मेरा यह सम्मान रचनात्मक कार्यों में लगी महिलाओं को समर्पित – दमयंती पाणी
गुवाहाटी,12 नवंबर। आज शरणिया आश्रम, गुवाहाटी में अमलप्रभा दास की 113वीं जन्म जयंती के अवसर पर वर्ष 2024 का प्रतिष्ठित अमलप्रभा सर्वोदय पुरस्कार मध्यप्रदेश की सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती दमयंती पाणी, गांधी आश्रम, छतरपुर को प्रदान किया गया। उन्हें पुरस्कार स्वरूप सम्मान पत्र, सरई (असमिया लोक संस्कृति की प्रतीक), इंडी चादर (असम की पारंपरिक रेशम वस्त्र), फुलम खादी गमछा (असम का स्वागत सम्मान वस्त्र) एवं रू 50,000 की राशि प्रदान की गई। ये पुरस्कार पूर्वोत्तर भारत की गांधीवादी संस्थाओं के गाँधीजनों व नागरिकों की उपस्थिति में वरिष्ठ गांधी विचारक एवं केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही ने भेंट किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से गांधी स्मारक निधि के सचिव डॉ. संजय सिंह, असम गांधी निधि की अध्यक्ष दीप्ति बरुआ, कुसुम मोकाशी आदि उपस्थित रहे।
पुरस्कार जूरी के अध्यक्ष मोहनदास, उपाध्यक्ष ज्योति बरुआ, सचिव नयन भंडारी ने कहा कि हम एक ऐसी महिला को सम्मानित करते हुए धन्य महसूस करते हैं जिसने मध्य प्रदेश गांधी स्मारक निधि को गांधी विचार के उच्च मूल्यों पर पहुंचाया। विशेष रूप से किसानों, महिलाओं व युवाओं के साथ आपके संबंध व कार्य सराहनीय हैं।
पुरस्कार को ग्रहण करने के पश्चात सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती दमयंती पाणी ने कहा कि मेरा यह सम्मान बुंदेलखंड की उन महिलाओं को समर्पित है, जो समाज में बराबरी के लिए घर के अंदर से लेकर बाहर तक कुरीतियों से लड़ते हुए रचनात्मक कार्यों में लगी हैं। उन्होंने कहा कि मैं ना तो बुंदेलखंड में पैदा हुई और ना ही वहां की संस्कृति से रिश्ता रखती हूं, लेकिन उसके बावजूद बुंदेलखंड मेरी कर्मभूमि बनी और वहां के साथियों के सहयोग से यहां तक का सफर तय किया। जिसके लिए मैं बुंदेलखंड के साथियों सहित उन सबका दिल से शुक्रिया अदा करती हूं जिन्होंने मुझे इस लायक बनाया और समझा।
उन्होंने आगे कहा कि मेरी कर्मभूमि ने मुझे वापस असम इसलिए भेजा कि मैं जिस गांधी विचार का काम करने असम से नौकरी छोड़कर गई थी वह जगह आज मेरे निर्णय को सम्मान से प्रोत्साहित कर रही है। यह सम्मान भी एक ऐसी महिला के नाम से मिला है जिन्होंने ताउम्र ब्रह्मचारी रहकर पूर्वोत्तर में गांधी विनोबा विचार से अनेक रचनात्मक कार्यक्रम खड़े किए। मेरे जीवन व कार्य को परिभाषित और प्रमाणित करने इससे बड़ी इज्जत कुछ भी नहीं हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि अमलप्रभा दास, असम की एक गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता रहीं हैं। वह असम की प्रथम महिला विज्ञान स्नातकोत्तर भी थी। जिन्होंने पूरी उम्र समाज को ही अपना परिवार मानकर शांति, सद्भाव के रचनात्मक कार्य किए हैं। बच्चों के लिए बालवाड़ी खोली, महिलाओं के साथ रचनात्मक कार्यक्रम खड़े किए। उनके पिता डॉक्टर हरिकृष्ण दास ने अपनी जमीन गांधी विचार के लिए दान कर दी थी जिस पर आज सारणीया आश्रम स्थापित है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1946 में इस जगह आए थे, जहां उन्होंने देश का पहला उद्घाटन करते हुए ग्राम सेविका विद्यालय खोला था। यह केंद्र पूर्वोत्तर भारत में गांधी विचार का प्रमुख केंद्र है। जहां से अनेक रचनात्मक कार्यक्रम संचालित होते हैं। यह संस्था अमलप्रभा वाईदेव की स्मृति को चिरंजीवी रखने के उद्देश्य से वर्ष 2014 से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय सर्वोदय सम्मान प्रदान करती है।