जन स्वास्थ्य अभियान ने क्लिनिकल ट्रायल और शर्तों को शिथिल किये बिना अनुमति न देने हेतु की प्रधानमंत्री से मांग
spsmedia.in
नई दिल्ली, 19. 05. 21। जन स्वास्थ्य अभियान ने फाइजर द्वारा mRNA के टीके की भारत को आपूर्ति के संबंध में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों और फाइजर जन विरोधी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मरीजों के हितों और अधिकारों से समझौता न करने की मांग की हैं।
जन स्वास्थ्य अभियान के सहसंयोजक अमितावा गुहा, अमूल्य निधि ने कहा कि आज पूरे देश मे कोविड–19 टीके की कमी हैं। सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए अमेरिकी औषधि निर्माण कंपनियों जैसे फाइजर एवं मोडेरना को भारत में mRNA टीका आपूर्ति के लिए आमंत्रित करने हेतु प्रयासरत हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से बहुराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल कंपनियां -फाइजर एवं मोडेरना- भारत को वैक्सीन की आपूर्ति के बदले में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ओर्गेनाइजेशन(CDSCO) एवं भारत सरकार पर मरीजों के सुरक्षा अधिकारों और किसी प्रतिकूल प्रभाव या गंभीर दुष्प्रभाव के मुआवजे से बचने के लिए और बिना स्थानीय क्लिनिकल ट्रायल(Clinical Trial) के आपूर्ति की अनुमति चाहती हैं। जबकि पूर्व में केंद्र सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं की व्यवस्था के कारण वैक्सीन के गंभीर दुष्प्रभावों या प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं के कारण होने वाली क्षतिपूर्ति से छूट की मांग को मानने से इंकार कर दिया था
जन स्वास्थ्य अभियान ने प्रधानमंत्री, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, फार्मास्युटिकल विभाग आदि को पत्र लिखकर मांग की है कि देश में वैक्सीन आपूर्ति के नाम पर रोगियों के अधिकारों और हितों से समझौता न किया जाए। साथ ही फाइजर से की जा रही बातचीत के सभी पहलुओं की पूर्ण जानकारी सार्वजनिक की जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार फाइजर ने लेटिन अमेरिकी देशों से टीका आपूर्ति के बदले दीवानी मामलों में क्षतिपूर्ति से छूट की मांग की हैं। अमेरिकी कंपनी को किसी भी प्रतिकूल या विपरीत प्रभाव के कारण हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकेगा, साथ ही किसी भी कानूनी कार्यवाही से होने वाले नुकसान की भरपाई से भी छूट होगी।
उन्होंने कहा कि ये दवा कंपनियां अपनी वैक्सीन आपूर्ति श्रृंखला के किसी भी स्तर पर कानूनी समस्याओं या इसकी लापरवाही के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करना चाहती है और इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
जन स्वास्थ्य अभियान ने कहा है कि भले ही सरकार फाइजर को सिर्फ गंभीर प्रतिकूल घटनाओं के लिए क्षतिपूर्ति से छूट देने की सोच रही हैं तो भविष्य में अन्य दवा कंपनियां भी भारत में अपने टीकों को देने के लिए इसी प्रकार से क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी से छूट की मांग करेंगी। ऐसे किसी भी प्रकार के ढांचागत छूट की मांग पर चर्चा की जानी चाहिए और निर्णय के पहले इसे सार्वजनिक राय के लिए प्रकाशित किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि भारत में पिछले एक दशक से अधिक समय से अनैतिक दवा परीक्षण, नियम, नीति कानून और नियामक प्रणाली को मजबूत करने में स्वास्थ्य अधिकार मंच और जन स्वास्थ्य अभियान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और इस संबंध में न्यायालय में जनहित याचिक पर सुनवाई जारी है।
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