सिटिज़न्स फॉर डेमोक्रेसी (सीऍफ़डी) ने की राष्ट्रीय सरकार के बारे में आम राय विकसित करने के लिए संसद का वर्चुअल सत्र बुलाने की मांग
सप्रेसमीडिया.इन ।
नईदिल्ली, 23 मई। देश में लोकतंत्र को सुरक्षित रखने और उसे मजबूत बनाने के लिए स्थापित सिटिज़न्स फॉर डेमोक्रेसी (सीऍफ़डी) ने देश के संवैधानिक पदों पर आसीन लोकतान्त्रिक संस्थानों के प्रमुख से राष्ट्रीय सरकार के गठन के लिए शीघ्र कदम उठाने का अनुरोध किया है। गठित की जाने वाली राष्ट्रीय सरकार की एक व्यापक राष्ट्रव्यापी दृष्टि हो और कोविड आपदा के साथ प्रभावी तरीके से निपटने के लिए वह सभी वर्गों को साथ लेकर चल सके एवं सार्वजानिक जीवन में नैतिक मूल्यों एवं लोकतान्त्रिक संस्थानों को मजबूत बना सके| सीऍफ़डी ने माननीय राष्ट्रपतिजी, मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, प्रधानमंत्री, अध्यक्ष, राज्यसभा, अध्यक्ष, लोकसभा, विपक्ष के नेता, लोकसभा के अलावा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है।
सिटिज़न्स फॉर डेमोक्रेसी (सीऍफ़डी) के अध्यक्ष एस. आर. हिरेमठ ने बताया कि आजादी के बाद से देश सबसे बड़े स्वास्थ्य संबंधी संकट का सामना कर रहा है| यह एक असाधारण स्थिति है और इसके साथ निपटने में वर्तमान केंद्र सरकार बुरी तरह से विफल रही है| कोविड सुनामी की विराट चुनौतियों के बीच वर्तमान सरकार बिलकुल तैयारी ही नहीं और किंकर्तव्यविमूढ नज़र आ रही है| वह समझ नहीं पा रही है कि स्थिति का सामना किस प्रकार किया जाए। केंद्र सरकार ने अपने पिछले साल के अनुभवों से न तो सीख ली और न ही दूसरी लहर के बारे में विशेषज्ञों की सलाह पर गौर किया| दूसरी लहर का सामना करने के लिए एक व्यवस्थित योजना बनाने और जिम्मेदारी से कार्य करने की बजाय सरकार ने कुम्भ मेला और कई राज्यों में विधान सभा चुनावों के लिए विशाल राजनीतिक रैलियों की अनुमति दी|
देश के तात्कालिक हालातों के मददेनजर सिटिज़न्स फॉर डेमोक्रेसी ने देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुख से अनुरोध किया है कि वे केंद्र सरकार से आग्रह करें कि वह राष्ट्रीय संकट पर विचार-विमर्श करने की दृष्टि से एक राष्ट्रीय सरकार के बारे में आम राय विकसित करने के लिए संसद का एक वर्चुअल सत्र संयोजित करें| इस तरह की एक राष्ट्रीय सरकार अभूतपूर्व संकट के साथ प्रभावी ढंग से निपट सकेगी| यह हमारे लोकतान्त्रिक संस्थानों और सार्वजानिक जीवन में नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करने के लिए भी कदम उठा सकेगी|
बता दें कि सीऍफ़डी की स्थापना अप्रैल 1974 में संपूर्ण क्रांति के जनक लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा की गई थी| इसका मकसद देश में लोकतंत्र को सुरक्षित रखना और उसे मजबूत करना है| इसका उद्देश्य एक ऐसे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र को हासिल करना है जिसमें सभी की सहभागिता हो| यह कोई राजनीतिक दल नहीं और न ही किसी राजनीतिक दल का समर्थक है| लोक नायक जयप्रकाश नारायण के बाद सीऍफ़डी के अध्यक्ष पद पर मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. सी. चागला, प्रो. वी. वी. जॉन और न्यायमूर्ति वी. एम. तारकुंडे और वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर सुशोभित रहे। 1975-1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के आपातकालीन दिनों के स्याह वक्त में सीऍफ़डी ने एक ऐतिहासिक भूमिका निभायी थी और आज भी लोकतंत्र के हित में उसकी गतिविधियाँ जारी हैं|
सीऍफ़डी ने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि इस अभूतपूर्व राष्ट्रीय आपदा के दौर में आशा की कुछ किरणें भी दिखाई दे रही हैं:उनमें स्वास्थ्य, स्वच्छता और इस तरह के क्षेत्रों के अन्य कर्मी अग्रिम पंक्ति के कोविड योद्धा हैं जिन्होंने वायरस के खिलाफ बहादुरी के साथ संघर्ष किया है| वहीं सिविल सोसाइटी संगठनों और व्यक्तियों ने नागरिकों की जो मदद की है उसे और मजबूती के साथ भविष्य में भी करते रहना है| देश की न्यायपालिका ने भी इस संकट में अपनी संवैधानिक भूमिका को साहस और दृढ़ता के साथ निभाने की कोशिश की है| कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों एवं चुनाव आयोग के खिलाफ भी समय से साहसपूर्ण आदेश पारित किये और उनके आदेशों में से कुछ का सर्वोच्च न्यायालय ने समर्थन भी किया| इसके अलावा न्यायमूर्ति एम. वाई. चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने समय पर सख्त चेतावनी दी कि लोगों की आवाज़ दबाने की कोई भी कोशिश भारत सरकार के सन्दर्भ में अदालत की अवमानना समझी जायेगी| ऑक्सीजन के आवंटन को सुप्रवाही बनाने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स गठित करने के संबंध में भी सर्वोच्च न्यायालय ने सक्रियता दिखाई|
सीऍफ़डी व्दारा भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में एस. आर. हिरेमथ, अध्यक्ष, सी ऍफ़ डी, धारवाड़, देवनूर महादेव, संस्थापक,जे. एम. एम., मैसूर, प्रो. आनंद कुमार, पूर्व संचालक, एसए, नई दिल्ली, एन. डी. पंचोली, महासचिव, सी ऍफ़ डी, नईदिल्ली, डॉ. रमेश अवस्थी, अध्यक्ष, आई आर आई, पुणे, दीपक ढोलकिया, संचालक, आईसीएएन, नईदिल्ली, प्रो. रमेन्द्र नाथ, अध्यक्ष, सी ऍफ़ डी-बिहार,पटना, बड़ागलपुर नागेंद्र, अध्यक्ष, केआरआरएस, बेंगलुरु, दीलिप कामत, सलाहकार, सीऍफ़डी, बीजीएम, अनिल सिन्हा, सचिव, सी ऍफ़ डी, महीपाल सिंह, ह्यूमनिस्ट अध्यक्ष, राघवेंद्र कुस्तगी, संपादक, रेडिकल जेएसपी, रायचूर, डॉ. टी आर चन्द्रशेखर, अध्यक्ष, सी ऍफ़ डी-कर्नाटक, रवि के रेड्डी, अध्यक्ष, एल. एम. के एन वी, रूपा हसन, पीवीवी, हसन ख्वाजा असलम, उपाध्यक्ष, सी ऍफ़ डी –के, वी. आर. पाटिल, सचिव, सी ऍफ़ डी –के वी. नागराज, संचालक, डीएसएस, एच. एस. अनुपमा, लेखक एवं एक्टिविस्ट, से एस मेटी जे एम एम, बल्लारी, मल्लिकार्जुन बी. एस., कोऑर्डिनेटर, जे. एम. एम. आदि प्रमुख है।
[block rendering halted]