महात्मा गांधी शोधपीठ में गांधीवादी दर्शन के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक आयामों पर वक्ताओं के उद्गार
इंदौर, 22 अगस्त। वर्तमान समय में अगर हमें महात्मा गांधी के दर्शन को जीवित रखना है तो हमें उनके विचारों एवं मूल्यों की प्रासंगिकता बनाए रखनी होगी | मूर्तियों, तस्वीरों और स्मारकों से गांधी की स्मृति को तो हम जीवित रख सकते हैं लेकिन उनके विचारों और दर्शन की प्रासंगिकता तभी बनी रह सकती है जब व्यक्ति अपने संपूर्ण जीवन में महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों को उतारें |
ये बातें देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर व्दारा स्थापित महात्मा गांधी शोधपीठ (समाज विज्ञान अध्ययन शाला) व्दरा आयोजित गांधी – ऑनलाइन वेबिनार में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एवं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री सुश्री मेधा पाटकर ने कहीं | इस मौके पर गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद के पूर्व कुलपति डॉ. सुदर्शन अयंगर एवं सोपान जोशी भी उपस्थित थे |
सुश्री मेधा पाटकर ने आगे कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि गांव वह इकाई है, जो व्यक्ति से व्यक्ति के बीच सीधा संवाद करती है। गांधी की सोच व्यष्टि से समष्टि तक की सोच थी । गांधी की सोच भविष्य की सोच है अतीत की नहीं | वर्तमान वैश्वीकरण, उदारीकरण और बाजारवाद के युग में महात्मा गांधी की ट्रस्टीशिप की संकल्पना समाज को एक नए विकासात्मक दिशा में ले जा सकती है| देखना यह होगा कि हम महात्मा गांधी के अहिंसा के दर्शन को अपनाते हैं या हथियारों की हिंसा से समाधान ढूंढते हैं |
प्रारम्भ में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति एवं महात्मा गांधी पीठ की पदेन अध्यक्ष डॉ. रेणु जैन ने अपना स्वागत उद्बोधन में कहा कि महात्मा गांधी का दर्शन समाज के हर आयाम में प्रत्येक समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। उन्होंने गांधीवादी दर्शन के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक आयामों का एक संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत किया एवं महात्मा गांधीपीठ के द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों,व्याख्यानों के विषय में भी परिचित कराया गया ।
वेबिनार में दूसरे अतिथि वक्ता गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद के पूर्व कुलपति डॉ. सुदर्शन अयंगर ने गांधी दर्शन की आर्थिक आयामों पर अपने विचार रखें एवं सनातन परम्परा के त्रिदेवों के सिद्धांत पर आधारित गांधी त्रयी की बात कहीं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति, समष्टि और सृष्टि के माध्यम से गांधीवादी दर्शन को आसाना से व्याख्यायित किया जा सकता है | इन तीनों के बीत सामंजस्य ही गांधीवादी दर्शन का आधार है | उन्होंने कहा कि वर्तमान समाज में गांधी को एक वृद्ध और कमजोर व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने गांधी के युवा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजकल हमें युवाओं और बच्चों के बीच महात्मा गांधी के युवा पक्ष से भी परिचित करवाया जाना चाहिए | ‘जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान’ के प्रसिद्ध दोहे के आधार पर उन्होंने गांधीवादी अर्थशास्त्र के कुछ प्रमुख सूत्रों से श्रोताओं को परिचित करवाया |
तीसरे अतिथि वक्ता प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार एवं पर्यावरणविद् सोपान जोशी ने गांधीवादी दर्शन के राजनीतिक आयामों पर अपने विचार रखते हुए समझाया कि वर्तमान राजनीति विकास के जिस सिद्धांत पर आधारित है, वह गांधीवादी विकास दृष्टि से बहुत दूर की बात है। गांधीवादी विकास दृष्टि और गांधीवादी राजनीतिक दृष्टि के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गांधी समाज के सबसे कमजोर लोगों की मदद करने को ही विकास का सूत्र मानते थे| आदिवासी क्षेत्रों की मानकी-मुंडा परंपरा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में आज भी गांव के लोग अपना मुखिया चुनते हैं और राइट टू रिकॉल के तहत उसे हटाने का अधिकार भी रखते हैं और यह परंपरा बहुत प्राचीन काल से उन आदिवासी क्षेत्रों में चलती आ रही है| हमें आदिवासियों से स्वराज की अवधारणा को सीखना चाहिए, जिस स्वराज की पैरवी गांधी ने की थी।
सोपान ने कहा कि गांधी ने ग्राम स्वराज की अपनी अवधारणा के अंतर्गत किसी राजनीतिक संवेदनशीलता का जिक्र किया था, जो तरक्की पसंद राजनीति से बहुत दूर शांति, सौहार्द्र और नीति के आधार पर स्थापित राजनीति को प्राथमिकता देती थी|
वेबिनार के प्रारंभ में संस्था की विभागाध्यक्ष एवं महात्मा गांधी शोधपीठ की सचिव डॉ. रेखा आचार्य ने वक्ताओं का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन किया। साथ ही उन्होंने शोधपीठ द्वारा आयोजित व्याख्यान, वेब सेमिनार एवं आगामी कार्यक्रमों के बारे में भी जानकारी प्रदान की| कार्यक्रम के अंत में गांधीपीठ की सदस्या डॉ. नम्रता शर्मा ने वक्ताओं और वेबिनार में शामिल प्रबुद्धजनों और छात्रों का आाभार माना। इस अवसर पर महात्मा गांधी पीठ के प्रमुख सदस्य प्रो. डॉ.संध्या गोयल, डॉ. कन्हैया अहूजा, डॉ.कामाक्षी अग्निहोत्री, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सिद्धार्थ कुमार जैन आदि विशेष रूप से उपस्थित थे | वक्ता परिचय सत्यम् सम्राट आचार्य एवं ऑनलाइन वेबिनार का तकनीकी जिम्मा आयुषी मिश्रा ने निभाया |