सामाजिक सरोकारों और स्त्री अधिकारों के लिए किया काम
सप्रेसमीडिया.इन ।
प्रख्यात मीडिया शिक्षक और जनसंचार विशेषज्ञ प्रो. दविंदर कौर उप्पल (75 वर्ष) का 4 मई 2021 को 02:37 बजे निधन हो गया। घर पर गिर जाने के कारण 11 अप्रैल, 2021 को उनके पैर की हड्डी की सर्जरी हुई थी। इस दौरान कोरोना संक्रमित हो जाने के कारण रेड क्रॉस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
प्रो. उप्पल के निधन पर भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय और सागर विश्वविद्यालय में अध्यापन करते हुए प्रो. उप्पल ने संचारविदों, पत्रकारों की पूरी पीढ़ी को तैयार किया। उन्होंने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में जनसंचार विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रो. दविंदर कौर उप्पल का जाना एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिसे भर पाना कठिन है। वे एक बेमिसाल अध्यापक थीं। प्रो. उप्पल ने पढ़ने- पढ़ाने, फिल्में देखने, संवाद करने और सामाजिक सरोकारों के लिए सजग रहते हुए अपनी पूरी जिंदगी बिताई।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि जनसंचार शिक्षा, शोध और विकास संचार के क्षेत्र में उनका नाम बहुत बड़ा है। वे शोध में खास रूचि रखती थीं और विद्यार्थियों को प्रेरित करती थीं। अनेक विद्यार्थियों में उन्होंने वह आग जगाई, जिसे लेकर वे जीवन युद्ध में सफल हो सके। विकास के मुद्दों पर उनकी गहरी रूचि थी, ताकि सामान्य जनों की जिंदगी में उजाला लाया जा सके। विकास और जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर उन्होंने अनेक रेडियो कार्यक्रम बनाए। इसरो के साथ झाबुआ प्रोजेक्ट में काम किया। उनके रेडियो रूपक ‘एक कंठ विषपायी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
आईआईएमसी महानिदेशक के अनुसार वे स्त्रियों के अधिकारों और उनके सम्मान को लेकर बहुत सजग थीं। महिलाओं को अधिकार दिलाने के मुद्दों पर काम करना उनको भाता था। वे बहुत खुश होतीं जब ग्रामीण और सामान्य घरों से आने वाली छात्राएं कुछ बेहतर करतीं। उनका वे विशेष ध्यान और संरक्षण भी करती थीं।
माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के पूर्व कुलपति श्री दीपक तिवारी ने कहा कि वे पत्रकारिता की सच्ची शिक्षक, हमेशा नए ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की पक्षधर थी, हर महीने एक नई किताब पढ़ने वालीं महिला थी।
चाहे सागर विश्वविद्यालय का पत्रकारिता विभाग हो या माखनलाल विश्वविद्यालय दोनों जगह रहकर उन्होंने राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की । देश में जो बहुत कम पत्रकारिता के योग्य शिक्षक हैं उनमें से एक थीं, उप्पल मैडम। उनका जाना पत्रकारिता शिक्षण के लिए एक बड़ा नुकसान है।
वरिष्ठ पत्रकार सोमित्र राय ने कहा कि आज की एक और सुबह ऐसे ही सन्नाटे की है। देविन्दर कौर उप्पल मैडम का अवसान एक अनहद सन्नाटे की ओर ले जाता है। कोई दशक भर पहले की बात है। एक संस्थान के लिए मीडिया में जन सरोकार के मुद्दों पर घटती जगह को लेकर अध्ययन कर रहा था। पत्रकारिता जगत की कुछ बड़ी हस्तियों से मिलकर उनकी राय जाननी थी। सुझाव आया कि उप्पल मैडम से मिलें।
शांत, बेबाक और टू-द पॉइंट बात करने की उनकी क्षमता ने बड़ा प्रभावित किया। बाद में आते-जाते कई मुलाकातें हुईं, क्योंकि मुहल्ला एक और घरों का फ़ासला ज़्यादा नहीं था। पत्रकारिता के विद्यार्थियों और मेरे पत्रकार मित्रों के लिए भी वे हमेशा मार्गदर्शक रहीं। उप्पल मैडम का अवसान मीडिया और सिविल सोसाइटी में एक बड़े शून्य की उत्पत्ति है। इसे कौन, कब, कैसे भर पायेगा नहीं जानता। लेकिन नुकसान बहुत बड़ा है।
एकलव्य, भोपाल से जुड़े श्री मनोज निगम ने कहा किे सचमुच में बानी से प्यार मोहब्बत और उचित सलाह हमेशा देने वाली उपल मैम अब इस दुनिया में नहीं है यह जानकर बहुत दुख हुआ। जो आपने हमें जीवन में सिखाया और योग्य बनाया सदा हम आपके ऋणी रहेंगे।
रंगकर्मी एवं चित्रकार श्री मनोज कुलकर्णी ने कहा कि उप्पल मैम की उपस्थिति आश्वस्ति देती थी। उम्र और अनुभव के अंतर को परे रख वे दोस्ती बनाना जानती थीं।
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