हरियाणा विधासनभा में विधायक चुने गए और हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे थे। 1981 में उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम के संगठन की स्थापनी की थी।
अन्ना हजारे के साथ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन शामिल रहे
वहीं, स्वामी अग्निवेश ने 2011 में अन्ना हजारे की अगुवाई वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। स्वामी अग्निवेश ने रियलिटी शो बिग बॉस में भी हिस्सा लिया था। वह 8 से 11 नवंबर के दौरान तीन दिन के लिए बिग बॉस के घर में भी रहे थे। पिछले साल झारखंड में नारंगी आतंकियों ने उन पर जानलेवा हमला किया था जिसमें लहूलुहान हो गए थे ऐसा कहा जाता है कि उसकी मारपीट के बाद उनके लीवर में दर्द शुरू हुआ था जो आज उनकी मौत का कारण बना।
तेलुगु भाषी के साथ हिंदी, अंग्रेजी और कई भाषाओं के जानकार
समाजवादी नेता एवं पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने अपनी यादों को साझा करते हुए बताया कि स्वामी जी आर्य समाज के अध्यक्ष रहे। कर्मकांड और अंधविश्वास पर जबर्दस्त प्रहार करते थे। तेलुगु भाषी होने के बावजूद उन्हें हिंदी, अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं का ज्ञान देखकर विवेकानन्द को याद करते हैं। स्वामी जी के भाषण के देश और दुनिया में करोड़ों लोग कायल थे । स्वामी जी का भाषण मुर्दों में भी जान फूंकने वाला होता था। जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के आंदोलनों को उन्होंने लगातार समर्थन दिया है। दसियों बार नर्मदा घाटी गए। गत 30 वर्षों में आयोजित विभिन्न सम्मेलनों का वे सक्रिय रूप से अभिन्न अंग रहे।
न्याय, समता, बराबरी और जन समर्थक की भूमिका
सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं लेखक बाबा मायाराम ने उनके प्रति श्रध्दा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि चाहे 70-80 के दशक में उभरे छत्तीसगढ़ में खान मजदूरों का आंदोलन हो, बंधुआ मुक्ति का आंदोलन हो, नर्मदा घाटी में चल रहा बड़े बांधों का आंदोलन हो, या किसानों का आंदोलन हो स्वामी अग्निवेश उसमें शामिल होते थे। वे आर्य समाजी नेता थे और कर्मकांड व अंधविश्वास का विरोध करते थे लेकिन उनकी जन आंदोलन में भूमिका व समर्थन सदैव याद किया जाएगा। न्याय, समता, बराबरी और जन समर्थक भूमिका के लिए उन्हें याद किया जाएगा। बंधुआ मुक्ति मोर्चा के माध्यम से बंधुआ मजदूरों की लड़ाई के साथ, देश भर के जनसंगठनों को समर्थन व ताकत देते थे।
बाब मायाराम ने बताया कि मैं उनसे कई बार मिला। कुछ यात्राएं भी साथ की। उनके ओजस्वी व मंत्रमुग्ध करनेवाले भाषण सुने। जनसाधारण को समझ में आनेवाली भाषा व स्थानीय मुहावरों में समां बांधने वाला भाषण देनेवाले वे अनूठे वक्ता थे। छत्तीसगढ़ से उनका विशेष रिश्ता था। मशहूर मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी व उनके संगठन छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के आंदोलनों व कार्यक्रम में कई बार आए।
पहली 1984 में दल्ली राजहरा में शहीद वीरनारायण सिंह शहादत दिवस पर उनका भाषण सुना था। वे शंकर गुहा नियोगी के बुलावे पर तत्काल आते थे। शंकर गुहा नियोगी के आंदोलनों में प्रमुखता से हिस्सा लेते थे। जब रायपुर महासमुंद जिले में मानवाधिकार कार्यकर्ता राजेंद्र सायल ने बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने की मुहिम चलाई तब भी अग्निवेश जी ने उसका समर्थन किया और वहां आए। अग्निवेश जी छत्तीसगढ़ी में भी भाषण देते थे। उनके जन आंदोलन को समर्थन व उनके जुड़ाव को सदैव ही याद किया जाएगा।
इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता जसबीर चावला ने कहा कि स्वामी अग्निवेशजी नज़दीकी मित्र थे। इंदौर-दिल्ली में मुलाक़ात होती रहती थी। बँधुआ मुक्ति मोर्चा के माध्यम से बँधुआ मज़दूरों की तरफ़ पहली बार देश का ध्यान आकर्षित किया और न केवल लाखों मज़दूरों को मुक्त करवाया बल्कि उनके लिये क़ानून भी बना। असगर अली इंजीनियर के साथ उन्हें भी लाइव्हली हुड पुरस्कार से नवाज़ा गया।
एक सच्चा समाज सुधारक जो सदैव दक्षिणपंथी हिंदुत्व के पैरोकारों के निशाने पर रहा,उन पर बार बार आक्रमण हुए। समाजसेवा, कट्टरपंथ और राजनीतिक सुधार की एक बेजोड़ बेमिसाल और उन्मुख आवाज का अवसान देश के लिए बहुत बड़ी हानि है।
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