गांधी विचारों और संस्थाओं, व्यक्तियों से एकजुटता और समर्थन देने की अपील
वाराणसी, 28 जून। राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ का भवन 30 जून से ध्वस्त कराया जाएगा। यह कार्रवाई उत्तर रेलवे करेगा जिसने मौके की 13 एकड़ जमीन पर बने संघ भवन को अवैध माना है। परिसर की जमीन पर भी उत्तर रेलवे कब्जा लेगा। इस बाबत सर्व सेवा संघ को नोटिस भेजी गई है। उसके मुताबिक, 30 जून से पहले संघ प्रबंधन खुद अवैध कब्जा हटा ले अन्यथा ध्वस्तीकरण कराया जाएगा।
सर्वोदय आंदोलन की शीर्षस्थ संस्था अ. भा. सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि वाराणसी जिलाधीश और रेल्वे प्रशासन के रवैये के खिलाफ गांधीजनों में रोष है तथा गांधी विचार की पुरातन संस्था को जमींदोज करना अंधेरगर्दी है। इसके खिलाफ 30 जून, 2023 को वाराणसी परिसर में शांतिपूर्ण प्रतिवाद किया जाएगा। सर्व सेवा संघ अवैध नोटिस के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानूनी कार्रवाई करने जा रहे हैं।
सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सर्व सेवा संघ, वाराणसी परिसर की जमीन, जिसे प्रणम्य, दिग्गज गांधीवादी नेताओं जिनमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद, आचार्य विनोबा भावे, लालबहादुर शास्त्री, बाबू जगजीवन राम और अन्य नेताओं ने गांधीवादी दर्शन और गतिविधियों को देश और विदेशों में फैलाने के लिए वर्षों पूर्व सर्व सेवा संघ के नाम से वाराणसी में जमीन खरीदी थी। गांधी विद्या संस्थान के नाम से लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसी उद्देश्य से इस जमीन पर स्थापना की थी। अब उत्तर रेलवे प्रशासन की मांग है कि सर्व सेवा संघ ने उस जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। तदनुसार उन्होंने 27/06/2023 को उक्त भूमि पर सभी निर्माण को ध्वस्त करने के लिए एक नोटिस जारी किया है। जबकि मजेदार बात यह है कि इस समय जितना हिस्सा सर्व सेवा संघ के पास है, उस पर नोटिस चिपकाई गई है। लेकिन जिसमें इंदिरा गांधी कला केंद्र कबजा किए हुए हैं, उसमें नोटिस नहीं चिपकाई गई है।
उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा सरकार, वाराणसी प्रशासन और रेलवे के अधिकारियों की साजिशाना मिलीभगत से गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण की कर्मस्थली को शिकार बनाया जा रहा है। राजघाट, वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ के भवनों को ध्वस्त करने के लिए 30 जून की तिथि मुकर्रर की गई है। इस देश में 30 जून को ‘हुल दिवस’ अर्थात ‘विद्रोह दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजों के खिलाफ इसी दिन झारखंड के संथाल परगना में सिद्धू-कानू के नेतृत्व में आजादी के लिए संथाल विद्रोह हुआ था। हमें भी उपरोक्त गठबंधन के खिलाफ एक हुल की तैयारी करनी होगी।
उन्होंने कहा कि वाराणसी जिलाधिकारी ने मनमानी तरीके से फैसला दिया है। उन्होंने सारे तर्कों को नजरअंदाज किया है। ये वाराणसी जिलाधिकारी का फैसला है, हाईकोर्ट का नहीं। इसके लिए अब हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि काशी स्टेशन के उत्तरी छोर पर स्थित किला कोहना में रेलवे की लगभग चार एकड़ भूमि से बीते मई में अवैध कब्जा हटाया गया था। तब रेलवे ने सर्व सेवा संघ को भी नोटिस देते हुए जमीन खाली करने को कहा था। इसके विरोध में संघ प्रबंधन हाईकोर्ट चला गया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह मामला जिलाधिकारी को सुनने का आदेश दिया। डीएम एस. राजलिंगम ने कागजों के अवलोकन और सुनवाई के बाद रेलवे के दावे को सही माना और सोमवार को सर्व सेवा संघ को कब्जा हटाने का आदेश दिया। इसी क्रम में उत्तर रेलवे प्रशासन ने मंगलवार को नोटिस जारी की।