गांधीवादी समर्थकों का सर्व सेवा संघ परिसर में चले रहे सविनय अवज्ञा सत्याग्रह का 56वां दिन
वाराणसी, 15 जुलाई। सर्व सेवा संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अब सोमवार 17 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के सॉलीसीटर जनरल तुषार गोयल भी उपस्थित होकर कोर्ट से समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट में गांधीवादी मूल्यों के प्रचार में संलग्न सर्व सेवा संघ के भवनों को गिराने का आदेश देने के वाराणसी के जिलाधिकारी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई तय की थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की दलीलों का संज्ञान लिया था। और शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति दी थी। सुनवाई तक सर्व सेवा संघ का ढांचा ढहाया नहीं जाएगा।
इधर, सर्व सेवा संघ के भवन ध्वस्तीकरण मसले के खिलाफ परिसर में 74 सत्याग्रहियों ने दिनभर उपवास रखकर ईश्वर से सत्य की रक्षा व विजय के लिए प्रार्थना की। ये सत्याग्रह का 56 वां दिन था।
इस मौके पर समाजवादी चिंतन शिविर के संयोजक अवधेश आनंद ने समाजवादी पार्टी की ओर से आंदोलन का समर्थन किया और कहा कि हम लोहिया के विचारों को मानने वाले लोग हैं और हम इस गांधी और जेपी की विरासत के लिए अंतिम दम तक लड़ेंगे।
लोक चेतना समिति की शर्मिला ने कहा कि यह सरकार गांव और शहर हर जगह लोगों को उजाड़ने का काम कर रही हैं, सरकार का काम लोगों के कल्याण का है।
कांग्रेस पार्टी के प्रजानाथ शर्मा ने बताया कि ‘मोहन’ होना तो बहुत आसान काम है लेकिन ‘महात्मा गांधी’ होना बहुत कठिन है। आज देश में जितने भी धरोहरें, बनारस की गलियां, मंदिर, मोहल्ले सब उजाड़ दिए जा रहे हैं। सत्ता में बैठे लोग भारत के इतिहास को मिटाने और उजाड़ने का काम कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्त्ता जागृति राही ने कहा कि जैसे चिपको आंदोलन में महिलाओं ने चिपक कर के पेड़ों को बचाया था, उसी तरह हम लोग विनोबा व जेपी के इस विरासत को बचाएंगे।
सर्व सेवा संघक के राम धीरज ने कहा कि अहिंसा के रास्ते चलते हुए हमने आजादी प्राप्त की है, अहिंसा के रास्ते ही हम अपनी इस विरासत को बचाएंगे। सर्व सेवा संघ की जमीन को किसी भी कीमत इस सरकार को कब्जा नहीं करने देंगे।
कांग्रेस के नेता देवेंद्र भाई ने कहा कि आज फिर से देश में बंटवारे का खतरा पैदा हो गया है। एनएसयूआई के छात्र नेता राजीव नयन ने कहा कि हम सरकार से डरेंगे नहीं, सवाल पूछते रहेंगे, मुकाबला करते रहेंगे।
किसान नेता लक्ष्मण मौर्य ने कहा यह सरकार किसानों के आंदोलन का भी दमन कर रही थी और आज सर्व सेवा संघ के ऊपर बुलडोजर चलाने के लिए अमादा है।
समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्रा के निजी सचिव रहे डॉ अंबुज ने समाजवादी आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि थोड़े से समाजवादी थे, लेकिन उन्होंने पूरे देश में समाजवाद का परचम लहरा दिया इसलिए फर्क संख्या से नहीं पड़ता; बात सिद्धांतों, मूल्यों और इरादों की है।
जेपी आंदोलन की सेनानी ओमप्रकाश अरुण ने वर्ष 74 के आंदोलन की चर्चा करते हुए बताया कि उस समय भी हम लोग सत्ता के मनमानी और तानाशाही के खिलाफ लड़ रहे थे। आज यह सरकार जो पगलाई और बौराई है उसके खिलाफ हम अंतिम क्षण तक लड़ेंगे।
क्रांतिकारी साथी जितेन्द्र भाई ने कहा कि हमारे इस आंदोलन का उद्देश्य केवल सर्व सेवा संघ परिसर को बचाने का ही नहीं है, बल्कि इस सांप्रदायिक सरकार से देश बचाने का है। यह आंदोलन मोदी के तानाशाही सरकार के पतन का प्रमुख कारण बनेगा और इसकी शुरुआत विनोबा व जेपी के इस परिसर से हो चुकी है।
सत्याग्रह में मुख्य रूप से बक्सर से महिला एकता परिषद की महिलाएं व रणजीत राय, लोक चेतना समिति की 20 महिलाएं, चुनार से लोक सेवक राजेन्द्र मिश्र, विद्याधर, जौनपुर से शीराज अहमद, डा० राजेन्द्र सिंह, लोक समिति के रामबचन, आशा राय व सोनी, प्रयागराज से सत्येन्द्र, म० गा० का० वि० से रचना, एन एस यू आइ (बीएचयू) के छात्र आदि लोग उपस्थित रहे। सभा की अध्यक्षता विद्याधर कुशवाहा ने की तथा संचालन जाग्रति राही ने किया।